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सोनिया गांधी कांग्रेस को पटरी पर लाने के लिए ज्यादा सक्रिय, एक्शन देते हैं संकेत

सोनिया गांधी ने पार्टी के अंदर विद्रोही समूह के साथ विचार-विमर्श किया है, जो राहुल गांधी के कामकाज से सहज नहीं हैं.

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हालिया चुनावी हार के बाद कांग्रेस (Congress) नेताओं ने पार्टी नेतृत्व, जवाबदेही और आगे की राह पर सवाल उठाए, लेकिन अब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) संसद के अंदर और बाहर सक्रिय हो गई हैं ताकि पार्टी में फूट से पहले आंतरिक दरार को रोका जा सके .

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सोनिया गांधी ने पार्टी के अंदर विद्रोही समूह के साथ विचार-विमर्श किया है, जो राहुल गांधी के कामकाज से सहज नहीं हैं. उन्होंने संसद में भी मनरेगा का मुद्दा उठाया और कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में उन्होंने पार्टी के अंदर और बाहर संदेश देने में सावधानी बरती है.

सीपीपी की बैठक के दौरान उन्होंने दलबदलू नेताओं को संदेश दिया कि "हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है. मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी जरूरी है सब दृढ़ संकल्पित हो कर करूंगी. हमारा पुनरुद्धार केवल हमारे लिए जरूरी नहीं है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र के लिए और वास्तव में हमारे समाज के लिए भी जरूरी है."

उन्होंने खासतौर से चुनाव परिणामों के बाद असंतुष्टों नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को भी समान महत्व दिया. उन्होंने कहा "मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं. वे चौंकाने वाले रहे हैं. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने हमारे प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक बार बैठक भी की है. मैंने अन्य सहयोगियों से भी मुलाकात की है. मुझे हमारे संगठन को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर कई सुझाव मिले हैं. कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं."

उन्होंने भाजपा विरोधी मोर्चे के बारे में भी बात की क्योंकि उनका मानना है कि कांग्रेस लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जरूरी है. केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा संदिग्ध व्यक्तियों की खोज से परेशान विपक्षी दलों के बारे में उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि शिवसेना, टीएमसी, राकांपा, एनसी नेताओं को एजेंसियों की अतिरिक्त सक्रियता के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां तक कि नेशनल कांफ्रें स के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से भी ईडी ने पूछताछ की थी.

उन्होंने समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के बारे में कहा कि "सत्ता में रहने वालों के लिए अधिकतम शासन का मतलब स्पष्ट रूप से डर फैलाना है. इस तरह की धमकियां और रणनीति हमें न तो डरा सकती हैं और न ही चुप करा सकती हैं."

उन्होंने सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इसका इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, "फेसबुक और ट्विटर जैसी वैश्विक कंपनियों का इस्तेमाल नेताओं, पार्टियों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा राजनीतिक आख्यानों को आकार देने के लिए किया जा रहा है."

"यह पार्टियों और राजनीति से परे है. हमें अपने लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव की रक्षा करना जरूरी है, भले ही सत्ता में कोई भी हो."
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उन्होंने आरोप लगाया कि भावनात्मक रूप से दुष्प्रचार के माध्यम से युवाओं और बुजुर्गो के दिमाग में नफरत भरी जा रही है और फेसबुक जैसी प्रॉक्सी विज्ञापन कंपनियां इसे जानती हैं और इससे मुनाफा कमा रही हैं.

सोनिया गांधी के कार्यों से पता चलता है कि वह पार्टी के आंतरिक चुनावों से पहले कांग्रेस को व्यवस्थित करने के लिए काम कर रही हैं और इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में Congress को आगे ले जाने के लिए काम कर रही हैं. वह गुजरात चुनाव के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मिली हैं, हालांकि अंतिम परिणाम का इंतजार है.

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