पंजाब में कांग्रेस ने एक बोल्ड फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा दिया और उनकी जगह युवा और दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को कुर्सी थमा दी गई. पंजाब के बाद अब राजस्थान को लेकर चर्चाएं शुरू हैं, जहां अशोक गहलोत की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है. वहीं अब ऐसी अटकलों के बीच राजस्थान कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की है. जिसके बाद अटकलों का बाजार और गर्म हो चुका है.
गुजरात को लेकर हुई मुलाकात?
हालांकि इस मुलाकात के मायने कुछ और बताए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस सचिन पायलट को गुजरात की जिम्मेदारी देना चाहती है, क्योंकि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में पायलट को गुजरात प्रभारी बनाने की तैयारी है.
मुलाकात भले ही किसी दूसरे कारण से हुई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो चुकी है. जिनमें कहा जा रहा है कि पायलट अपने मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर रहे हैं. जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अहम रोल अदा कर सकते हैं, जैसे पंजाब में किया गया.
कैबिनेट विस्तार में किसकी चलेगी?
अब भले ही फिलहाल राजस्थान में मुख्यमंत्री नहीं बदला जाए और पायलट को जिम्मेदारी न सौंपी जाए, लेकिन यहां कैबिनेट विस्तार को लेकर जमकर घमासान जारी है. पायलट और गहलोत धड़े में कैबिनेट पद पाने की लड़ाई चल रही है.
लेकिन इसमें पायलट धड़ा काफी खुश नजर आ रहा है, क्योंकि माना जा रहा है कि सचिन पायलट को खुश करने के लिए पार्टी उनके करीबी विधायकों को कैबिनेट के पद दे सकती है. वहीं सीएम अशोक गहलोत के सामने ये मुश्किल है कि वो किसे पद से उतारते हैं और उन्हें कैसे मनाते हैं. साथ ही बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को भी संतुष्ट करना बड़ी चुनौती है.
कांग्रेस निभाएगी सचिन पायलट से किया वादा?
कांग्रेस को अभी सचिन पायलट से किए गए वादों को भी निभाना है. ऐसे में ये तो तय है कि कैबिनेट विस्तार में पायलट की ही मर्जी चलेगी, वहीं उन्हें सीएम पद तक पहुंचाने में भी पार्टी मदद कर सकती है. बता दें कि सचिन पायलट ने कांग्रेस से बगावत कर ली थी, वो अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा चले आए थे, कई दिनों तक ये ड्रामा चलता रहा. इस दौरान बताया गया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उनकी कई शर्तें मानते हुए पार्टी में वापसी कराई थी. फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले पायलट और उनका धड़ा फिर से गहलोत सरकार के पक्ष में आ गया. जिसके बाद से ही पायलट और उनके समर्थकों को हाईकमान के वादे पूरे करने का बेसब्री से इंतजार है.
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