लोकसभा चुनावों से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में हुआ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूट के कगार पर है. सोमवार को बीएसपी चीफ मायावती ने लोकसभा चुनावों में मिली हार पर मंथन के लिए दिल्ली में बीएसपी नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में मायावती ने जो कहा है वो एसपी-बीएसपी गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है.
मायावती ने पार्टी के सभी विधायकों, सांसदों और कॉर्डिनेटरों को उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सभी 11 सीटों पर उप चुनाव में अकेले उतरने के लिए तैयार रहने को कहा है. बता दें, बीएसपी सामान्य तौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती है लेकिन इस बार उसने घोषणा की है कि वह राज्य के उपचुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगी.
उन्होंने पार्टी नेताओं से 11 विधानसभा सीटों के उप चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची बनाने के लिए कहा. यह उपचुनाव, इन विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने की वजह से होंगे.
इन 11 सीटों में से बीजेपी के नौ विधायकों ने लोकसभा चुनाव जीता है, जबकि बीएसपी और एसपी के एक-एक विधायक लोकसभा के लिए चुने गए हैं.
गठबंधन से नहीं हुआ कोई फायदा
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मायावती ने कहा है कि लोकसभा चुनावों में एसपी-बीएसपी गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले. उन्होंने कहा कि बीएसपी को गठबंधन से कोई खास फायदा नहीं मिला, इसलिए अब गठबंधन की समीक्षा की जा रही है.
सूत्रों की मानें तो मायावती ने बैठक में साफ कहा कि एसपी के साथ गंठबंधन के बावजूद यादव वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं हुए. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव वोटों का बंटवारा नहीं रोक पाए और आरएलडी मुखिया अजित सिंह जाट वोट ट्रांसफर नहीं करा पाए.
बता दें, यूपी में बीएसपी-एसपी और राष्ट्रीय लोकदल ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. एसपी 37, बीएसपी 38 और आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. वहीं अमेठी और रायबरेली सीट पर गठबंधन ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था.
उत्तर प्रदेश में बीएसपी ने 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, समाजवादी पार्टी के हिस्से सिर्फ पांच सीटें आईं हैं. राष्ट्रीय लोकदल ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसे एक भी सीट नहीं मिली.
शिवपाल ने बीजेपी को ट्रांसफर कराया यादव वोट
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मायावती ने अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव का तीन बार नाम लिया. उन्होंने कहा कि शिवपाल ने कई जगहों पर यादव वोट बीजेपी को ट्रांसफर करा दिया.
24 साल पुरानी दुश्मनी भुला साथ आए थे मुलायम-माया
18 अप्रैल, 2019 को जब मैनपुरी में माया-मुलायाम ने एक साथ मंच साझा किया तो ये यूपी की राजनीति में 24 साल बाद दिखने वाली तस्वीर थी. एसपी-बीएसपी जो एक दूसरे की कट्टर दुश्मन थी वो लोकसभा चुनाव में एक साथ आईं. लगा कि दोनों का गठबंधन यूपी की राजनीति को पलट कर रख देगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. बीएसपी ने जरूर लोकसभा की अपनी सीटें 0 से बढ़ाकर 10 कर लीं लेकिन मुलायम के हाथ निल बट्टे सन्नाटा लगा.
दरअसल, दोनों पार्टियों के रिश्ते तब खराब हो गए थे जब दो जून, 1995 को लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हुआ. इस गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1 में मायावती अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. अचानक एसपी कार्यकर्ताओं का एक हुजूम उनके कमरे की तरफ बढ़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कमरे में तोड़फोड़ हुई, अपशब्द शब्द बोले गए और मायावती के साथ बदसलूकी भी की गई. कहा जाता है कि कमरे में मौजूद विधायक भी मायावती को बचाने के लिए नहीं आए और फरार हो गए. बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी, कमरे के अंदर दाखिल हुए और मायावती की जान बच सकी थी. इससे पहले कई घंटे तक मायावती कमरे में बंद रही. गेस्ट हाउस कांड की कई ऐसी चीजें हैं जो आजतक सामने नहीं आ सकी हैं. लेकिन कई रिपोर्ट्स में मायावती के साथ गाली गलौज, मारपीट तक की बात मिलती है. बताया जाता है कि कुछ बीएसपी विधायकों से जबरदस्ती समर्थन लेने की भी कोशिश की गई, उनसे हस्ताक्षर कराए गए.
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