11 मई, मंगलवार को कई केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने एक आर्टिकल को ट्विटर पर शेयर किया. अंग्रेजी में लिखे इस आर्टिकल का टाइटल है- 'PM MODI HAS BEEN WORKING HARD; DON’T GET TRAPPED IN THE OPPOSITION’S BARBS' यानी हिंदी में लिखें तो कुछ ऐसा- 'पीएम मोदी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, विपक्ष के जाल में मत फंसिए'.
ये आर्टिकल 'द डेली गार्जियन (The Daily Guardian)' नाम की एक वेबसाइट पर पब्लिश की गई है, जैसे ही बीजेपी नेताओं ने ये आर्टिकल ट्विटर टाइमलाइन पर पोस्ट करना शुरू किया, कुछ ही घंटों में वेबसाइट क्रैश हो गई. ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर ये आर्टिकल किसने लिखा है और 'The Daily Guardian' क्या है? इस बारे में एक के बाद एक चर्चा करेंगे, पहले आर्टिकल में लिखा क्या है, उसका कुछ अंश यहां जानते हैं:
‘यहां एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो संकट के समय में चुपचाप काम में जुटे हुए हैं और राजनीतिक बयानबाजी पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, क्योंकि ये इन सब चीजों का वक्त नहीं है. वो अपना पूरा ध्यान और ऊर्जा समाधान ढूंढने में लगा रहे हैं और दोगुनी गति से काम कर रहे हैं. अगर वो भी दूसरों की तरह ‘क्राई बेबी’ बन जाएं, तो समाधान कौन लेकर आएगा?’
ये पूरे आर्टिकल का महज एक हिस्सा है, जो ये तर्क दे रहा है कि प्रधानमंत्री कोरोना वायरस महामारी के सेकेंड वेव से लड़ने के लिए 'बहुत ज्यादा काम' कर रहे हैं. ये वो कोरोना वायरस है जिसने देश में हजारों की जान ले ली है और इसका कहर अब भी जारी है. इस आर्टिकल में ये आरोप भी है कि मोदी की आलोचना करने वाले कोरोना से हो रही मौतों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं और रिकवरी पर कम ध्यान दे रहे हैं.
ये आर्टिकल लिखा किसने है?
आर्टिकल को लिखने वाले हैं सुदेश वर्मा. अपने ट्विटर बायो में वो खुद को बीजेपी नेशनल मीडिया टीम का मेंबर बताते हैं. वो अक्सर टीवी चैनलों पर भी बीजेपी के नजरिए को रखते नजर आते हैं. सुदेश वर्मा ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है- 'नरेंद्र मोदी: द गेम चेंजर.'
'द डेली गार्जियन' क्या है?
इस आर्टिकल के ट्विटर पर खूब शेयर होने के बाद कुछ देर तक वेबसाइट एक्सेस नहीं हो रही थी, ऐसे में कई लोगों ने वेबसाइट की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठाया. दरअसल, द डेली गार्जियन नाम यूके के प्रतिष्ठित न्यूज पेपर द गार्जियन से मिलता जुलता है. ऐसे में सोशल मीडिया पर कहा जाने लगा कि किसी इंटरनेशनल पब्लिकेशन से मिलता जुलता नाम रख फेक वेबसाइट बनाई गई होगी.
हालांकि, द डेली गार्जियन, ITV नेटवर्क का हिस्सा है, जिसका मालिकाना हक कार्तिकेय शर्मा के पास है. कार्तिकेय शर्मा हरियाणा के नेता विनोद शर्मा के बेटे हैं. इस ग्रुप के पास NewsX TV, इंडिया न्यूज नाम से न्यूज चैनल, द सनडे गार्जियन नाम से साप्ताहिक न्यूज पेपर भी है. इसके अलावा ग्रुप के पास कुछ रिजिनल चैनल और अखबार भी हैं. ये आर्टिकल द डेली गार्जियन ई-पेपर के Oped पेज पर भी पब्लिश किया गया था.
ये अहम क्यों है?
द डेली गार्जियन, अगर अपने Oped पेज पर सुदेश वर्मा की राय पब्लिश करता है तो इसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है. लेकिन जिस तरीके से इस आर्टिकल को कई मंत्रियों, बीजेपी नेताओं ने ट्विटर पर एक कैंपेन की तरह शेयर किया, ये अजीब है. केंद्रीय मंत्री जिन्होंने इस आर्टिकल को शेयर किया है, उनमें अनुराग ठाकुर, जितेंद्र सिंह, किरण रिजीजू, जी किशन रेड्डी जैसे नाम शामिल हैं.
ऐसा दिख रहा था कि जिस तरीके से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मीडिया में मोदी सरकार की आलोचना हो रही है, उसे काउंटर करने के लिए ये कोशिश की जा रही है. खास तौर ऑक्सीजन की कमी और बढ़ती मौतों को लेकर हो रही आलोचना.
कुछ बीजेपी समर्थकों को ये कैंपेन और आर्टिकल उत्साहित भी कर रहा है लेकिन अगर पूरे कदम को देखें तो ये सरकार के लिए असरदार कम और नुकसान ज्यादा साबित हो सकता है. प्रधानमंत्री वास्तविक में 'खूब मेहनत' कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर पार्टी के किसी कार्यकर्ता के लिखे आर्टिकल से ज्यादा विश्वसनीय सबूत होना चाहिए था.
यहां तक कि एक प्रो-गवर्नमेंट न्यूज चैनल में न्यूज फीजर की विश्वसनीयता, पार्टी के किसी मेंबर के लिखे गए नजरिए से ज्यादा हो सकती है.
सोशल मीडिया पर 'लताड़' वाला दिन
सोशल मीडिया पर सिर्फ ये एक वजह नहीं, जिसपर सरकार की खूब आलोचना दिखी. इसके अलावा 10 मई को रात 11 बजे, ऑफिशियल ट्विटर हैंडल 'मन की बात अपडेट्स' से एक पोस्ट किया गया था. इस पोस्ट में लोगों से 'पॉवर ऑफ पॉजिटिविटी' को सेलिब्रेट करने के लिए कहा गया था, साथ ही 'प्रेरक कहानियों' को साझा करने के लिए कहा गया था.
इस पोस्ट के बाद कई ट्विटर यूजर की तीखी आलोचना देखने को मिली. कई ट्विटर यूजर्स ने व्यंग्य भी किया तो कुछ ने चुटिला मैसेज लिखा.
एक यूजर ने लिखा, ‘पावर ऑफ पॉजिटिविटी कोरोना के बढ़ते पॉजिटिव केस को दिखाता है.’
स्वाति मोइत्रा नाम की एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि, ‘मेरा एक दोस्त अपनी दादी के दाह संस्कार के लिए इधर-उधर भटकता रहा है, पिछले हफ्ते उसे अपने पैरेंट्स को भी अलविदा कहना पड़ा, वो लोग भी कोरोना पॉजिटिव हैं. क्या ये पॉजिटिव स्टोरी है? नहीं...’
अब ये ट्वीट हैंडल पर नहीं दिख रहा है. हमें नहीं पता कि ये ट्वीट आलोचना की वजह से डिलीट हुआ है या कोई और वजह है.
11 मई को इसी 'मन की बात' हैंडल से प्रधानमंत्री मोदी के कई सलाह शेयर किए गए. जैसे- ध्यान जरूरी है, प्राणायाम और योगी से जुड़ी जानकारी. इन पोस्ट पर 'पॉवर ऑफ पॉजिटिविटी' से कम आलोचना देखने को मिली है.
इस आर्टिकल को यहां क्लिक कर इंग्लिश में पढ़ा जा सकता है.
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