शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि आज 8 दिन में सातवीं बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इस पर मैं सुषमा स्वराज जी की रिकॉर्डेड स्पीच बयान करना चाहूंगी. उन्होंने सुषमा स्वराज की 2010 के अगस्त महीने की स्पीच को कोट करते हुए कहा कि उस समय चर्चाएं होती थीं मंहगाई और इकोनॉमी को लेकर जिससे आजकल विपक्ष को वंचित रखा जा रहा है. मैं उन्हीं की भाषा में उन्हीं की स्पीच दोहराना चाहूंगी.
प्रियंका चतुर्वेदी ने सुषमा स्वराज की स्पीच दोहराते हुए कहा कि मैं वित्तमंत्री जी से कहना चाहूंगी कि आम आदमी आज जिस परिस्थिति से गुजर रहा है, वर्तमान परिस्थिति को वह जिस शब्द से जानता है और पुरकारता है वो एक मात्र शब्द है और वो है- मंहगाई. वो अपने दर्द को जिस वाक्य में अभिव्यक्त करता है, वह वाक्य है- मार दिया इस मंहगाई ने.
आगे वो बोलती हैं कि...
मुझे यह कहते हुए दुःख है कि इस सरकार की हेकड़ी में रत्ती भर भी कमी नहीं आई है. मैं कहना चाहती हूं कि मैंने ऐसी संवेदनहीन सरकार नहीं देखी. यह सरकार संवेदनहीन भी है और विश्वासघाती भी.
प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे कहा कि अगर उनके शब्दों को हम 2022 में फिर से दोहराएंगे, खासकर उस सरकार पर जिसने 2014 के बाद मंहगाई के मार की बात की हो, तो ये शब्द फिर से लागू होते हैं.
हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग की बात हो रही है, मंहगाई का प्रेशर है, तो जब बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, तो ये मानना लाजमी होगा कि जो हमारे देशवासी हैं, जो युवा हैं वो दूसरे देशों में जा-जाकर रोजगार के माध्यम ढूंढ़ रहे हैं. रोजगार का माध्यम ढूंढ़ने के साथ-साथ जो हमारा टैलेंट ड्रेन हो रहा है वो लगातार जारी है.प्रियंका चतुर्वेदी, सांसद, शिवसेना
उन्होंने आगे कहा कि 2018 की एक बैंक रिपोर्ट के डेटा का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे जो युवा जा रहे हैं, वो तो जा ही रहे हैं, लेकिन जिन लोगों के पास सारी व्यवस्थाएं हैं, उनमें से 23 हजार मिलिनियर्स 2014 के बाद देश छोड़कर जा चुके हैं. सरकार की वजह से ऐसे लोग भी देश छोड़कर जा रहे हैं.
प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन की रिव्यू रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि केवल 2020 में 5 हजार मिलिनियर्स देश छोड़कर जा चुके हैं. हमारे देश की अर्थव्यवस्था की पॉलिसीज की वजह ये हाल बना हुआ है. उन्होंने बताया कि 6 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी है.
जब हम टैलेंट की बात करते हैं कि इसका माइग्रेशन हो रहा है. इससे संबंधित मैं एक आंकड़ा बताना चाहूंगी कि 2020-21 में कहा गया था कि 81.7 बिलियन डॉलर FDI देश में आया था, जो पिछले साल से 10 प्रतिशत ज्यादा था. लेकिन अगर उसी साल की RBI की रिपोर्ट देखते हैं तो उसमें जो एफडीआई आया था उसका सबसे ज्यादा कंपोनेंट फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इंनवेस्टर्स का आया था, जिसका जंप था 6801 प्रतिशत.प्रियंका चतुर्वेदी, सांसद, शिवसेना
उन्होंने आगे कहा कि जो 10 प्रतिशत का हवाला दिया जाता है वो भी ज्यादा से ज्यादा फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स हैं, जो आते हैं स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट करते हैं और जो प्रॉफिट बनता है पैसा निकालकर ले जाते हैं.
प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे कहा कि दो दिन पहले ऑल इंडिया रेडियो के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से एक रिपोर्ट जारी की गई थी, बाद में वो ट्वीट डिलीट करवाया गया. उसमें लिखा था कि विदेशी निवेशकों ने इस साल के पहले तीन महीनों में इंडियन कैपिटल मार्केट से 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है.
उन्होंने आगे कहा कि जो सरकार एफडीआई का हवाला दे रही है, क्या देश की जनता के सामने अपनी इस तरह की उपलब्धियां भी गिनाएगी?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)