4 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में हुए चुनाव में कई ट्रेंड देखने को मिले हैं-
- अभी भी क्षेत्रीय छत्रप मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं.
- दो ही पार्टियों के बीच लड़ाई दिखी है चाहे वो पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु या केरल में हो.
एक तरफ पूर्व में तृणमूल कांग्रेस ने अपना गढ़ बचा लिया तो दूसरी तरफ तमिलनाडु और केरल में क्षेत्रीय नेता मजबूत दिखे. केरल में पिनराई विजयन ने 45 साल पुराना ट्रेंड ध्वस्त कर दिया और LDF फिर से सरकार बनाने जा रही है तो दूसरी तरफ तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस के गठंबधन ने AIADMK और केंद्रीय सत्ताधारी बीजेपी के गठजोड़ को भारी अंतर से परास्त किया है. असम में जनता ने बीजेपी को एक बार और मौका दिया है. वहीं पुडुचेरी में बीजेपी गठबंधन आगे है.
केरल में LDF ने ट्रेंड तोड़ा
केरल की राजनीति LDF और UDF के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती रही है. 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड फ्रंट (UDF) ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1980 में चुनाव हुए तो CPI (M) के नेतृत्व वाले गठबंधन LDF ने सरकार बनाई थी, इसके बाद से ही ये सिलसिला चलता आया. 1987 में UDF, 1991 में LDF ऐसे ही केरल की जनता हर पांच साल में एक को बदलकर दूसरे को लाती थी. लेकिन 2021 बदलाव का साल था. इस बार के चुनाव में पिनराई विजयन की LDF ने एक बार फिर बहुमत हासिल कर लगातार दोबारा सत्ता में जगह पक्की की है और 45 साल से चल रहे ट्रेंड को खत्म कर दिया है.
अभी तक के रुझानों/नतीजों के मुताबिक, LDF 99 सीट जीतती दिख रही है. वहीं UDF के खाते में 41 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में LDF को 90 तो UDF को 42 सीटें मिली थीं. बीजेपी को भी पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट हासिल हुई थी जो अब हाथ से निकल गई है. मेट्रोमैन ई.श्रीधरन भी चुनाव हार गए हैं.
यहां कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि पार्टी के नेता राहुल गांधी वायनाड से सांसद हैं और उनके करीबी लेफ्टिनेंट के.सी. वेणुगोपाल भी इसी राज्य से हैं.
तमिलनाडु में स्टालिन का जोर, AIADMK हुई कमजोर
10 साल के बाद DMK एक बार फिर सत्ता में वापसी करने जा रही है. करुणानिधि की गैरमौजूदगी में पार्टी की मुख्य टक्कर AIADMK के नेतृत्व वाले गठबंधन से थी. जीत के करीब पहुंचकर स्टालिन कहते हैं कि करुणानिधि का ये सपना था कि सत्ता में वापसी की जाए और पार्टी ने कर दिखाया है.
डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन और उनके बेटे उधयानिधि स्टालिन अपने कोलाथुर और चेपक-थिरुवल्लिकेनी सीटों से जीत चुके हैं. नतीजों/रुझानों में DMK गठबंधन को 153 सीटें मिलती दिख रही हैं. AIADMK को 81 सीटें मिली हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 234 सीटों में से 134 सीटें AIADMK को मिली थीं वहीं DMK को 98 सीटों से संतोष करना पड़ा था.
अलग गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ रहे कमल हासन अपनी सीट से आगे चल रहे हैं.
पुडुचेरी में बीजेपी को मौका
पुडुचेरी की 30 सीटों में से ज्यादातर पर बीजेपी और AINRC के गठबंधन को जीत मिलती दिख रही है. DMK-कांग्रेस गठबंधन के हाथ से यहां सत्ता जाती दिख रही है. इससे पहले हाल के ही महीनों में पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी.
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