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पहली नजर में, संदेशखाली ऐसा लग रहा था जैसे यह सामान्य स्थिति में वापस आ गया हो. मीडिया की उपस्थिति कम हो गई थी, दुकानें खुली थीं और लोगों की एक स्थिर धारा घाट से सुंदरबन के गांव में आ रही थी. हालांकि, यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे ही रात होती है, एक डर फिर से सताने लगता है.
पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से निलंबित कद्दावर नेता शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के बाद भी संदेशखाली के लोगों को चिंता है कि वह बदला लेने के लिए वापस आ सकता है.
शाहजहां (जो एक कथित राशन वितरण घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में है) पर संदेशखाली के ग्रामीणों द्वारा महिलाओं के नेतृत्व में किए गए विरोध प्रदर्शन में जबरन वसूली, धमकी, भूमि हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है.
विरोध प्रदर्शन के कारण सबसे पहले शाहजहां के दो सहयोगियों- उत्तम सरदार और शिबू हाजरा को गिरफ्तार किया गया. आखिरकार, 55 दिनों तक फरार रहने के बाद शाहजहां को 29 फरवरी को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और 6 मार्च को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया था.
जब क्विंट हिंदी ने शाहजहां की गिरफ्तारी के अगले दिन संदेशखाली का दौरा किया तो विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने शाहजहां की "बॉडी लैंग्वेज" के बारे में बात की, जब उसे गिरफ्तारी के बाद अदालत ले जाया जा रहा था.
'मैंने यहां कई शेख शाहजहां बनाए हैं'
प्रदर्शनकारियों में से एक मिनोती पात्रा (बदला हुआ नाम) ने बताया, "उसका हाव-भाव, जिस तरह से वह पुलिस पर उंगली हिला रहा था, ऐसा लग रहा था कि वह बदला लेने के लिए वापस आएगा. वह हमें मार भी सकता है. भले ही वह जेल में हो, वह वहां से चीजों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा इसलिए हम अभी भी डरे हुए हैं."
जब हमने सुना कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है तो हमें खुशी हुई लेकिन हमें अभी भी शांति नहीं मिली है. शेख शाहजहां ने कहा कि भले ही मैं मर जाऊं लेकिन मैंने बहुत से शेख शाहजहां पैदा किए हैं. उनके लोग अभी भी बड़े पैमाने पर हैं. हमें डर है कि वे हमारे साथ क्या करेंगे.मिनोती पात्रा
मिनाटो की पड़ोसी, राखी पात्रा (बदला हुआ नाम), यही बात बताने के लिए अपना चोटिल चेहरा दिखाती है.
राखी पात्रा ने कहा, "हमने मीडिया से बात की और उन्हें अपनी व्यथा बताई. हमें उस समय समझ नहीं आया कि हमें अपना चेहरा छिपा लेना चाहिए था, नहीं तो वे हमें निशाना बनाते और हमारी जिंदगी बर्बाद कर देते. जो भी मीडिया से बात करता था उसे हत्या की धमकी दी जाती थी. मेरे साथ सड़कों पर मारपीट की गई."
वो शाहजहां के शासन के पीड़ितों के प्रति सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार की स्पष्ट उदासीनता की भी आलोचना करती हैं.
चूंकि हमने अपना चेहरा ढका हुआ है इसलिए मुख्यमंत्री (टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी) ने हमें बाहरी कहा लेकिन अगर हम अपना चेहरा उजागर करते हैं तो वे हमें निशाना बना रहे हैं.राखी पात्रा
'वह भगवान था'
गांव के निवासी अभी भी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था, समाज और राजनीति पर शाहजहां के दबदबे को याद करते हैं.
गांव की निवासी संध्या सिन्हा याद करती हैं कि कैसे उनके परिवार को तब पीटा गया था जब वे शाहजहां के मछलीपालन में काम करने के बाद मजदूरी मांगने गई थी.
उन्होंने कहा, "12-13 साल से हम पर अत्याचार हो रहा है. शुरू में यह कम था, उन्होंने हमें अच्छे जीवन की कुछ उम्मीद दिखाई थी. इसके बाद महिलाओं का उत्पीड़न, जमीन पर कब्जा, कृषि भूमि को जबरन मछली पालन के लिए परिवर्तित करना और पोल्ट्री फार्म बनाने के लिए जमीन पर कब्जा करने की घटनाएं शुरू हुईं."
हमने सोचा कि अगर हम उसके लिए काम करेंगे तो हमारा घर चलेगा. जब हमने अपने काम के लिए पैसे मांगे तो हमें पीटा गया. आपको काम करते रहना चाहिए लेकिन आप पैसे नहीं मांग सकते. यहां, वह भगवान था.संध्या सिन्हा, संदेशखाली की निवासी
जहां संध्या, चंदना पात्रा (बदला हुआ नाम) के घर में रहती हैं. जब क्विंट हिंदी उनके दरवाजे पर पहुंचा तो चंदना ने बात करने से इनकार कर दिया, भले ही वह पहले भी टेलीविजन इंटरव्यू दे चुकी थीं. वह कहती हैं कि तब से उन्हें धमकियां मिल रही हैं और इसलिए वह अब कहानी नहीं सुनाना चाहतीं. कुछ समझाने-बुझाने के बाद, वह आठ महीने पहले हुई अपनी आपबीती के बारे में खुलती हैं.
