बजट पेश होने से ठीक पहले शिवसेना ने कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल से टैक्स की सीमा बढाने की मांग की है. शिवसेना की तरफ से एक लेटर गोयल को सौंपा गया, जिसमें टैक्स में छूट की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने की मांग की गई है.
सवर्ण आरक्षण का जिक्र
शिवसेना ने अपने इस प्रस्ताव में सर्वण आरक्षण का जिक्र किया है. प्रस्ताव में लिखा गया है कि पार्लियामेंट के विंटर सेशन में हमारी सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है. जिसमें आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई. यही मांग शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे भी लंबे समय से कर रहे थे. वो भा चाहते थे कि आरक्षण जाति के आधार की बजाय आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिए. जिससे एक मजबूत भारत का निर्माण हो सके.
आर्थिक आधार पर आरक्षण में 8 लाख रुपये तक का स्लैब रखे जाने के बाद कई तरफ से यह मांग उठ रही है कि जब 8 लाख रुपये कमाने वालों को आर्थिक तौर पर कमजोर माना गया है, तो टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये क्यों ?
8 लाख के दायरे की बात
दोनों सदनों में आरक्षण बिल पास होने के बाद अब यह एक कानून बन चुका है. इस बिल के मुताबिक आरक्षण के दायरे में वो लोगआएंगे जिनकी फैमिली इनकम 8 लाख तक है. ऐसे सभी परिवारों को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया जाएगा.
जब 8 लाख इनकम पर आरक्षण तो टैक्स क्यों?
शिवसेना ने वित्त मंत्री को लिखा कि फिलहाल 2.5 लाख रुपये की इनकम पर कोई भी टैक्स नहीं लगता है. लेकिन जो भी व्यक्ति 2.5 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है, उससे टैक्स वसूला जाता है. वहीं सरकार ने जो आरक्षण देने का दायरा तय किया है, उसमें 8 लाख तक की आय वालों को भी आरक्षण देने का प्रावधान है. जिसका सीधा मतलब है कि ये लोग भी आर्थिक तौर पर कमजोर हैं. इसीलिए उन्हें आरक्षण दिया जाएगा.
शिवसेना की तरफ से कहा गया है कि जब 8 लाख इनकम पर आरक्षण का प्रावधान है तो टैक्स में छूट की सीमा भी यही होनी चाहिए. इसीलिए बजट 2019-20 में टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढाकर 8 लाख रुपये की जाए. ऐसा होने से देश के आम लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी.
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