तमिलनाडु (Tamil Nadu) की सभी 39 लोकसभा सीटों (Lok Sabha Election) पर शुक्रवार, 19 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है. राज्य में तीन तरफा चुनावी लड़ाई देखने को मिलेगी - द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) और भारतीय जनता पार्टी (BJP).
बीजेपी तमिलनाडु में पैठ बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं - पार्टी के लिए चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं. वहीं डीएमके को अपने 2019 के परिणाम को दोहराने की उम्मीद है, जब उसके नेतृत्व वाले गठबंधन ने 39 में से 38 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बीच, AIADMK को लगातार दो चुनाव हारने के बाद वापसी की उम्मीद है.
लोकसभा के चुनावी नतीजे 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी माहौल तैयार करेंगे, जो लगभग दो साल बाद होने वाले हैं.
तो क्या के अन्नामलाई के नेतृत्व वाली बीजेपी तमिलनाडु में द्रविड़ किले को तोड़ पाएगी या DMK और AIADMK के वोट बैंक में सेंध लगा पाएगी? राज्य में लगभग 6.23 करोड़ मतदाता उम्मीदवारों का भाग्य तय करने के लिए तैयार हैं.
चलिए आपको बताते हैं कि इस बार तमिलनाडु में क्या दांव पर लगा है और किन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों और उम्मीदवारों पर नजर रखनी होगी?
DMK vs AIADMK vs बीजेपी: दांव पर क्या लगा है?
सत्तारूढ़ DMK अपने सहयोगियों - कांग्रेस, विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की मदद से अपनी जीत का सिलसिला जारी रखना चाहेगी.
भले ही DMK एक मजबूत स्थिति में दिख रही हो, लेकिन पार्टी को कुछ क्षेत्रों में अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी AIADMK और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है.
DMK का वोट बैंक- वेल्लालर, मुधलियार, उदययार, नादर, नायडू और मुस्लिम समुदाय है.
DMK के पिछले चुनावी कैंपेन पर पर बारीकी से नजर डालें तो पता चलेगा कि कैसे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और पार्टी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर बार-बार हमला किया, अक्सर उन्हें "तमिलनाडु विरोधी" और "संघवाद विरोधी" भी बताया.
इस बीच, बीजेपी के साथ पांच साल के लंबे रिश्ते को तोड़ने के बाद, पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली AIADMK - जो गठबंधन सहयोगियों को खोजने के लिए संघर्ष कर रही थी - वह देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (DMDK), तमिझागम (PT) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के साथ चुनाव लड़ रही है.
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने भी AIADMK को अपना समर्थन दिया है.
AIADMK, शुरू में चुनावी मैदान पर कमजोर दिखाई दे रही थी, लेकिन अब वह इस धारणा को बदलने और DMK की मुख्य विपक्षी बनने में कामयाब रही है.
द क्विंट को राजनीतिक विशेषज्ञों ने बताया कि, AIADMK 25% से अधिक के अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि यह साबित हो सके कि उसका "कोर वोट बैंक" बरकरार है.
पश्चिमी तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र में AIADMK के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जिसमें आठ लोकसभा सीटें हैं, क्योंकि इस क्षेत्र को लंबे समय से AIADMK का गढ़ माना जाता है. यहां गौंडार समुदाय (जनसंख्या का 5-7%) भी बसता है, इसी समुदाय से पलानीस्वामी आते हैं.
अब बीजेपी की बात करें तो, पीएम मोदी की तमिलनाडु की लगातार यात्राओं से यह स्पष्ट है कि राज्य बीजेपी के "मिशन दक्षिण" का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
तमिलनाडु में 2019 के चुनावों में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद, बीजेपी अब पिछली बार की तुलना में - 3.6% से अपना वोट शेयर बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. उसे कम से कम चार लोकसभा सीटें - वेल्लोर, कोयंबटूर, तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी जीतने की उम्मीद है.
राज्य के बीजेपी प्रमुख के अन्नामलाई के नेतृत्व में, पार्टी पट्टाली मक्कल काची (PMK), तमिल मनीला कांग्रेस, अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (AMMK) जैसी पार्टियों से समर्थन हासिल करने में कामयाब रही. AMMK, AIADMK से निकला एक गुट है जिसका नेतृत्व टीटीवी दिनाकरन करते हैं. वहीं पार्टी पूर्व सीएम ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) का भी समर्थन कर रही है जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
राज्य की आबादी का वन्नियार समुदाय 12% से 15% हिस्सा है, जो पट्टाली मक्कल काची (PMK) का वोट बैंक है. इससे बीजेपी को तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से में एंट्री मिलने की उम्मीद है.
