बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) और उनके भाई तेज प्रताप यादव (Tej Pratap) के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. आरजेडी यूथ विंग के राज्य प्रमुख और तेज प्रताप के करीबी आकाश यादव को बर्खास्त किए जाने के बाद दोनों भाइयों में एक बार फिर वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी है. वहीं राज्य के पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस मामले में आग में घी डालने जैसा काम किया है. उन्होंने पहले तो आकाश यादव को उनके पद से हटा दिया और अब कहा है कि वो तेज प्रताप यादव को नहीं जानते हैं.
हालांकि इस आंतरिक कलह के बाद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है कि “हम लोग हैं, राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो सब कुछ ठीक हो जाएगा."
क्या है पूरा मामला ?
तेज प्रताप से नाराज चल रहे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पिछले कई दिनों से पार्टी कार्यालय नहीं जा रहे थे. लेकिन 18 अगस्त को पार्टी कार्यालय पहुंचते ही उन्होंने पार्टी के संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी के युवा विंग की जिम्मेदारी गगन कुमार को सौंप दी. इससे पहले युवा विंग के अध्यक्ष आकाश यादव थे जो तेज प्रताप के करीबी थे. गगन कुमार को युवा विंग का अध्यक्ष बनाए जाने के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी जगदानंद के साथ थे.
हालांकि तेजप्रताप बिहार की राजनीति में खुद को कृष्ण और तेजस्वी यादव को अर्जुन बताते रहे हैं, लेकिन पार्टी में वर्चस्व को लेकर दोनों भाइयों के बीच खटपट सार्वजनिक रूप से सामने आती रही है.पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की इस कवायद पर तेजप्रताप ने नाराज होते हुए ट्वीट किया कि,
“प्रवासी सलाहकार से सलाह लेने मैं अध्यक्ष जी ये भूल गए की पार्टी संविधान से चलता है और राजद का संविधान कहता है की बिना नोटिस दिए आप पार्टी के किसी पदाधिकारी को पदमुक्त नहीं कर सकते. आज जो हुआ वो राजद के संविधान के खिलाफ हुआ”
इसके पहले भी तेजप्रताप और जगदानंद सिंह के बीच सार्वजनिक तौर पर भिड़ंत हो चुकी है. बीते दिनों छात्र आरजेडी के एक कार्यक्रम में तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह को हिटलर कह दिया था. इसी बैठक में जगदानंद सिंह पर निशाना साधते हुए तेज प्रताप ने यहां तक कह दिया कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं होती.
कहीं पर निगाहें कहीं और है निशाना?
हालांकि बिहार की राजनीति को करीब से जानने वालों का कहना है कि इस पूरे विवाद में जगदानंद सिंह मोहरा भर हैं. असली जुबानी जंग तो दोनों भाइयों में हो रही है. तेजप्रताप मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ-साथ पार्टी पर भी तेजस्वी के पकड़ से नाराज बताए जाते हैं.
तेजप्रताप के करीबी को हटाकर तेजस्वी ने भी दिखा दिया है कि पार्टी पर उनकी पकड़ मजबूत है. हाल में तेजप्रताप ने भी पार्टी मामलों में सहभागिता बढ़ाई है. माना जा रहा है कि इसके पीछे नवंबर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए लालू यादव के कार्यकाल की समाप्ति के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव होना है. इसमें तेजस्वी ही प्रबल उम्मीदवार नजर आते हैं.
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