उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की खबरों के बीच उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन इस्तीफे के बारे में बिना कुछ बोले ही चले गए. इसके पहले उन्हें दिल्ली तलब किया गया था. दिल्ली में रावत की गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकातें हुई थी. उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली से ही उन्हें इस्तीफा देने का आदेश दिया गया है.
तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री का पद संभालने के 6 महीने के अंदर विधायक बनना जरूरी है. लेकिन अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के पहले उपचुनाव कराया जाएगा या नहीं ये साफ नहीं है. इसलिए उनका मुख्यमंत्री पद खतरे में है.
सीएम रावत ने 30 जून की देर रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे, रावत फिलहाल में गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद हैं और नियमों के अनुसार, उन्हें मुख्यमंत्री पद संभालने के छह महीने के भीतर एक निर्वाचित विधायक के रूप में शपथ लेने की जरूरत है.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए तीरथ सिंह रावत कहा था कि-
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलना हुआ और आगामी चुनाव को लेकर बातचीत हुई है. हमें किस तरह विकास करना है और केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए बहुत सारे काम हम लोग किए हैं, उनको जनता तक ले जाने की बात हुई. चुनाव को लेकर बातचीत हुई कि कैसी तैयारियां हैं, क्या करना है. विपक्ष जनता के सामने कहीं है नहीं. केंद्र जो तय करेगा और जो रणनीति हमारे सामने रखेगा उस रणनीति को लेकर हम आगे बढ़ेंगे, काम करेंगे.तीरथ सिंह रावत
वर्तमान में, दो विधानसभा सीटें - हल्द्वानी और गंगोत्री खाली पड़ी हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि उपचुनाव समय सीमा से पहले होंगे या नहीं. रावत ने कहा कि उपचुनाव कराने का फैसला चुनाव आयोग करेगा और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जो भी फैसला करेगा उसका पालन करेंगे.
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