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राजस्थान: लंबी कड़वाहट, पहले ‘गले पड़े’ अब गले मिले पायलट-गहलोत

राजस्थान में विधानसभा सत्र से ठीक पहले हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक

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राजस्थान में सियासी तूफान खड़ा करने वाले सचिन पायलट की वापसी हो चुकी है. करीब एक महीने चली खींचतान, एक दूसरे पर कीचड़ उछालना, आरोप-प्रत्यारोप के बाद पायलट और गहलोत एक दूसरे से मिले. दोनों के एक दूसरे से हाथ मिलाने वाली इस तस्वीर ने वो कहावत याद दिला दी कि राजनीति में सब कुछ संभव है और यहां कोई किसी का हमेशा दुश्मन नहीं होता. पुरानी बातों को भूलकर गहलोत और पायलट एक दूसरे के गले लगे और हाथ भी मिलाया.

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राजस्थान कांग्रेस की तरफ से विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पायलट समेत सभी 19 कांग्रेस के नाराज विधायकों को बुलाया गया था. इस बैठक में सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ पहुंचे और काफी जोशीले अंदाज में गहलोत खेमे के विधायकों से मुलाकात की.

विधानसभा सत्र से पहले गहलोत को मजबूती

ये विधायक दल की बैठक विधानसभा सत्र को लेकर बुलाई गई है. 14 अगस्त को राजस्थान विधानसभा सत्र बुलाया गया है, जिसमें गहलोत को बहुमत साबित करना पड़ सकता है. क्योंकि बीजेपी की तरफ से कहा गया है कि वो सदन में अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले हैं. हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी ने किस आधार पर ये अविश्वास प्रस्ताव वाली बात की है. क्योंकि अगर पायलट की वापसी के बाद राजस्थान की तस्वीर देखें तो गहलोत सरकार पर कोई खतरा मंडराता नजर नहीं आ रहा है.

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बीएसपी विधायकों के मामले पर नजर

गहलोत सरकार को जहां एक तरफ अपने नाराज विधायकों का साथ मिला है, वहीं दूसरी तरफ बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों का मामला अभी तक कोर्ट में लटका पड़ा है. राजस्थान हाईकोर्ट 14 अगस्त को इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा. हालांकि अगर किसी सूरत में हाईकोर्ट की तरफ से विधायकों के खिलाफ भी फैसला आता है तो गहलोत सरकार फिर भी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच जाएगी. क्योंकि पायलट गुट की वापसी के बाद एक बार फिर कांग्रेस विधायकों की कुल संख्या 107 हो चुकी है, वहीं अगर पार्टी में शामिल हुए 6 बीएसपी विधायकों को कम भी कर दें तो कांग्रेस का आंकड़ा 101 रहेगा. इस सूरत में विधानसभा सदस्यों की संख्या भी 200 से कम होकर 194 रह जाएगी. जिसके बाद बहुमत साबित करने के लिए 98 विधायकों की जरूरत होगी. जो मौजूदा हालात में कांग्रेस आसानी से हासिल कर सकती है.

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