बीते कुछ हफ्तों से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के बीच कई संस्थाओं और यूजर्स ने सोशल मीडिया पर इन आंदोलनों को लेकर पोल कर रहे हैं. खास बात ये है कि इनमें से कुछ पोल कुछ ही देर बाद डिलीट भी कर दिए गए.
इसी तरह का एक ऑनलाइन पोल सद्गुरु जग्गी वासुदेव की संस्था ईशा फाउंडेशन ने ट्विटर पर शुरू किया था. 30 दिसंबर को शुरू किए गए इस पोल में यूजर्स से पूछा गया था कि क्या उनके मुताबिक CAA-NRC के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन सही हैं? इस पोल के साथ ही सद्गुरु का वीडियो भी पोस्ट किया गया था, जिसमें वो दोनों कानूनों के बारे में बता रहे हैं.
हालांकि शाम तक ये पोल ईशा फाउंडेशन के ट्विटर अकाउंट से गायब हो चुका था. लेकिन ट्विटर यूजर्स ने इस पोल के स्क्रीनशॉट लेकर उन्हें पोस्ट करना शुरू कर दिया, जिसमें दिख रहा था कि 62 फीसदी लोगों ने विरोध-प्रदर्शनों के समर्थन में वोट किए थे, जबकि 38 फीसदी ने इन प्रदर्शनों को गलत ठहराया.
ऐसा ही एक ट्विटर पोल हिंदी अखबार दैनिक जागरण के अकाउंट से भी शुरू किया गया था. इसमें सवाल था- ‘क्या सीएए का विरोध वोट बैंक की राजनीति का नतीजा है?’ यहां भी प्रदर्शन के समर्थक हावी रहे. 54 फीसदी यूजर्स ने इसका जवाब ‘ना’ में दिया. हालांकि जागरण ने अपना पोल नहीं हटाया.
इसी तरह जी न्यूज के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी ने भी 24 दिसंबर को अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोल शुरू किया था और पूछा कि क्या भारत की जनता CAA का समर्थन करती है या नहीं? मंगलवार तक इस पोल में 52 फीसदी यूजर्स ने CAA के खिलाफ वोट किया.
ऐसा ही एक पोल सुधीर चौधरी ने फेसबुक अकाउंट पर भी किया था और वहां भी 64 फीसदी वोट इसके खिलाफ पड़े.
लेकिन 4 दिन बाद चौधरी ने दावा किया कि उनके ट्विटर पोल के साथ छेड़छाड़ की गई है और कहा कि ट्रोल्स ने असली जनता की राय को हाईजैक कर लिया है.
मोदी सरकार के काम-काज पर पोल डिलीट
सोमवार को ही एक अलग विषय पर बिजनेस न्यूज चैनल सीएनबीसी-आवाज ने भी अपने ट्विटर हैंडर पर एक पोल किया. इसमें यूजर्स से सवाल पूछा गया- ‘मोदी 2.0 के कामकाज से आप खुश हैं?’ लेकिन कुछ ही देर में ये पोल भी डिलीट कर दिया गया.
फिर भी कई लोगों ने इसका स्क्रीनशॉट पोस्ट किया और उसमें दिख रहा था कि 62 फीसदी लोगों ने पोल में पूछे गए सवाल का जवाब ‘नहीं’ में दिया था.
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