राजस्थान (Rajasthan) में अजमेर के पुष्कर में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम के दौरान खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना के विरोध और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के समर्थन में हुई नारेबाजी के बाद अब जनसभाओं में आयोजक विशेष अलर्ट मोड पर आ गए हैं. मंगलवार, 13 सितंबर को जयपुर के दूदू में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के सलाहकार और निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर ने सभा से पहले किसी और के नारे नहीं लगाने की चेतावनी जारी कर दी.
विधायक बाबूलाल नागर ने मंच से लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां किसी को नारा लगाना है, तो केवल राजीव गांधी अमर रहें और अशोक गहलोत जिंदाबाद का ही नारा लगाना है.
अगर किसी ने इन दो के अलावा तीसरा नारा लगाया तो पुलिस उठा ले जाएगी, बंद कर देगी और केस लग जाएगा, बाद में मुझे मत कहना. इन दो नारों के अलावा आपको केवल तालियां बजानी हैं. नागर ने आगे लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि आपके ब्लॉकों में कोई हंगामा करे, तो तुरंत इशारा करो.बाबूलाल नागर, अशोक गहलोत के सलाहकार और निर्दलीय विधायक
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 24 साल का इतिहास है, मेरे किसी कार्यक्रम में अनुशासनहीनता नहीं हुई और न ही मैं इसे बर्दाश्त करता हूं.
"नारों पर भी पाबंदी...या तो नारों का अभाव"
नागर की इस चेतावनी का वीडिया तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, इसके बाद राजनीतिक हल्कों में चर्चा शुरु हो गई.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने नागर की इस चेतावनी पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर उनका वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि नारों पर भी पाबंदी..या तो नारों का अभाव है या लोगों का..या सोच का..या भरोसे का. कुछ तो बात है, कुछ तो खास है...बोलो,भारत माता की जय,जय श्री राम.
गहलोत के बेहद करीबी हैं नागर
बाबूलाल नगार अशोक गहलोत के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं. वह पिछली गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया था. इसके बावजूद भी वे दूदू से निर्दलीय चुनाव जीते और उन्होंने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया. बाद में गहलोत ने उन्हें अपना राजनीतिक सहलाकार नियुक्ति किया.
(इनपुट- पंकज सोनी)
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