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तेज प्रताप ने किया RJD के नए यूथ विंग का ऐलान, करीबियों को मिले अहम पद

प्रशांत प्रताप को नए यूथ विंग का अध्यक्ष और आर्यन राय को उपाध्यक्ष बनाया गया है

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बिहार के मुख्य राजनीतिक दल आरजेडी (RJD) के दो नेताओं और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) और तेजप्रताप (Tej Pratap) के बीच चल रही तनातनी अब एक नए यूथ विंग के रूप में सामने आई है.

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छात्र जनशक्ति परिषद की घोषणा

रविवार, 5 सितंबर को तेज प्रताप ने 'छात्र जनशक्ति परिषद' के गठन का ऐलान किया जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को अहम पद दिए है. प्रशांत प्रताप को इसका अध्यक्ष और आर्यन राय को उपाध्यक्ष बनाया गया है.

अपने नए यूथ विंग के ऐलान पर, तेज प्रताप ने कहा, "मैंने अपने पिता लालू यादव का आशीर्वाद मांगा है. छात्र जनशक्ति परिषद आरजेडी के सहायक के रूप में काम करेगी. यह पार्टी को ग्रामीण स्तर तक मजबूत करेगा और राज्य के अंदर और बाहर युवाओं को संगठित करेगा."

हालांकि तेज प्रताप और आरजेडी दोनों ने कहा है कि तेज प्रताप के इस फैसले में कोई राजनीति शामिल नहीं है फिर भी कई लोग इसे बिहार आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के आकाश यादव को पद से हटाए जाने के फैसले के असर के रूप में देख रहे हैं. आकाश यादव पद से हटाए जाने के बाद हाल ही में एलजेपी में शामिल हुए हैं.

क्या था पूरा मामला? 

दरअसल बिहार आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने 18 अगस्त को आरजेडी यूथ विंग 'छात्र आरजेडी' के अध्यक्ष आकाश यादव को पद से हटा दिया था और जिम्मेदारी गगन कुमार को सौंपी थी. आकाश यादव तेज प्रताप के करीबी बताए जाते हैं.

आकाश यादव को हटाए जाने के बाद से तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच खटपट बढ़ गई थी, अब तेज प्रताप ने छात्र आरजेडी के सामने अपना एक नया छात्र संगठन 'छात्र जनशक्ति परिषद' लॉन्च किया तो इसे पिछले विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है.

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आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, कि "इसमें कोई राजनीतिक शामिल नहीं है. तेजप्रताप पहले से ही धर्मनिर्पेक्ष सेवक संगठन के अध्यक्ष हैं. इसी तरह उनका नया राजनीतिक फैसला पार्टी को मजबूत करेगा". उन्होंने कहा इससे छात्र आरजेडी को कोई खतरा नहीं है.

तेज प्रताप और आरजेडी नेताओं में पहले से मतभेद

बिहार आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेज प्रताप के बीच पिछले कुछ समय से अच्छी स्थिति नहीं है. इससे पहले भी जगदानंद तेज प्रताप के साथ मतभेद के बाद अपना पद छोड़ना चाहते थे और उन्होंने आरजेडी ऑफिस जाना भी बंद कर दिया था.

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हालांकि, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने उन्हें पद पर बने रहने के लिए राजी कर लिया था. इससे अलावा तेजस्वी ने पिछले हफ्ते भी तेज प्रताप को एक स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि सभी को "पार्टी के अनुशासन का पालन करना" है.

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