मैं सड़क के किनारे बैठी थी. मेरा बेटा ट्यूशन पढ़ने गया था और मैं उसका इंतजार कर रही थी. रात के करीब 8-8.30 बज रहे थे. तीन लोग आए- मैं उनका नाम नहीं लूंगी. उन्होंने मुझे अकेले बैठे देखा और मेरा हाथ पकड़ लिया. वे मुझे खींचकर ले जाने लगे. मैं चिल्लाई तो उन्होंने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया. उन्होंने मुझे कुछ दूर तक घसीटा. फिर जब हम एक ऐसी जगह पर पहुंचे जहां स्ट्रीट लाइटें थीं तो मैंने उनमें से एक आदमी का चेहरा देखा. हमने एक दूसरे को पहचान लिया फिर उन्होंने मुझे जाने दिया.चंदना पात्रा
इस घटना ने उसे और उसके परिवार को सदमे में डाल दिया है.
अन्य ग्रामीण धमकी और हिंसा की कहानियां सुनाते हैं.
कभी-कभी महिलाओं को देर रात पार्टी की बैठकों में और कभी-कभी पार्टी की रैलियों में जबरन ले जाया जाता था.
एक प्रदर्शनकारी महिला ने कहा, "अगर हम किसी पार्टी की बैठक या रैली में नहीं जाते तो वे हमें धमकाने और लोगों पर अत्याचार करने के लिए हमारे घर पर लोग भेजते थे. वे हमारे बच्चों को मारने और जिंदा जलाने की धमकी देते थे. उन्होंने स्कूल से वापस आ रहे बच्चों को भी धमकाया."
हमने पुलिस से शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने हमारी शिकायत दर्ज नहीं की. वे हमारे साथ खड़े नहीं हुए. उन्होंने हमारी मदद नहीं की.प्रदर्शनकारी महिला
गांव वाले अब चाहते हैं कि शाहजहां को किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया जाए.
एक अन्य प्रदर्शनकारी महिला ने कहा, "राज्य पुलिस उसे सजा नहीं दे सकेगी. हमें राज्य पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है. हम कई बार उनके पास गए और उनसे हमारी समस्याओं का समाधान करने को कहा लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. दरअसल, उन्होंने हमें शाहजहां शेख और शिबू हाजरा के पास जाने के लिए कहा. उन्होंने ही शाहजहां को इतने समय तक छुपाये रखा. अन्यथा वह कई दिन पहले पकड़ा गया होता. हमारे दबाव डालने के बाद उन्होंने उसे पकड़ लिया."
'हमारी जमीनें छीन लीं, हमें वोट नहीं देने दिया'
संदेशखाली द्वीप सुंदरबन डेल्टा के बाहरी किनारे पर है जो लगातार तूफानों और चक्रवातों से प्रभावित रहता है. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का यह क्षेत्र टीएमसी का गढ़ है. यहां की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि और मत्स्य पालन है.
संदेशखाली के ग्रामीणों का दावा है कि शाहजहां और उसके सहयोगियों ने जबरदस्ती उनकी कृषि भूमि को मछली पालन के लिए परिवर्तित कर दिया. इसके बाद, उन्हें उस जमीन के लिए पट्टे की रकम नहीं दी गई जो उन्होंने छोड़ दी थी. मछलीपालन में उन्होंने जो काम किया उसका भी भुगतान नहीं किया गया.
संदेशखाली में प्रदर्शनकारियों में से एक रंजना सिंह ने कहा, “उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हम अपनी 2 बीघे जमीन छोड़ना चाहते हैं. हमने कहा नहीं और फिर एक दिन हमने देखा कि उन्होंने हमारी जमीन को खारे पानी से भर दिया है फिर उन्होंने कहा कि तुम्हें जो करना है करो. जब हमारे परिवार के सदस्य विरोध करने गए तो उन्हें पीटा गया.”
रंजना सिंह ने आगे कहा, "उन्होंने हमसे कहा कि वे हमें लीज मनी देंगे लेकिन वह भी हमें कभी नहीं मिली."
एक बार खारा पानी मिल जाने पर कृषि भूमि कृषि योग्य नहीं रह जाती है. विरोध प्रदर्शन के बाद, 250 से अधिक ग्रामीणों ने बंगाल सरकार की मदद से अपनी जमीन वापस पा ली है. अब, इन जमीनों से पानी निकाला जा रहा है ताकि ग्रामीण फिर से खेती शुरू कर सकें लेकिन जमीन तैयार होने में थोड़ा वक्त लगेगा. पानी बाहर निकालने के बाद, ग्रामीणों को मानसून की बारिश का इंतजार करना होगा ताकि नमक बह जाए और जमीन फिर से खेती योग्य हो जाए.
यह सिर्फ जमीन पर कब्जा नहीं है. ग्रामीणों ने स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों के मतदान के दौरान डराने-धमकाने का भी आरोप लगाया.
ममोनी सिन्हा (जिन्होंने जोर देकर कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनकी पहचान छुपाई जाए) ने कहा, "हम मतदान केंद्रों पर जाते थे, वे हमारी उंगली पर स्याही लगाते थे और हमें घर जाने के लिए कहते थे. हमें बूथ के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी. जो कोई भी विरोध करता, उसे फिर से पीटा जाता या गांव से बाहर निकालने की धमकी दी जाती.”
उन्होंने आगे कहा, "हमारा आंदोलन - महिलाओं का आंदोलन - तब तक जारी रहेगा जब तक शेख शाहजहां को मौत की सजा नहीं दी जाती. अगर कोई दोबारा हमारे साथ ऐसा करने की कोशिश करता है तो उन्हें पता होना चाहिए कि संदेशखाली की महिलाएं क्या कर सकती हैं."
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