मध्य प्रदेश के 21 बागी विधायक 12 दिन रिसॉर्ट में रहने के बाद शनिवार को दिल्ली पहुंचे. यहां सभी ने बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत दूसरे नेताओं से मुलाकात की. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन सभी को पार्टी की सदस्यता दिलाई.
इससे पहले पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद 11 मार्च को दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ली थी. सिंधिया ने ये कदम शासन और अन्य मुद्दों पर पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के साथ गंभीर मतभेदों के चलते उठाया था.
ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 22 विधायक पिछले दस दिनों से बेंगलुरु में थे. इनमें से छह विधायकों का इस्तीफा विधानसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिए थे. 16 का इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहे थे. जबकि शिवराज सिंह चौहान का कहना था इन विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. शिवराज सिंह ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट में दो दिन तक बहस चली. सुप्रीम कोर्ट की ओर से फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले के बाद स्पीकर प्रजापति ने भी इस्तीफा दे चुके कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए.
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक फ्लोर टेस्ट होना था. इसके लिए 20 मार्च को दोपहर दो बजे स्पेशल सेशन बुलाया गया था. लेकिन कमलनाथ ने शुक्रवार को दोपहर साढ़े बारह बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. और इस तरह मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई.
फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा देते हुए कहा, "बीजेपी की सरकार को 15 साल मिले और मेरी सरकार को सिर्फ 15 महीने. हमारे विधायकों को प्रलोभन दिया गया. उन्हें बंधक बनाया गया.पूरे प्रदेश की जनता ने देखा कि किस तरह लोकतंत्र की हत्या हुई और जनादेश का अपमान हुआ..”
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