दैनिक भास्कर ग्रुप के अलग-अलग दफ्तरों पर हुई छापेमारी चर्चा में है. इस छापेमारी के बाद मीडिया ग्रुप ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कोरोना काल में अखबार ने सरकार की नाकामी को खुलकर दिखाया था इसीलिए दबिश डाली गई. इस छापेमारी की चारों तरफ आलोचना हुई. तमाम बड़े विपक्षी नेताओं और विदेशी मीडिया तक ने इसे नजरअंदाज नहीं किया.
गहलोत बोले- सभी अखबारों को गोदी मीडिया बनाने की कोशिश
तमाम नेताओं के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मामले को लेकर ट्वीट किया. गहलोत ने कहा कि ये मीडिया की आवाज को दबाने की एक कोशिश है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,
"दैनिक भास्कर अखबार और भारत समाचार न्यूज चैनल पर इनकम टैक्स की रेड मीडिया की आवाज दबाने की एक कोशिश है. मोदी सरकार अपनी आलोचना को जरा भी बर्दाश्त नहीं कर सकती. अपनी फासीवादी मानसिकता के चलते बीजेपी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सच्चाई को नहीं देख पा रही. मोदी सरकार इस तरह की हरकतों और मीडिया को धमकाकर ये बताना चाहती है कि अगर आप गोदी मीडिया नहीं बने तो आपकी आवाज को दबा दिया जाएगा."
भास्कर ने राजस्थान सरकार की भी खोली थी पोल
अब अशोक गहलोत का भास्कर को लेकर ये बयान इसलिए चर्चा में है, क्योंकि इस अखबार ने कोरोना प्रबंधन को लेकर जिस तरह केंद्र सरकार और यूपी सरकार की आलोचना की थी और खुलासे किए थे, ठीक उसी तरह राजस्थान की गहलोत सरकार को लेकर भी कई आलोचनात्मक रिपोर्ट छपी थीं. इनमें से तमाम खबरें सरकार के कुप्रबंधन को लेकर थीं. भास्कर की एक रिपोर्ट राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री को लेकर थी, जिसमें मंत्री ने कचरे में पड़ी वैक्सीन की खबरों को झूठा बता दिया था, लेकिन भास्कर ने दूसरे दिन कचरे में पड़ी वैक्सीन की शीशियों के साथ मंत्री की तस्वीर छापी और उस पर बड़े अक्षरों में सच का सामना लिखा था.
बता दें कि केंद्र सरकार पर दैनिक भास्कर और विपक्षी दलों ने आरोप लगाए हैं कि कोरोना प्रबंधन, पेगासस जासूसी और तमाम अन्य चीजों पर अखबार की बेबाक रिपोर्टिंग के बाद छापेमारी कराई गई. एक बार फिर सरकार पर एजेंसियों के गलत इस्तेमाल के आरोप लगे हैं.
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