महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. लेकिन इसके बाद भी शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी है. शिवसेना को सरकार बनाने का मौका मिला लेकिन उसने उस मौके को गंवा दिया. जिसके लिए अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल पर जमकर हमला बोला है. सामना में एक बार फिर बताया गया है कि राज्यपाल ने शिवसेना को जानबूझकर कम वक्त दिया. सामना में लिखा है-
“सरकार स्थापना के लिए कम से कम 24 घंटे बढ़ाने की बात लेकर राजभवन पहुंचे नेताओं के बारे में जहां राज शिष्टाचार का पालन नहीं हुआ वहां 24 मिनट भी समय बढ़ाकर मिल सकता था क्या? ठीक है, हमने थोड़ा समय मांगा लेकिन दयालु राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लागू करके बहुत समय दिया है. मानो महाराष्ट्र पर जो आपातकाल का सिलबट्टा घुमाया गया है उसकी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी.”
'राज्यपाल का संघ से है नाता'
शिवसेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाता संघ से बताया है. जिसमें ये इशारा किया गया है कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन का फैसला केंद्र के इशारों पर किया है. सामना में लिखा गया है-
“विधानसभा को 6 महीने के लिए स्थगित करके राज्यपाल ने उसके प्रशासकीय सूत्रों को राजभवन के नियंत्रण में ले लिया है. अब वे सलाहकारों की सहायता से इतने बड़े राज्य की देखरेख करेंगे. राज्यपाल कई सालों तक संघ के स्वयंसेवक थे. वे उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन महाराष्ट्र अलग राज्य है. इसका आकार और इतिहास भव्य है. यहां डेढ़ा-मेढ़ा कुछ नहीं चलेगा.”
इतने बड़े राज्य में सरकार स्थापना के लिए 48 घंटे भी नहीं दे रहे होंगे तो दया कुछ तो गड़बड़ है...
'हम अंगारों पर चलने वाले लोग हैं'
सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र कोई जुए में खेलने वाली चीज नहीं है. सामना के संपादकीय में लिखा है, सरकारें आएंगी जाएंगी लेकिन अन्याय से लड़ने की महाराष्ट्र की प्रेरणा अजेय है. महाराष्ट्र ने कभी किसी की पीठ पर वार नहीं किया. हम सुलगते हुए अंगारों पर चलने वाले लोग हैं. ये अंगारे बुझे हुए कोयले नहीं हैं. अंगारों से मत खेलो. लेकिन कोयला समझकर अंगारों को हाथ में लोगे तो जलोगे ही और मुंह भी काला कर लोगे. हम किसी भी तरह के संघर्ष के लिए तैयार हैं.
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