राजस्थान (Rajasthan) में वसुंधरा राजे सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार मामले की जांच को लेकर कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) का एक दिवसीय अनशन खत्म हो गया. कांग्रेस ने अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया तो पायलट ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी. लेकिन, इस अनशन ने कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिये, जिसका जवाब दोनों को विधानसभा चुनाव से पूर्व निकालना होगा.
सचिन पायलट ने अनशन खत्म करते हुए क्या कहा?
वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने अनशन किया. अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
इस संबंध में मुख्यमंत्री को दो-दो बार पत्र लिखा लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया.
4 साल से ज्यादा का वक्त बीत गया, मुझे उम्मीद थी कि कार्रवाई होगी लेकिन नहीं हुई.
संगठन से जुड़ा मामला होता तो ये आंतरिक बात होती लेकिन ये भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है.
मैं उम्मीद करता हूं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी जो मुहीम है इसे पूरे देश में गति मिलेगी.
चुनाव में अगर हम जाएंगे तो लोगों को लगना चाहिए कि हमारी कथनी और करनी में फर्क नहीं है.
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी रंधावा पर पायलट क्या बोले?
सचिन पायलट के अनशन से एक दिन पहले राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक बयान जारी करते हुए अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया और कहा था कि उन्हें अपनी बात पार्टी फोरम में रखनी चाहिए. इस पर सचिन पायलट ने दो टूक जवाब दिया और कहा, "संगठन से जुड़ा मामला होता तो ये आंतरिक बात होती लेकिन ये भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है."
सुखजिंदर सिंह रंधावा कुछ दिन पहले ही प्रभारी बने हैं. मैंने पूर्व के प्रभारियों से भी बात की थी लेकिन भ्रष्टाचार का यह मामला अभी तक बना हुआ है. हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना चाहिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.सचिन पायलट, पूर्व डिप्टी CM, राजस्थान
पायलट के बयान का मतलब क्या है?
सचिन पायलट ने आज जो बातें कहीं उससे साफ है कि उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को साफतौर पर संदेश दे दिया कि वो अब उनको लेकर जल्द निर्णय करे नहीं तो वो खुद कोई बड़ा कदम उठा लेंगे. हालांकि, कांग्रेस भी पायलट को लेकर पसोपेश में फंसी हुई है. इसी का नतीजा है कि पार्टी का कोई बड़ा नेता खुलकर उनके खिलाफ नहीं बोल पा रहा है.
पायलट को लेकर कांग्रेस चुप क्यों है?
दरअसल, सचिन पायलट जिन मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसी के खिलाफ कांग्रेस लड़ती आयी है. ऐसे में पायलट पर कार्रवाई कांग्रेस के लिए सेल्फ गोल साबित हो सकता है. दूसरा, पायलट ने हमेशा सालीन भाषा का प्रयोग किया, जबकि इसके उलट गहलोत ने पायलट के खिलाफ कई बार कठोर शब्दों का प्रयोग किया. इसके अलावा पायलट ने आज तक कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ भी कोई ऐसा बयान नहीं दिया जिससे उनेक खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
सचिन पायलट ने हमेशा कहा है कि वो सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपना नेता मानते हैं. उन्होंने अब तक अपने सारे मुद्दे हाईकमान के सामने रखें हैं और उन्हें उस पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है. ऐसे में पायलट का पलड़ा भारी है.
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो, सचिन पायलट की लोकप्रियता राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी हैं. 2018 के चुनाव में अगर कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी तो उसमें सचिन पायलट की अहम भूमिका थी.
कांग्रेस के लिए गहलोत अहम क्यों हैं?
दूसरी तरफ, कांग्रेस अशोक गहलोत को भी इग्नोर नहीं कर सकती है. वो गांधी परिवार के पुराने वफादार मानें जाते हैं. गहलोत राजस्थान में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनकी सरकार और संगठन दोनों पर मजबूत पकड़ है. उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता से दूर कर सकती है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा भी है कि अशोक गहलोत आज के नेता हैं और सचिन पायलट भविष्य के नेता हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं कांग्रेस अपने वर्तमान और भविष्य दोनों को बचाए रखना चाहती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)