राजस्थान में करीब एक महीने पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट का रुख 10 अगस्त को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद काफी नरम दिखा.
पायलट ने कहा, ‘‘सरकार और संगठन के कई ऐसे मुद्दे थे जिनको हम रेखांकित करना चाहते थे. चाहे देशद्रोह का मामला हो, एसओजी जांच का विषय हो या फिर कामकाज को लेकर आपत्तियां हों, उन सभी के बारे में हमने आलाकमान को बताया.’’
राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पायलट ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हमारी बात सुनी. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और हम सभी ने विस्तार से चर्चा की. विधायकों की बातों को उचित मंच पर रखा गया है. मुझे आश्वासन दिया गया है कि तीन सदस्यीय समिति बनाकर तमाम मुद्दों का निराकरण किया जाएगा.’’
इतना ही नहीं, उन्होंने अपने पद जाने को लेकर कहा, ‘‘पार्टी पद देती है, पार्टी पद ले भी सकती है. मुझे पद की बहुत लालसा नहीं है. हम चाहते हैं कि जिस मान-सम्मान और स्वाभिमान की बात की जाती है, वो बना रहे.’’
10 अगस्त को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ मुलाकात में पायलट की करीब दो घंटे तक चर्चा हुई.
इसके बाद पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, ‘‘सचिन पायलट ने राहुल गांधी जी से मुलाकात की और उन्हें विस्तार से अपनी चिंताओं से अवगत कराया. दोनों के बीच स्पष्ट, खुली और निर्णायक बातचीत हुई.’’
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘इस बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पायलट और अन्य नाराज विधायकों की ओर से उठाए गए मुद्दों के निदान और उचित समाधान तक पहुंचने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगी.’’ ऐसे में राजस्थान के उस सियासी संकट के थमने की उम्मीद जताई जा रही है, जो पिछले महीने चरम पर था. चलिए, इस सियासी संकट के अब तक के बड़े पहलुओं पर एक नजर दौड़ा लेते हैं:
- राजस्थान में हालिया सियासी घमासान तब तेज हुआ था, जब राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) ने राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों के संबंध में 10 जुलाई को एक मामला दर्ज कर नेताओं को नोटिस भेजे थे.
- बताया गया कि एसओजी ने दो मोबाइल नंबरों की निगरानी से सामने आई जानकारी के आधार पर यह मामला दर्ज किया था. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह मामला आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया.
- एसओजी अधिकारियों के मुताबिक, इन नंबरों पर हुई बातचीत से ऐसा लगा कि राज्य सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को लुभाया जा रहा है.
- एसओजी ने मुख्यमंत्री गहलोत, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री पायलट और चीफ व्हिप को इस मामले में बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजकर उनका समय मांगा था.
- इसी बीच, मीडिया रिपोर्ट्स आईं कि एसओजी के लेटर ने पायलट को नाखुश कर दिया और इसे उन्होंने अपमान के तौर पर देखा है.
- यहीं से सरकार की स्थिरता को लेकर गहलोत की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गईं. ऐसे में गहलोत ने इस मामले पर 12 जुलाई को ट्वीट कर कहा, ''एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप, अन्य कुछ मंत्री और विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं. कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है.''
- हालांकि, गहलोत का भी बयान दर्ज करने के लिए उन्हें नोटिस जारी किए जाने के बारे में कई मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि मुख्यमंत्री को नोटिस सिर्फ एक ‘‘छलावा’’ है, ताकि उपमुख्यमंत्री को एसओजी द्वारा तलब और अपमानित किया जा सके.
- इस बीच, गहलोत ने बीजेपी पर भी आरोप लगाए थे. उन्होंने 11 जुलाई को कहा था,‘‘कोरोना वायरस संक्रमण के वक्त में बीजेपी के नेताओं ने मानवता और इंसानियत को ताक पर रख दिया है... ये लोग सरकार गिराने में लगे हैं. ये लोग सरकार कैसे गिरे, किस प्रकार से तोड़-फोड़ करें ... खरीद फरोख्त कैसे करें ... इन तमाम काम में लगे हैं.’’
