''पॉप स्टार रिहाना ने दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन को समर्थन क्या दिया, प्रधानमंत्री मोदी के भक्तों में खलबली मच गई.'', ऐसा लिखा गया है शिवसेना के मुखपत्र सामना के ताजा अंक में. किसानों को मिल रहे इंटरनेशनल समर्थन पर सामना में एक लेख छपा है, जिसे उसके कार्यकारी संपादक संजय राउत ने लिखा है.
सामना में लिखा गया है, ''दिल्ली की सीमा पर स्थित गाजीपुर में किसानों का आंदोलन भड़क उठा है. पूरी दुनिया से उन्हें समर्थन मिल रहा है. यह हमारे देश में हस्तक्षेप है, ऐसा दुष्प्रचार शुरू हो गया है. गाजीपुर का आंदोलन बागियों का अथवा देशद्रोहियों का नहीं है. ये हमारे हाड़-मांस के किसान हैं. वे ‘जयहिंद’ का नारा देते हुए लड़ रहे हैं.''
शिवसेना नेता राउत ने लिखा है,
- '' पॉप स्टार रिहाना द्वारा दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन को समर्थन देते ही प्रधानमंत्री मोदी के भक्तों में खलबली मच गई. स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस के खुलकर किसानों के समर्थन में उतरते ही अक्षय कुमार, कंगना रनौत, सचिन तेंदुलकर से लेकर लता मंगेशकर तक सभी ‘सेलिब्रिटीज’ ने अचानक अपना मत सोशल मीडिया पर व्यक्त किया- ‘किसान आंदोलन हमारे देश का आंतरिक मामला है. उसमें विदेशी हस्तक्षेप नहीं चाहिए.’ ऐसा इन प्रमुख लोगों को प्रत्यक्ष दर्शन हुआ.''
- ''लेकिन बीते तीन महीनों से किसान अकेले संघर्ष कर रहे हैं, उस पर साधारण संवेदना भी इन प्रमुख लोगों ने व्यक्त नहीं की. किसानों को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलते ही सरकार ने उनके विरोध में इन ‘सेलिब्रिटीज’ को उतार दिया.''
राउत ने लिखा है कि किसानों का संघर्ष इंसानियत और न्यायिक अधिकार की लड़ाई है, दुनियाभर में ऐसी हर लड़ाई को मानवतावादी समर्थन देते ही हैं, किसान देश में विद्रोह नहीं करना चाहते हैं और वे देश को तोड़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.
इसके अलावा उन्होंने लिखा है,
- ''ट्रंप के प्रचार के लिए मोदी ने अमेरिका और अहमदाबाद में प्रचार सभा की. वो भी उनके देश में हस्तक्षेप था इसलिए रिहाना का विषय स्वतंत्र है.''
- ''किसानों को देश का दुश्मन मानकर सरकार जंग के मैदान में उतर गई है.''
लेख के आखिरी हिस्से में राउत ने लिखा है कि विदेशी लोगों की ओर से भारत के कलाकारों का गुणगान किया जाना चलता है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन करना देश में हस्तक्षेप लगता है, ''अब रिहाना के समर्थन के लिए जो खड़े रहेंगे उन्हें ‘देशद्रोही’ ठहराया जाएगा. देशद्रोह का कानून हमारे देश में बेहद सस्ता हो गया है.''
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