क्या चचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और भतीजे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) में पैचअप हो रहा है? शिवपाल यादव के हालिया ट्वीट के बाद ये सवाल पूछा जा रहा है.
जैसा कि आप देख सकते हैं इस ट्वीट के साथ शिवपाल यादव ने एक फोटो भी है, जिसमें अखिलेश यादव और डिंपल यादव के साथ शिवपाल एक ही फ्रेम में दिख रहे हैं.
फोटो के साथ शिवपाल ने लिखा है,
''जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने...उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से...''
यहां ये भी बताना जरूरी है कि शिवपाल से मुलाकात करने के लिए खुद अखिलेश और डिंपल उनके घर पहुंचे थे. यानी कि पैचअप की जरूरत उन्होंने भी महसूस की है. 45 मिनट चली इस मुलाकात के बाद अखिलेश ने भी ट्वीट किया कि मैनपुरी के मतदाता के साथ घर के बड़ों का भी आशीर्वाद है.
इस मुलाकात को टॉप सीक्रेट रखा गया. मुलाकात के दौरान घर के सदस्यों के अलावा किसी को घर में एंट्री नहीं मिली. सुरक्षा के जवान एवं निजी पीएसओ भी बाहर कर दिया गया.
मुलाकात के मायने
डिंपल यादव की तस्वीर को क्या इस बात का इशारा माना जाए कि मुलायम की सीट मैनपुरी से उपचुनाव लड़ रहीं डिंपल यादव को चचिया ससुर शिवपाल यादव का भी पूरा सहयोग है? बुधवार को जसवंतनगर में शिवपाल ने कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक की थी. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं कि लेकिन उनसे मिले कार्यकर्ताओं ने बताया कि शिवपाल ने मैनपुरी में डिंपल का समर्थन करने की नसीहत दी है. लेकिन फिर शिवपाल डिंपल के नामांकन में नहीं गए. लिहाजा कह सकते हैं कि शिवपाल असमंजस की स्थिति में हैं.
एक तरफ उनकी अपनी पार्टी है, दूसरी तरफ परिवार है. घर के मुखिया मुलायम के जाने के बाद अब जिम्मेदारी उनपर भी है. अगर दूरियां बनी रहीं तो जवाबदेही अब मुलायम की नहीं, अखिलेश के बाद शिवपाल की भी होगी. दूसरी तरफ अखिलेश जिस अंदाज में काम करते हैं, उसमें अपनी पार्टी प्रसपा कार्यकर्ताओं को कैसे समझाएंगे?
मैनपुरी में मैडम को क्यों चाहिए चाचा का आशीर्वाद
ये सीट चूंकि मुलायम का गढ़ रही है, लिहाजा उम्मीद है कि डिंपल यादव को यहीं बहुत दिक्कत नहीं आएगी. वैसे भी इस सीट पर कांग्रेस और बीएसपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, लिहाजा सीधा मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है. लेकिन बीजेपी ने जिस शख्स को इस सीट पर टिकट दिया है जरा उसपर भी गौर कीजिए. बीजेपी उम्मीदवार हैं रघुराज सिंह शाक्य. वही रघुराज जो समाजवादी पार्टी से दो बार सांसद बन चुके हैं और जो शिवपाल के बेहद करीबी रहे हैं. ऐसे में अगर शिवपाल डिंपल के पक्ष में खुलकर आते हैं तो रघुराज को बड़ा नुकसान हो सकता है.
लेकिन क्या शिवपाल की घर वापसी हो चुकी है?
अभी ये कहना जल्दबाजी होगी. मुलायम सिंह की मौत के बाद शिवपाल और अखिलेश जमाने बाद इतने कम अंतराल में एक जगह दिख रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद अभी हाल में शिवपाल से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या दोनों पक्ष एक साथ आएंगे. इस पर शिवपाल ने कहा कि उनकी अपनी पार्टी है और अपने कार्यकर्ताओं से मिलकर वो अपनी रणनीति बनाएंगे.
मुलायम की मौत के बाद दोनों में करीबियां बढ़ी हैं लेकिन इतनी नहीं कि दूरियां खत्म हो जाएं. अच्छी बात है कि हाथ नहीं बढ़ाने के लिए याद किए जाने वाले अखिलेश चाचा की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. सवाल सिर्फ मैनपुरी उपचुनाव का नहीं है. 2024 के समर में सपरिवार लड़ेंगे तो संभवानाएं बढ़ेंगी.
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