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Raju Pal Murder: कैसे हुई थी 18 साल पहले BSP विधायक राजू पाल की हत्या?

Umesh Pal Murder Case: राजू पाल की हत्या के बाद कैसे बदली थी इलाहाबाद की सियासत?

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सरेराह बम से हमला. ताबड़तोड़ फायरिंग, पीछा करते बदमाश, फिर से बमबारी और दो लोगों की हत्या. ये डर्टी पिक्चर यूपी (Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj) की है. राजू पाल हत्याकांड (Raju Pal Murder Case) के मुख्य गवाह उमेश पाल (Umesh Pal Murder) की उसके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई, उनके गनर की भी मौत हो गई. आरोप बाहुबली और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके परिवार पर लगा है.

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18 साल पहले साल 2005 में ऐसे ही बीच सड़क पर राजू पाल की भी चारों तरफ से घेरकर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, तब राजू पाल BSP से विधायक थे...तब भी आरोप अतीक अहमद और उसके भाई पर लगा था. इलाहाबाद में दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड ने यूपी की सियासत में हड़कंप मचा दिया था. सियासत के आज के अंक में जानेंगे कि कैसे अतीक अहमद और राजू पाल के बीच दुश्मनी बढ़ी, और देखते ही देखते खूनी संघर्ष में बदल गई.

साल था 2004. बाहुबली अतीक अहमद फूलपुर से सांसद का चुनाव जीत गए थे. इसलिए, इलाहाबाद पश्चिमी की विधानसभा सीट खाली हो गई थी. उपचुनाव की घोषणा हुई तो इस सीट से अतीक अहमद के भाई अशरफ अहमद ने पर्चा भरा. लेकिन, उस वक्त एक और पर्चा भरा गया. वो पर्चा था धूमनगंज थाने के हिस्ट्रीशीटर रहे राजू पाल का. इस उपचुनाव में राजू पाल ने बड़ी जीत दर्ज की और अतीक अहमद के भाई अशरफ की उतनी ही बड़ी हार थी. क्योंकि, इहालाबाद में अतीक अहमद का दबदबा था. लिहाजा, उनके सामने कोई सर उठाने की हिम्मत नहीं करता था. विधायक बनने के बाद 2005 में राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली.

उस दौरान पुलिस ने बताया था कि शुरूआत में राजू पाल पर कई तरह की आपराधिक घटनाओं में शामिल होने के मुकदमे दर्ज होते रहे. पुलिस ने कई बार गिरफ्तार भी किया था. विधायक बनने से पहले 2002 से 2004 तक फरारी के दौरान वह कटघर मुट्ठीगंज में रहने वाली पूजा पाल के भी घर में ठहरते थे. पूजा के पिता की साइकिल पंक्चर की दुकान थी. पूजा और राजू के बीच नजदीकी हुई और फिर BSP के टिकट पर विधायक चुने जाने के बाद जनवरी 2005 में राजू पाल ने पूजा से विवाह कर लिया था.

25 जनवरी 2005. गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले का समय. पूरा इलाहाबाद शहर तिरंगे से अटा पड़ा था. दोपहर के करीब 3 बज रहे थे. इलाहाबाद पश्चिमी से तत्कालीन BSP विधायक, स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से बाहर निकले और अपनी दो गाड़ियों के काफिले के साथ घर की तरफ बढ़ने लगे. हरे रंग की क्वालिस गाड़ी वो खुद चला रहे थे. उनके बगल वाली सीट पर उनके दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी थी, जिन्हें चौफटका के पास से राजू पाल ने गाड़ी में बैठाया था. इसके अलावा राजू के साथ संदीप यादव और देवीलाल भी गाड़ी में पीछे बैठे हुए थे. दोनों गाड़ियां सुलेमसराय जीटी रोड पर अमितदीप मोटर्स के सामने पहुंची ही थी कि एक गाड़ी राजू पाल की गाड़ी के आगे आ गई.

फिल्मी अंदाज में अचानक सामने आई गाड़ी से संभलने का मौका मिलता कि सामने का शीशा चीरते हुए एक गोली राजू पाल सीने में जा लगी. एक ही पल में पांच हथियारबंद सामने वाली गाड़ी से बाहर आये और फायरिंग शुरू कर दी. तीन लोग राजू की गाड़ी पर ताबड़तोड़ गोली बरसा रहे थे जबकि दो हमलावर पीछे वाली स्कार्पियो पर फायर झोंक रहे थे. दिनदहाड़े गोलियों की बौछार देख घटनास्थल पर मौजूद लोग बचने के लिए दूसरी तरफ भागे तो वहीं थोड़ी दूर मौजूद लोग गाड़ियों की तरफ भागे. इतने बीच में ही हमलावर फरार हो गए. इसके बाद धूमनगंज पुलिस स्टेशन से पुलिस बल के अलावा कई अफसर मौके पर पहुंचे.

राजू पाल को ऑटो में लेकर हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने राजू पाल को मृत घोषित कर दिया. जब शव का पोस्टमॉर्टम हुआ तो राजू पाल के शरीर से करीब डेढ़ दर्जन गोलियां निकाली गईं. उनकी गाड़ी में बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई. दिनदहाड़े हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया.
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इसके बाद मामले में राजू पाल की पत्नी पूजा ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ और तीन अन्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था. इसी केस के सिलसिले में 24 फरवरी 2023 को गवाह उमेश पाल कोर्ट में अपना बयान दर्ज कर घर लौटा ही था कि हथियार बंद बदमाशों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरासाईं, अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उसके साथ उसका एक गनर भी मारा गया है.

साल 2005 में राजू पाल हत्याकांड के बाद इलाहाबाद और यूपी की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ. साल 2007 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार हुई और BSP ने सरकार बनाई, उधर BSP के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की. फिर 2012 के चुनाव में अशरफ की बजाय अतीक अहमद ने खुद पूजा पाल के सामने ताल ठोंकी लेकिन उसे भी हार मिली. पूजा लगातार दो बार विधायक रहीं लेकिन, 2017 में मोदी लहर के सामने उन्हें सिद्धार्थ नाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा.

फिर, 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पाला बदला और हाथी का साथ छोड़कर साइलिकल पर सवार हो गईं. इसके साथ ही उन्होंने अपनी सीट भी बदल ली. इलाहाबाद पश्चिमी सीट को छोड़कर उन्होंने कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

पूजा पाल तीसरी बार विधायक चुनी गई हैं. लेकिन, प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को हुए दोहरे हत्याकांड के बाद एक बार फिर सियासी आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि सियासी हत्याओं के लिए कुख्यात रहे यूपी में क्या कुछ नहीं बदला है. 'ठोको नीति' और 'बुलडोजर जस्टिस' से कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के आसमानी दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीन पर लोग लहूलुहान क्यों हो रहे हैं?

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