वहीं कुल आबादी का थेवर लगभग 12% हिस्सा हैं, बड़े पैमाने पर तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में केंद्रित हैं. AMMK और ओपीएस के साथ गठबंधन से बीजेपी को इन इलाकों में फायदा मिलने की उम्मीद है.
अन्नामलाई और बीजेपी ने अपने कैंपेन के दौरान खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है. चुनाव बीजेपी प्रमुख के नेतृत्व की भी परीक्षा होगी. तमिलनाडु में पार्टी का कैंपेन तमिल नाडु से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित था, जिसमें कच्चाथीवू विवाद भी शामिल था, जिसके दौरान उसने कांग्रेस और DMK दोनों को निशाना बनाया था.
इस बार दोस्त से दुश्मन बनी बीजेपी और AIADMK भी 15 से अधिक सीटों पर सीधे मुकाबले में हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों ने द क्विंट को बताया कि इस बार, पारंपरिक DMK विरोधी वोटर्स पूरी तरह से AIADMK को ही वोट देंगे ऐसी संभावना कम है, और इसके परिणामस्वरूप वोट बंट सकता हैं.
तमिलनाडु की 10 हॉट सीटें
कोयंबटूर: के अन्नामलाई के यहां से चुनाव लड़ने की वजह से ये हॉट सीट बन गई है. आईपीएस अधिकारी से नेता बने और बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई का मुकाबला DMK के गणपति पी राजकुमार और AIADMK के सिंगाई जी रामचंद्रन से होगा.
चेन्नई दक्षिण: यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से DMK का गढ़ है - यहां से तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल और बीजेपी नेता तमिलिसाई सुंदरराजन, DMK सांसद थमिझाची थंगापांडियन और पूर्व AIADMK सांसद जे जयवर्धन के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.
नीलगिरी: DMK नेता ए राजा का गृह क्षेत्र जो अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित इस सीट से ए राजा को केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के एल मुरुगन, AIADMK के लोकेश तमिलसेल्वन और नाम तमिलर काची के ए जयकुमार टक्कर देंगे.
कन्याकुमारी: यह वह इलाका है जहां से 1996 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में, दोनों राष्ट्रीय दलों, बीजेपी और कांग्रेस ने प्रमुख हस्तियों - पोन राधाकृष्णन और विजय वसंत को मैदान में उतारा है. कन्याकुमारी में लगभग 48.65% हिंदू, 46.85% ईसाई और 4.2% मुस्लिम हैं.
शिवगंगा: कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम इसी सीट से दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से उनके पिता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम 7 बार जीत चुके हैं. इस बार कार्ति का मुकाबला बीजेपी के टी देवनाथन यादव और AIADMK के जेवियर दास से है.
रामनाथपुरम: यहां से दिग्गज नेता ओ पन्नीरसेल्वम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कानि के नवास पर दुबारा दांव लगाया है. वहीं नाम तमिलर काची पार्टी ने चन्द्रप्रभा को और AIADMK ने पी जेपेरुमल को चुनावी मैदान में उतारा है.
विरुधुनगर: भारत की पटाखा राजधानी विरुधुनगर मौजूदा कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर, अभिनेत्री और बीजेपी उम्मीदवार राधिका सरथकुमार और दिवंगत अभिनेता और DMDK नेता विजयकांत के बेटे वी विजया प्रभाकरन के बीच लड़ाई होगी.
तिरुनेलवेली: ओबीसी नादर और थेवर जैसी प्रमुख जातियों के मिश्रण, एससी/एसटी की पर्याप्त उपस्थिति और बड़ी मुस्लिम आबादी के साथ, यह एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है. इस बार बीजेपी के नैनार नागेंद्रन का मुकाबला एम जानसी रानी (AIADMK), डॉ सी रॉबर्ट ब्रूस (कांग्रेस) और सत्या (NTK) से होगा.
थेनी: ये निर्वाचन क्षेत्र पुराने दोस्तों के बीच लड़ाई का गवाह बनेगा - AMMK नेता और वीके शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन और DMK के तमिल सेल्वन. थेनी में थेवर आबादी सबसे ज्यादा संख्या में है और समुदाय में ओपीएस का बहुत सम्मान किया जाता है.
धर्मपुरी: इस हाई-प्रोफाइल सीट पर पीएमके नेता अंबुमणि रामदास की पत्नी सौम्या अंबुमणि DMK के ए मणि और AIADMK के आर अशोकन के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं.
दिलचस्प बात यह है कि भारत में सबसे ज्यादा बार चुनाव हारने वाले डॉ के पद्मराजन धर्मपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं. स्थानीय चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक, 'इलेक्शन किंग' के नाम से मशहूर पद्मराजन ने 238 चुनाव लड़े हैं, लेकिन सभी हार गए.
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