रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के एक बयान के बाद विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) पर सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक में बहस छिड़ गई है. दरअसल राजनाथ सिंह ने सावरकर के आजादी से पहले अंग्रेजों को दिये माफीनामे पर कहा था कि,
सावरकर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाया गया, कहा गया कि उन्होंने अंग्रेज़ों के सामने बार-बार माफ़ीनामा दिया, लेकिन सच्चाई ये है कि क्षमा याचिका उन्होंने ख़ुद को माफ़ किए जाने के लिए नहीं दी थी, उनसे महात्मा गांधी ने कहा था कि दया याचिका दायर कीजिए. महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने याचिका दी थी.
राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सावरकर पर उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की किताब 'वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन' के विमोचन कार्यक्रम में ये बयान दिया.
इसके साथ उन्होंने ट्विटर पर राजनाथ सिंह को टैग करते हुए एक गांधी जी का सावरकर को लिखा लेटर भी ट्वीट किया.
''हां एक खास रंग का इतिहास लेखन बिल्कुल बदल रहा है, इस बदलाव का नेतृत्व एक मंत्री कर रहे हैं जिनका कहना है कि गांधी ने सावरकर को माफी मांगने के लिए कहा था. चलिए कम से कम अब ये मान तो लिया गया कि उन्होंने माफीनामे लिखे थे. एक मंत्री के दावे के लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं है. नए भारत का नया इतिहास.''इतिहासकार इरफान हबीब
''इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश''
कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jayram Ramesh) ने ट्विटर पर लिखा कि, राजनाथ सिंह-जी मोदी सरकार में कुछ शांत और सम्मानजनक आवाजों में से हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वे इतिहास को फिर से लिखने की आरएसएस (RSS) की आदत से मुक्त नहीं हैं. गांधी ने वास्तव में 25 जनवरी 1920 को जो लिखा था, उसमें उन्होंने एक मोड़ दिया है. रमेश ने सावरकर के भाई को लिखा गया पत्र भी साझा किया.
उधर वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा कि कोई एक शख्स राष्ट्रपिता नहीं हो सकता है. मैं नहीं मानता कि गांधी राष्ट्रपिता हैं. हमारा राष्ट्र केवल 40-50 साल पुराना नहीं है, ये 5000 साल पुराना है.
कहीं सावरकर को राष्ट्रपिता ना घोषित कर देंः ओवैसी
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा, ''महात्मा गांधी वर्धा में थे और सावरकर सेल्युलर जेल में थे. दोनों के बीच संपर्क कैसे हुआ? जेल में रहते हुए उन्होंने आधा दर्जन बार दया याचिका डाली. माफी मांगने के बाद वो पूरी जिंदगी अंग्रेंजों के साथ रहे और उनके एजेंडे पर काम करते रहे. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने दो राष्ट्र की बात की.''
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने राजनाथ के दावे नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि
क्या वो इस बात का भी इनकार कर देंगे कि सावरकर ने अंग्रेजों को कितने माफीनामे के खत लिखे? अगर ऐसा सिलसिला चलता रहा तो महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता से हटाकर सावरकर को ये लोग राष्ट्रपिता बना देंगे.
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