महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच चल रहे युद्ध पर आज आरएसएस के अखबार तरुण भारत ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर जमकर प्रहार किया है. उद्धव आणि ‘बेताल’ यानी ‘उद्धव और बेताल’ शीर्षक से लिखे गए इस आर्टिकल में शिवसेना प्रमुख उद्धव की जमकर खिंचाई की गई है.
तरुण भारत ने अपने संपादकीय में लिखा है-
इतिहास में जैसे विक्रम और बेताल की कहानी सुनी है, वैसे ही आज महाराष्ट्र उद्धव और “बेताल” की कहानी सुन रहा है.
तरुण भारत के संपादकीय की बड़ी बातें-
1. राज्य में दो-तिहाई किसान प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित हैं और उनका दुख और दर्द कुछ लोगों के अहंकार के घेरे में फंसा हुआ है. महाराष्ट्र कभी भी शिवसेना को माफ नहीं करेगा. ये कड़वा सच है. शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को हमेशा ये कहते हुए सुना है कि हमारे लिए सत्ता नहीं, किसान अहम है.
2. इतना ही नहीं संपादकीय में लिखा है तरुण भारत ने लिखा है कि शिवसेना के संस्थापक बालासाहब ठाकरे ने पूरी जिंदगी कांग्रेस का विरोध किया. आज ये ‘बेताल' (संजय राउत) बाला साहेब के पूरे संघर्ष को धूल में मिलाने के पीछे लगा है.
3. राज्य में दो-तिहाई किसान प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित हैं और उनका दुख और दर्द कुछ लोगों के अहंकार के घेरे में फंसा हुआ है. महाराष्ट्र कभी भी शिवसेना को माफ नहीं करेगा. ये कड़वा सच है. सुबह मीडिया को बाइट देना और सरकार चलाने में अंतर होता है.
4. 1990 और 1995 में शिवसेना की ज्यादा सीट होने की वजह से उनका मुख्यमंत्री बना...2004 में शिवसेना की सीट ज्यादा होने के चलते उनका विपक्ष का नेता बना...2009 में शिवसेना 45 और बीजेपी के 46 सीट होने की वजह से बीजेपी का नेता विपक्ष बना ...तो आज बीजेपी की ज्यादा सीट होने पर भी शिवसेना सीएम पद के लिए कैसे जिद कर सकती है??
5. संजय राउत कहते हैं कि शिवसेना के साथ गठबंधन के चलते बीजेपी को 105 सीटें मिली. नहीं तो 75 सीट ही मिलतीं...तो क्या बीजेपी अगर शिवसेना के साथ नहीं होती तो क्या शिवसेना को 56 सीटें मिलती? शिवसेना 20 सीट से ज्यादा जीत पाती क्या ?
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