तेलंगाना में केसीआर का जादू सिर चढ़कर बोला है. विधानसभा की तीन चौथाई सीटों पर उनकी पार्टी ने जीत हासिल कर ली है.
विधानसभा की 119 सीटों में से तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) को 86 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस, टीडीपी और सीपीआई के गठबंधन को सिर्फ 23 सीटें ही मिल पाई हैं.
तेलंगाना के नतीजे यही बता रहे हैं कि कांग्रेस को चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी से गठबंधन करने की भारी कीमत चुकानी पड़ी और इसका छप्पर फाड़ गठबंधन का फायदा टीआरएस को ही मिला.
कांग्रेस को TDP से गठबंधन महंगा पड़ा
के चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस और एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के गठबंधन को मुद्दा बनाया जिसका उन्हें जमकर फायदा मिला.
चंद्रशेखर राव यानी KCR ने विधानसभा चुनाव में यही प्रचार किया कि अगर कांग्रेस की अगुआई वाले गठबंधन को जीत मिली तो रिमोट कंट्रोल से उस सरकार को चंद्रबाबू नायडू चलाएंगे.
KCR का मुद्दा चल गया. कांग्रेस को टीडीपी के साथ गठबंधन की कीमत चुकानी पड़ी. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच मतभेद को देखते हुए मुख्यमंत्री जनता को बताने में कामयाब रहे कि कांग्रेस गठबंधन को वोट देने से राज्य के लोगों को नुकसान होगा.
तेलंगाना में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले KCR की जीत बहुत बड़ी है. कुल 119 सीटों में से TRS 90 सीटों में आगे है. 2013 में उसे 63 सीटें मिलीं थीं.
TRS की मजबूती
वक्त से 6 महीने पहले चुनाव कराने का KCR का दांव चल गया है. इसके अलावा साढ़े सालों के दौरान मुख्यमंत्री ने तरह तरह की वेलफेयर स्कीम चलाईं उसका भरपूर फायदा उन्हें मिला है.
TDP के मजबूत गढ़ टूटे
तेलंगाना के कई इलाके ऐसे हैं, जहां आंध्र प्रदेश वाले इलाके के लोग बसे हुए हैं. पिछले चुनाव में TDP को इन इलाकों में अच्छा फायदा हुआ था. लेकिन इस बार करीब करीब पूरे तेलंगाना में TRS को अच्छा खासा समर्थन और सफलता मिली है.
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