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सोनिया की डिनर डिप्लोमेसी में 2019 की तैयारी, एकजुट हो रहा विपक्ष

शरद पवार और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने इसे विपक्षी एकता के लिए बड़ी पहल बताया है.  

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संसद के अलावा एक तस्वीर में उत्तर से लेकर दक्षिण भारत के बड़े नेताओं का जमावड़ा कभी कभार ही देखने को मिलता है. ऐसे में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की डिनर पार्टी में 20 पार्टियों के नेताओं की मौजूदगी 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियों की तरफ इशारा कर रही है. हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि ये डिनर संवाद और आपसी समझ बढ़ाने का जरिया है, इसे सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन जब एक ही फ्रेम में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के नेता और टीएमसी-लेफ्ट के नेता 'डिनर' करते दिखते हैं, तो सियासी तस्वीर तो बनने ही लगती है.

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'19' के लिए जमा हुए 20

ये पहली बार नहीं था जब सोनिया गांधी ने किसी मीटिंग के लिए विपक्षी पार्टियों को बुलाया है, इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव के वक्त भी ऐसी ही मीटिंग हुई थी. लेकिन पूर्वोत्तर भारत में हुए चुनाव के नतीजों को देखते हुए ये खास था. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत देश के कई राज्यों के क्षेत्रीय विपक्षी एकता का दमखम दिखाने के लिए डिनर में मौजूद थे.

  1. रामगोपाल यादव, समाजवादी पार्टी
  2. शरद पवार, एनसीपी
  3. सतीश मिश्रा, बीएसपी
  4. उमर अबदुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस
  5. तेजस्वी यादव और मीसा भारती, आरजेडी
  6. सुदीप बंदोपाध्याय, टीएमसी
  7. हेमंत सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा
  8. बाबूलाल मरांडी, झारखंड विकास मोर्चा
  9. जीतन राम मांझी, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा
  10. अजित सिंह, रालोद
  11. डी राजा, सीपीआई
  12. मोहम्मद सलीम, सीपीएम
  13. कनिमोझी, डीएमके
  14. रामचंद्र, आरएसपी
  15. डॉ. रेड्डी, जेडीएस
  16. बदरुद्दीन अजमल, AIUDF
  17. कुट्टी, AIUML
  18. जोश मनी, केरल कांग्रेस
  19. शरद यादव, हिंदुस्तान ट्राइबल पार्टी
  20. राहुल गांधी, रणदीप सुरजेवाला, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, मनमोहन सिंह

हालांकि, तीन बड़े चेहरे ममता बनर्जी, मायावती और अखिलेश यादव इस डिनर में नहीं थे. लेकिन इन तीन बड़े नेताओं की पार्टियों के प्रतिनिधि यानी टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, बीएसपी से सतीश चंद्र मिश्रा और एसपी से रामगोपाल यादव डिनर में मौजूद थे.

डिनर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राजनीति पर बात हुई और विपक्ष के नेताओं को नजदीकियां बढ़ाने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि इससे आपसी लगाव और सच्ची दोस्ती दिखती है.

डिनर के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, तेजस्वी समेत कुछ नेताओं ने एनडीए में सहयोगियों के नाराज होने पर भी कटाक्ष किया. रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस मानती रही है सरकार जहां दीवारें खड़ी करेगी, हम मित्रता और एक दूसरे के साथ चलने का रास्ता बनाएंगे. वहीं, तेजस्वी यादव ने कहा कि एनडीए का कोई भी सहयोगी खुश नहीं है. टीडीपी के मंत्रियों का इस्तीफा देना बस एक शुरुआत है.

'विपक्षी एकता के लिए बड़ी पहल'


एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और आरजेडी के तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने आयोजन के बाद इस पहल को विपक्षी एकता के लिए बड़ा कदम बताया. ऐसा कहना जायज भी है. क्योंकि उत्तर प्रदेश की धुर विरोधी पार्टियां एसपी-बीएसपी, पश्चिम बंगाल में कई दशकों से एक दूसरे का विरोध करने वाली पार्टियां टीएमसी-वाममोर्चा के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने छोटे मतभेदों को भुलाकर इस डिनर पार्टी के जरिए ही साथ आने का संकेत दिया है. विपक्ष को शायद इस बात का अंदाजा हो गया है कि बीजेपी के विजय रथ पर लगाम लगाने के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट होना ही होगा.

बता दें कि सोनिया गांधी ने ये पहल ऐसे समय में की है जबकि गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस मोर्चा की संभावनाओं को लेकर चर्चा हो रही है. इससे पहले टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर विचार विमर्श करने का प्रस्ताव दिया था.
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उपचुनाव, राज्यसभा के लिए समर्थन-गठबंधन

बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के लामबंद होने की सबसे बड़ी सुगबुगाहट तो राज्यसभा चुनावों और उपचुनावों से हुई. जहां यूपी में बीएसपी ने एसपी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. वहीं अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार को बीएसपी विधायक वोट देंगे और बदले में कांग्रेस के विधायक उत्तर प्रदेश में बीएसपी के राज्यसभा उम्मीदवार को वोट देंगे. ये तो महज उदाहरण है, कांग्रेस ने झारखंड में JMM, पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ कुछ ऐसे ही गठबंधन बनाए हैं. एनसीपी के शरद पवार की मौजूदगी और उनका इस डिनर को बड़ा मौका बताना ही साफ संकेत है.

ऐसे में कह सकते हैं कि विपक्ष किसी भी हाल में बीजेपी को और नहीं बढ़ने देना चाहती है. क्योंकि फिलहाल का सीन तो ये है कि देश के 29 राज्यों में से 21 राज्य में बीजेपी या एनडीए की सरकार है और 2019 का लोकसभा चुनाव सामने दिख रहा है.

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