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मजदूरों की मौत-बेरोजगारी के आंकड़े पर महुआ मोइत्रा का सरकार पर तंज

TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार को घेरा

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मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो चुका है. लेकिन इस सत्र के पहले दिन ही सरकार ने लोकसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि लॉकडाउन की वजह से देशभर में होने वाली प्रवासी मजदूरों की मौतों का आंकड़ा हमारे पास नहीं है. साथ ही सरकार ने इस दौर में कितने लोगों की नौकरी गई यानी कितने लोग बेरोजगार हुए इसके आंकड़े से भी साफ इनकार कर दिया. अब इसे लेकर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं ने सरकार को घेरा है.

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सरकार के इस बयान पर महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर तंज कसते हुए लिखा है कि,

जब कल सरकार संसद में लिखित जवाब दे रही थी तब उसमें ना तो प्रवासियों की मौत का आंकड़ा था, ना उनके मुआवजे का कोई आंकड़ा. महुआ ने प्रवासियों के साथ साथ बेरोजगारी पर भी सवाल उठाए हैं.

सांसद मोइत्रा ने अपने ट्वीट में अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर और सरकार के ही 20 लाख करोड़ के पैकेज पर भी कोई आंकड़े नहीं बताने पर सवाल उठाया है. महुआ के ट्वीट की आखिरी लाइन में उन्होंने कहा कि इन सभी चीजों से ये समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार में काबिज बीजेपी के लिए प्रश्नकाल की जरूरत क्यों नहीं है.

महुआ ने इसी मुद्दे पर पहले भी ट्वीट किया था. महुआ ने अपने पहले के ट्वीट्स में लिखा था कि, हम संसद में प्रश्न काल ना होने पर सवाल तो वैसे भी नहीं कर सकते, लेकिन लोकसभा स्पीकर ने हमें हमारी आपत्ति भी दर्ज कराने की अनुमति नहीं दी.

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मोइत्रा के अलावा अन्य सांसदों ने भी आंकड़ों को लेकर सवाल उठाए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी संसद में सरकार के आंकड़ों पर कोई जवाब नहीं देने के बाद मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ट्विटर पर कहा था,

मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूर मरे और कितनी नौकरियां गयीं.

"तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई?

हां मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई

उनका मरना देखा ज़माने ने

एक मोदी सरकार है जिमे खबर ना हुई!”

BJP के नोताओं का क्या कहना है?

नेताओं के प्रश्नकाल संबंधी प्रतिक्रियाओं के बाद से ट्विटर पर आम लोगों के बीच भी बहस छिड़ी हुई है. BJP के नेताओं का कहना है कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही, बस अभी समय अनुकूल नहीं है. लोकसभा के साथ साथ महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब की विधानसभाओं में प्रश्नकाल बंद कर दिए गए हैं. साथ ही तय प्रक्रिया के बिना ही दो तीन दिनों में सैकड़ों बिल पास कर दिए.

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