- गहलोत के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था, ''राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी फिल्म के एक्टर, विलेन और स्क्रिप्ट राइटर हैं. वह अपनी पार्टी के (प्रदेश) अध्यक्ष को किनारे करने के लिए बीजेपी के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं. मैं मांग करता हूं कि वह इस बात को सार्वजनिक करें कि उनके हिसाब से, कितने कांग्रेस विधायक बिकने के लिए तैयार हैं.''
जब पायलट ने गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला
12 जुलाई को सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया, जब उन्होंने दावा किया कि कि 30 से ज्यादा कांग्रेसी और कुछ निर्दलीय विधायक उनके साथ हैं, गहलोत सरकार अल्पमत में है. हालांकि, बाद में विधायकों की संख्या को लेकर उनका दावा सही साबित होता नहीं दिखा.
सचिन पायलट और उनके सहयोगी विधायकों ने 13 जुलाई को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया. उसी रात पायलट खेमे की तरफ से एक वीडियो भी जारी किया गया. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, इस वीडियो में पायलट खेमे के विधायक हरियाणा के मानेसर स्थित एक रिजॉर्ट में रणनीति बनाते दिख रहे थे.
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने 13 जुलाई को ही जयपुर में कहा था, ‘‘एक बार फिर हम सचिन पायलट, सभी विधायक साथियों को लिखकर भी भेज रहे हैं... उनसे अनुरोध करते हैं कि आइए राजनीतिक यथास्थिति पर चर्चा करें.'' उन्होंने 14 जुलाई की कांग्रेस विधायक दल की बैठक को लेकर कहा था, ''मुझे यह विश्वास है कि कांग्रेस पार्टी के सारे विधायक, मंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री इसमें भाग लेंगे.’’ हालांकि सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायक इस बैठक में नहीं पहुंचे.
14 जुलाई को सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया.
इसके साथ ही कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से शिकायत की, कि सचिन पायलट सहित 19 विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठकों में शामिल होने के पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया है, इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने 14 जुलाई को ही इन सभी को अयोग्यता नोटिस जारी कर 17 जुलाई तक जवाब मांगा. इसी बीच, पायलट खेमा इस मामले पर हाई कोर्ट पहुंच गया. हाई कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के अयोग्यता नोटिस पर किसी 'कड़ी कार्रवाई' को लेकर अंतरिम रोक लगा दी. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा.
ऑडियो टेप मामले ने भी पकड़ी तूल
17 जुलाई को रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था, ''कल शाम को दो सनसनीखेज और चौंकाने वाले ऑडियो टेप मीडिया के माध्यम से सामने आए. इन ऑडियो टेप से तथाकथित तौर पर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा और बीजेपी नेता संजय जैन की बातचीत सामने आई है. इस तथाकथित बातचीत से पैसों की सौदेबाजी और विधायकों की निष्ठा बदलवाकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार गिराने की मंशा और साजिश साफ है. यह लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है.'' हालांकि शेखावत और भंवर लाल ने कहा कि उनका इन ऑडियो टेप से कोई लेना देना नहीं है.
इस घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को एक के बाद एक प्रस्ताव भेजे. इसे लेकर माना जा रहा था कि गहलोत विधानसभा में बहुमत साबित कर सियासी घमासान को शांत करना चाहते हैं. हालांकि राज्यपाल ने अलग-अलग वजह बताकर उन्हें 3 प्रस्ताव वापस कर दिए. आखिरकार चौथा प्रस्ताव स्वीकार हुआ, जिसके तहत 14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होना है. इस सत्र के शुरू होने से पहले ही 10 अगस्त को पूरे घटनाक्रम ने अहम मोड़ ले लिया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)