उत्तर प्रदेश में चुनाव दूर हैं लेकिन ब्राह्मण गैर ब्राह्मण की राजनीति खूब हो रही है. यूपी में ब्राह्मण सेफ नहीं है ये बीजेपी के विधायक कह रहे हैं, विपक्ष के नेता कह रहे हैं, सोशल मीडिया पर खूब चैटर है. नौबत ये है कि प्रदेश के डीजीपी को कहना है पड़ रहा है कि जो अपराधी हैं, उनकी कोई जाति या धर्म नहीं होता.
विकास दुबे एनकाउंटर से उठने लगे सवाल
कानपुर में 8 पुलिसवालों की हत्या आरोपी विकास दुबे मारा गया तब भी कुछ लोगों ने इसे ब्राह्मणों के खिलाफ साजिश करार दे दिया. धीरे-धीरे ये बहस तेज हुई और अब तमाम विपक्षी दलों ने योगी सरकार को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है. दलितों की राजनीति करने वालीं मायावती को अब ब्राह्मणों की चिंता सताने लगी और उन्होंने इसके लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया.
दरअसल यूपी सरकार पर आरोप लगे कि वो लगातार ब्राह्मणों को टारगेट कर रही है और इसी वजह से उन पर अत्याचार बढ़ रहा है. इसे ठाकुर बनाम ब्राह्मण का नाम दिया जा रहा है. इसी को लेकर यूपी बीजेपी के MLC उमेश द्विवेदी ने बयान दिया कि योगी सरकार गरीब ब्राह्मणों को अलग से बीमा की सुविधा देगी. अब उनके इसी बयान को लेकर मायावती ने योगी सरकार पर आरोप लगा दिया कि यूपी में ब्राह्मण ही सुरक्षित नहीं हैं. मायावती ने बीमा योजना वाले इस बयान को कमियों पर पर्दा डालने जैसा बताया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,
“यूपी बीजेपी सरकार द्वारा गरीब ब्राह्मणों का बीमा कराने की बात इस वर्ग के प्रति केवल अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए ही लगता है, जबकि ब्राह्मण समाज को वास्तव में बीमा से पहले उन्हें सरकार से अपने मान-सम्मान व पूरी सुरक्षा की गारंटी चाहिए. सरकार इस ओर ध्यान दे तो बेहतर है.”मायावती
AAP सांसद के खिलाफ FIR
मायावती के अलावा यूपी की राजनीति में एक्टिव हुई आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी ब्राह्मणों के खिलाफ अत्याचार की बात कही. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ब्राह्मण विरोधी है. लेकिन इसके बाद बीजेपी समर्थकों ने संजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी. संजय सिंह ने इस मामले को लेकर कहा कि,
“अब तक मेरे खिलाफ यूपी में 8-9 मामले दर्ज हो चुके हैं. मुझे हिस्ट्रीशीटर बनाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन देश में कोई भी चुनी हुई सरकार किसी एक जाति या समुदाय की नहीं हो सकती है. मैंने कहा कि योगी जी अगर आप ठाकुरों के नेता हैं तो उनके लिए काम कीजिए, लेकिन आप ब्राह्मणों, निशादों आदि जाति के लोगों के लिए भी तो काम कीजिए.”सांसद संजय सिंह
वहीं कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश में गिरफ्तार हुए यूपी के भदौही जिले के ज्ञानपुर से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा ने भी योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने सीधे कहा था कि, "मेरा दोष है कि मैं ब्राह्मण हूं और जनपद चुनाव में राजनीति को लेकर मेरी हत्या हो सकती है. वहां (यूपी में) एक जाति का शासन है. माफिया का शासन है इसीलिए मेरी जान को खतरा है."
BJP विधायक ने अपनी ही सरकार से पूछे सवाल
उधर बीजेपी के अपने विधायक ने ही सरकार से ब्राह्मण हितों को लेकर सवाल पूछा है. सुल्तानपुर से बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने विधानसभा में अपना एक लिखित प्रश्न रखा है. जिसमें उन्होंने अपनी ही सरकार से पूछा है कि इस सरकार के कार्यकाल में अब तक कितने ब्राह्मणों की हत्या हुई है? कितने हत्यारे पकड़े गए और उनमें से कितनों को सजा हुई है? सरकार ब्राह्मणों की सुरक्षा कैसे करेगी?
SP-BSP को याद आए परशुराम?
पिछले दिनों जब लोग राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान भगवान राम को याद कर रहे थे, तब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को भगवान परशुराम याद आए. समाजवादी पार्टी ने परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगाने की बात कही, वहीं मायावती ने इससे भी ज्यादा भव्य मूर्ति बनवाने को लेकर बयान दिया. उधर कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं रही. कांग्रेस ने कहा कि परशुराम जयंती पर सरकारी छुट्टी घोषित की जाए. बता दें कि भगवान परशुराम ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक माने जाते हैं.
यूपी की राजनीति में ब्राह्मणों की भूमिका
अब सवाल ये उठता है कि यूपी की राजनीति में ब्राह्मणों की इतनी चिंता आखिर क्यों है और इस मुद्दे को लगातार क्यों उठाया जा रहा है? दरअसल यूपी में ब्राह्मण वोट करीब 11 फीसदी है. ये भले ही दिखने में छोटा लगे, लेकिन कई चुनावों में ब्राह्मण वोट यूपी की सत्ता की चाबी बना है. यानी जिस पार्टी की तरफ ये वोट गया उसे काफी ज्यादा फायदा मिला है. एक ये भी फैक्टर है कि यूपी में पिछले कई सालों से ब्राह्मण वोट पर बीजेपी का ज्यादा दबदबा रहा है. लेकिन इस बार ब्राह्मण समाज की नाराजगी विपक्षी दलों को एक मौके की तरह दिख रही है. जिसे वो किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहते हैं.
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