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MP: 'खंडन की जरूरत नहीं' उमा-लोधी समाज नाराज,BJP 25% सीटों पर हो सकती है परेशान?

Uma Bharti ने लोधी समाज से कहा था- अपने हितों को देखकर ही वोट करें, मैं बीजेपी को वोट देने के लिए नहीं कहूंगी

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मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा भारती (Uma Bharti) पिछले दिनों लोधी समाज (Lodhi Community) के सम्मेलन में दिए गए बयान के बाद से चर्चा में हैं. ऐसे में उमा भारती सामने आईं हैं और "पीएम मोदी मेरे नेता, बीजेपी मेरी पार्टी है" कहने के बावजूद अपने बयान का खंडन नहीं किया है.

उमा भारती ने पिछले दिनों भोपाल में लोधी समाज के सम्मेलन में कहा था कि आप अपने हितों को देखकर ही चुनाव में मतदान करें, मैं आपसे बीजेपी के लिए वोट देने के लिए नहीं कहूंगी. इस बयान के बाद कांग्रेस की ओर से तंज कसे जा रहे थे. इसी को लेकर उमा भारती ने फिर से बयान दिया.

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"खंडन की जरूरत नहीं क्योंकि मैंने ऐसा ही बोला है"

उमा भारती ने ट्वीट कर अपने बयान का जिक्र करते हुए कहा है, "25 दिसंबर को मैं लोधी समाज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में गई. वहां मैंने जो भाषण दिया उसका एक अंश सोशल मीडिया में आ रहा है एवं अखबारों में छप रहा है. उसके खंडन की जरूरत नहीं क्यूंकि मैंने ऐसा ही बोला है. लेकिन मेरे भाषण के पहले के कुछ वाक्य बताना जरूरी है, इसलिये ट्वीट कर रही हूं."

उमा भारती ने कहा, "मैंने कहा, पिछले 2018 के मध्यप्रदेश के विधानसभा के चुनावों में कुछ विधानसभा क्षेत्रों से मेरी सभा से पहले लोधी समाज से कुछ फोन मेरे ऑफिस में आये थे कि दीदी की सभा रद्द कर दीजिये, हम यहां के बीजेपी के उम्मीदवार से नाराज हैं. उसी के जवाब में मैंने उस दिन ऐसा बोला. यह बात मैंने सार्वजनिक तौर पर पहली बार नहीं बोली. आप याद करिये जब हम विधानसभा चुनाव हार गये और कांग्रेस का एक समूह हमारे साथ टूटकर आया एवं उसके सहारे हमने सरकार का गठन किया तथा मंत्रिमंडल बना. तब भी मैंने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि इस मंत्रिमंडल में जाति एवं क्षेत्र का संतुलन बिगड़ा हुआ है."

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नेता और बीजेपी को अपनी पार्टी बताते हुए उमा भारती ने लिखा, "हिंदुत्व मेरी निष्ठा, भारत मेरा प्राण और संसार के सभी अभावग्रस्त लोग मेरे दिल में बसे हैं. मोदी मेरे नेता, भाजपा मेरी पार्टी है. मैंने कभी भाजपा नही छोड़ी. मुझे निकाला गया था. तब मैंने अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहने के लिये राष्ट्रवादी विचार की धाराप्रवाह में ही अपना दल बनाया. फिर उस समय के भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी के निमंत्रण पर जिसका नरेंद्र मोदी ने भी समर्थन किया, भारतीय जनशक्ति का भाजपा में विलय करते हुए मैं भाजपा में वापस आ गई."

कांग्रेस की ओर से कसे जा रहे तंज पर उमा भारती ने कहा, "कांग्रेस को हमारे बीच में आने की जरूरत नहीं है, मुझे भाजपा साइडलाइन नही करती, मेरी अपनी एक सीधी लाइन है और मैं उसी पर चलती हूं, स्वयं का मोक्ष एवं जगत का कल्याण. सूर्य की रोशनी, चंद्रमा की चांदनी, हवा का झोंका, फूलों की सुगंध, नदी की तरंग और शक्कर की मिठास, यह कभी साइडलाइन नहीं होते, यह अंदर बाहर सब तरफ रचे बसे होते हैं."
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अब शिवराज नहीं सीधे बीजेपी पर निशाना? 

मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में उमा भारती के इस बिना सफाई वाले सफाई का मतलब खोजा जा रहा है. पहले ही लोधी वोटरों को अपनी मर्जी से वोट डालने की नसीहत देकर उमा भारती ने पार्टी के लिए फजीहत कर रखी है और उसमें अब वो कह रहीं है कि उस बयान के "खंडन की जरूरत नही क्यूंकि मैंने ऐसा ही बोला है". अब तक सीएम शिवराज के खिलाफ कई बार बागी मोड अपना चूंकि उमा भारती ने कम से कम इस ट्वीट से यह साफ कर दिया है कि बीजेपी आलाकमान उनसे इस बयान के संदर्भ में माफी या उसे वापस लेने की उम्मीद न करें.

MP के 65 विधानसभा सीटों पर लोधी वोट निर्णायक  

मध्य प्रदेश में करीब 60-65 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां लोधी समुदाय के वोट चुनाव नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. बुंदेलखंड, ग्वालियर और चंबल की ज्यादातर सीटों पर लोधी समुदाय का दबदबा है. इसके अलावा, लोधी वोटर बालाघाट, सागर, खजुराहो, दमोह, विदिशा और होशंगाबाद सहित 29 में से 19 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

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उमा भारती की बढ़ती तल्खी बीजेपी की बढ़ाएगी मुश्किल?

सवाल है कि क्या उमा भारती और बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है? अगर ऐसा है तो 2023 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के पहले ये बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ा सकता है.

भारतीय राजनीति में कल्याण सिंह के बाद उमा भारती को लोधी समाज की बड़ी नेता माना जाता है और उन्हें पार्टी में इस आधार पर अहमियत भी खूब मिली, मगर अब ऐसा नहीं है. यही कारण है कि उमा भारती ने लोधी समाज के सम्मेलन में साफ तौर पर कह दिया कि अब वे समाज के लोगों से यह नहीं कहेंगी कि बीजेपी के पक्ष में मतदान करें. मतदान से पहले वे अपने हितों का जरूर ख्याल रखें.

उमा भारती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनके करीबी रिश्तेदार प्रीतम सिंह लोधी को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया तो वहीं उनके भतीजे विधायक राहुल लोधी की विधायकी पर संकट आया हुआ है. यह बात अलग है कि राहुल लोधी को फिलहाल न्यायालय से स्थगन मिल गया है.

उमा भारती बीते लगभग एक साल से शराबबंदी को लेकर शिवराज सरकार को घेरती आ रही हैं. उन्होंने कई बार आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया तो वहीं कई शराब दुकानों पर पत्थर फेंके और गोबर तक फेंका. अब उन्होंने बीजेपी के लिए लोधी समाज के लोगों से वोट देने की अपील तक न करने का ऐलान कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उमा भारती की लोधी समाज में गहरी पकड़ है और वे यह जानती हैं कि वर्तमान दौर की राजनीति में जातिवाद हावी है, लिहाजा पार्टी के ऊपर दबाव बनाना है तो उन्हें इस रास्ते को चुनना ही होगा. यही कारण है कि उन्होंने पार्टी को संदेश दे दिया है कि अब वे अपने समाज से बीजेपी के लिए वोट नहीं मांगेंगी.

(इनपुट- IANS)

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