लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आ गए हैं. बीजेपी ने पिछली बार से भी बड़ा जनादेश हासिल किया है. लेकिन इसी बीच कुछ ऐसे नेता हैं जिन्होंने साल 2014 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में वह बगावत कर बीजेपी से अलग हो गए. इन नेताओं ने 2019 के चुनाव में दूसरे दलों की टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए.
इन नेताओं की लिस्ट में कभी बीजेपी के स्टार नेता रहे शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद का नाम भी शामिल हैं.
1. शत्रुघ्न सिन्हा- पटना साहिब
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थामने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस ने पटना साहिब से कैंडिडेट घोषित किया था. लेकिन नतीजे आने के बाद बिहारी बाबू इस सीट से हाथ धो बैठे हैं. पटना साहिब से बीजेपी के सीनियर नेता रविशंकर प्रसाद ने 3 लाख से ज्यादा वोटों से शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया है.
2. कीर्ति आजाद- धनबाद
बीजेपी से निलंबित कीर्ति आजाद ने भी कांग्रेस का दामन थामा था लेकिन वो दरभंगा की जगह झारखंड के धनबाद से लड़े. सीट और पार्टी दोनों ही बदलना कीर्ति के लिए सही साबित नहीं हुए. इस सीट पर बीजेपी के कैंडिडेट ने 5 लाख से ज्यादा वोटों से कीर्ति आजाद को हराया.
3. नाना पटोले- नागपुर
साल 2014 में महाराष्ट्र की लातूर से बीजेपी की टिकट पर जीतने वाले नाना पटोले ने बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. 2019 में कांग्रेस की टिकट पर वो नागपुर से चुनाव लड़े लेकिन नितिन गडकरी से 2 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए.
मानवेंद्र सिंह- बाड़मेर
पूर्व केंद्रीय मंंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह के बेटे ने राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान ही बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था. कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह को बाड़मेर से चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन बीजेपी के कैलाश चौधरी ने उनको 3 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया.
श्याम चरण गुप्ता- बांदा
श्याम चरण गुप्ता ने 2019 लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश की बांदा लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई. बीजेपी छोड़ गठबंधन की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले श्याम चरण गुप्ता को बीजेपी के आरके सिंह पटेल ने हराया है. बता दें कि चुनाव से ठीक पहले श्याम चरण गुप्ता बीजेपी छोड़कर एसपी में शामिल हो गए थे.
सावित्री बाई फुले- बहराइच
सावित्री बाई फुले बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही लगातार बगावती तेवर दिखा रहीं थी. एक समय आया जब सावित्री ने पार्टी से नाता तोड़कर कांग्रेस के साथ जाना पसंद किया. कांग्रेस ने सावित्री बाई को टिकट तो दी लेकिन वो अपनी सीट बचाने में नाकाम रहीं और 34, 454 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही.
अशोक कुमार दोहरे- इटावा
2014 के लोकसभा चुनाव में इटावा से बीजेपी के टिकट पर जीतने वाले अशोक कुमार दोहरे ने भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा था. 2019 के चुनाव में पार्टी ने उनको इटावा से टिकट तो दिया लेकिन वो मात्र 16,570 वोट ही बटोर पाए और तीसरे स्थान पर रहे.
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