राजस्थान उपचुनाव (Rajasthan Bypolls) में भले ही बीजेपी ने पूरा जोर लगाया हो, लेकिन लोगों ने मौजूदा कांग्रेस सरकार और इन सीटों पर दिवंगत विधायकों के प्रति अपनी सहानुभूति रखते हुए वोट किया. वल्लभनगर में शक्तावत परिवार की विरासत पर भरोसा जताते हुए जनता ने प्रीति कुंवर शक्तावत को जीत दिलाई, वहीं धरियावद में दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा के परिजनों को दरकिनार करने वाली बीजेपी के खिलाफ लोगों का रुख रहा.
बीजेपी में उम्मीदवारों को लेकर हुई थी खींचतान
उपचुनाव से पहले धरियावद में जहां दिवंगत विधायक मीणा के पुत्र कन्हैयालाल का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था, वहीं वल्लभनगर में उदयलाल डांगी को बीजेपी से टिकट मिलना तय हो गया था. लेकिन ऐन मौके पर बीजेपी ने नए चेहरों खेत सिंह मीणा और हिम्मत सिंह झाला को उम्मीदवार बना दिया. दोनों सीटों के मतदाताओं ने बीजेपी के इस फैसले को सिरे से नकार दिया. जनता और राजनीतिक दलों की इस खींचतान में धरियावद से नगराज मीणा की लॉटरी लग गई.
धरियावद में बीजेपी उम्मीदवार तीसरे तो वल्लभनगर में चौथे स्थान पर रहे. वहीं रालोपा के उदयलाल डांगी दूसरे स्थान पर रहे. वहीं अगर बीजेपी से डांगी को टिकट मिलता तो इस सीट का नतीजा कुछ और रहता.
चुनाव से पहले कई तरह के बदलाव
उपचुनाव में दोनों सीटों पर चुनाव से पहले और बाद में कई तरह के बदलाव सामने आए. मतदान से ठीक पहले वल्लभनगर में कौन जीतेगा इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं थी, तो धरियावद में दिवंगत विधायक गौतमलाल मीणा के पुत्र कन्हैयालाल का टिकट कटने, उनके रूठने और फिर मान जाने से बीजेपी की मुश्किलें कम होने की उम्मीदें थीं. लेकिन जिस तरह से मतदान का प्रतिशत 70 फीसदी से ज्यादा सामने आया उसने दोनों सीटों पर सारे समीकरण बदल दिए.
बंपर वोटिंग से साफ हो गया कि लोगों का क्या रुख है. इसका असर मतगणना के दौरान साफ नजर आया. पहले राउंड से ही प्रीति शक्तावत और नगराज मीणा ने जो बढ़त बनाई वो आखिरी राउंड तक बनी रही.
बीजेपी आलाकमान के फैसले पर उठे सवाल
वल्लभनगर विधानसभा सीट से बीजेपी से प्रबल दावेदार माने जा रहे उदयलाल डांगी को टिकट नहीं देना और धरियावद सीट पर गौतम लाल मीणा के पुत्र कन्हैया लाल मीणा का टिकट काटना बीजेपी को महंगा पड़ा. दोनों सीटों पर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेतृत्व को दरकिनार कर ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा जताया जिन्हें राजनीति ज्यादा अनुभव नहीं था. सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को उपचुनावों से पूरी तरह से दूर रखने के लिए ये सब किया. बीजेपी को दोनों सीटों पर हार मंजूर थी पर वसुंधरा का दखल नहीं.
चुनाव परिणाम आने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, कांग्रेस प्रत्याशियों को अपना आशीर्वाद एवं समर्थन देकर जनता ने हमारी सरकार को और अधिक मजबूती प्रदान की है, विकास की कड़ी से कड़ी जोड़ी है तथा एक बड़ा संदेश दिया है.
दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत पर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ये गहलोत सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर है. डोटासरा ने ये भी कहा कि बीजेपी अपने नेताओं को तबाह करने में लगी हुई है. प्रदेश बीजेपी के नेता सिफारिश किसी टिकट की कर रहे हैं और ऊपर से टिकट कुछ और दिए जा रहे हैं. ये साफ दर्शाता है कि बीजेपी में वही होगा जो मोदी और अमित शाह चाहेंगे.
वहीं चुनाव परिणामों को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि ये पराजय स्वाभाविक है. जीत-हार स्थानीय समीकरण और मुद्दों पर निर्भर थी. हमें मनोबल और आत्मविश्वास बनाए रखते हुए आलोचना से बचते हुए, सीख और सबक लेकर आगे बढ़ना है. जब हम सत्ता में थे, तब भी हम उपचुनावों में हार से सबक लेकर आगे बढ़े हैं.
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