उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से चिन्मयानंद केस की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) का गठन करने के बाद अब चिन्मयानंद का रिएक्शन आया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एसआईटी के गठन पर कहा है कि इस जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने एसआईटी गठन करने का फैसला लिया था.
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई और यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी पर चिन्मयानंद ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट में आज भी मामला विचाराधीन है. आज भी मामला चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अब तक जो निर्देश दिए हैं उससे हम खुश हैं. मुझे विश्वास है कि एसआईटी की जांच में दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने आ जाएगा. मेरी छवि को कलंकित करने की जो कोशिश की गई है उसमें लोगों को जवाब मिलेगा.”
यूपी के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने इंस्पेक्टर जनरल (IG) नवीन अरोड़ा के नेतृत्व में एसआईटी टीम का गठन करने का फैसला लिया है. इसमें सेनानायक 41वीं वाहिनी पीएसी भारती सिंह को भी नामित किया गया है. शासन ने आईजी को निर्देश दिया है कि वो इस टीम में साफ छवि के अन्य पुलिस अधिकारियों को शामिल करेंगे.
शासन की ओर से दिए गए निर्देश-
- शाहजहांपुर के एसएस लॉ कॉलेज की छात्रा और भाई की ओर से लगाए आरोपों की निष्पक्ष जांच हो
- निष्पक्ष जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) टीम का गठन
- छात्रा और उसके भाई की पढ़ाई किसी दूसरे कॉलेज से कराई जाए
- छात्रा और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए
- मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी ने बरेली स्थित महात्मा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय (MGPU) के कुलपति को छात्रा और उसके भाई का एडमिशन कराने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
पूर्व सांसद और केंद्र की वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके चिन्मयानंद पर शाहजहांपुर के एसएस लॉ कॉलेज की एक छात्रा ने 'उत्पीड़न और कई लड़कियों के जीवन को तबाह करने' का आरोप लगाया है. छात्रा ने ये दावा सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक वीडियो क्लिप में किया था.पीड़ित लड़की के पिता के मुताबिक, 23 अगस्त को वीडियो वायरल होने के बाद छात्रावास में लड़की के कमरे में ताला लगा पाया गया था. इसके बाद 24 अगस्त को दिल्ली के एक मोबाइल नंबर से उनकी बेटी का फोन आया, जिसमें उसने बताया कि वो ठीक है. इससे आगे उसकी परिजनों से ज्यादा बात नहीं हो सकी.
मामला तूल पकड़ता देख यूपी पुलिस ने लापता लड़की को खोजने के लिए सात टीमें बनाईं थीं. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए पीड़ित लड़की के छात्रावास का कमरा सील कर दिया था. 30 अगस्त को उत्तर प्रदेश पुलिस ने लड़की को राजस्थान से ढूंढ निकाला. इसी दिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी पुलिस ने शाहजहांपुर केस की पीड़िता को जज के सामने पेश किया.
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