पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus) से मचे बवाल पर शिवसेना के मुखपत्र सामना के जरिये केंद्र सरकार पर हमला बोला है. पेगासस का बाप कौन? इस शीर्षक के तहत शिवसेना ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. इस पूरे मामले की जांच ‘जेपीसी’ यानी संयुक्त संसदीय समिति द्वारा कराई जाए, या सुप्रीम कोर्ट से ‘सुओ मोटो’ दायर करके स्वतंत्र जांच समिति नियुक्ति की जाए ऐसी मांग शिवसेना ने की है.
सामना के संपादकीय में संजय राउत ने सवाल किया है कि,
हमारे गृहमंत्री श्री शाह कहते हैं- ‘देश और लोकतंत्र को बदनाम करने की यह अंतर्राष्ट्रीय साजिश है!’ गृहमंत्री द्वारा ऐसा बयान दिया जाना आश्चर्यजनक है. देश को बदनाम निश्चित तौर पर कौन कर रहा है, यह श्रीमान गृहमंत्री बता सकते हैं क्या? सरकार आपकी, देश और लोकतंत्र आपका। फिर ये सब करने की हिम्मत किसमें निर्माण हुई?'
संजय राउत बंगाल चुनाव में इसके इस्तेमाल की संभावना पर कहते है कि, 'पेगासस’ जासूसी का दायरा काफी अधिक है. देश के नागरिकों का पैसा उन पर नजर रखने के लिए उनका फोन ‘हैक’ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे राष्ट्रभक्ति का कौन-सा प्रकार माना जाए? ममता बनर्जी के भांजे सांसद अभिषेक बनर्जी के फोन पर पेगासस से हमला किया गया. ममता बनर्जी को पराजित करने के लिए राजनीति किस स्तर तक गिर गई थी, ये देखें. चार मुख्यमंत्रियों का फोन सुना गया, उनमें ममता बनर्जी होंगी ही! राजनीतिक विरोधियों पर गैरकानूनी निगरानी रखना, उनकी बातें छुपकर सुनना यह उनके निजी जीवन पर हमला है.'
शिवसेना ने सामना के जरिये मांग की है कि, 'महाराष्ट्र के कुछ अधिकारी और पहले की सरकार कई विरोधियों के फोन गैरकानूनी ढंग से सुनती थी और उस बारे में वर्तमान समय में जांच चल रही है. कर्नाटक के दिवंगत मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगडे को पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
विरोधियों का फोन ‘टैप’ किए जाने का आरोप उन पर लगाया गया था. हेगडे ने उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा. अब पेगासस जासूसी प्रकरण की जिम्मेदारी कौन लेगा? मुट्ठीभर लोग आपातकाल लादने जैसा काला दिन हर साल मना रहे हैं. ‘पेगासस’ का हमला आपातकाल से ज्यादा भयंकर है. ‘पेगासस’ के असली बाप हमारे देश में ही हैं, उन्हें ढूंढ़ो.
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