हरियाणा, पंजाब और यूपी के चुनावों में इसबार किसानों की भूमिका अहम होगी. ऐसे में किसान महापंचायतों का दौर खूब चल रहा है. यूपी में प्रियंका गांधी, जयंत चौधरी के बाद अखिलेश यादव भी किसान महापंचायतों में जुटे हुए हैं. 5 मार्च को अलीगढ़ के टप्पल में योगी सरकार पर बरसने वाले अखिलेश, 19 मार्च को मथुरा में 'किसान महापंचायत' करते नजर आए. इस महापंचायत की तस्वीर और संदेश थोड़े अलग थे. ये संदेश तो था ही कि समाजवादी पार्टी किसानों और उनके प्रदर्शन के साथ है. इसके अलावा महापंचायत में अखिलेश यादव के चुनावी 'रोडमै'प को भी देखा जा सकता है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ मंच साझा कर रहे थे.
'अखिलेश-जयंत' की ये जोड़ी 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से ही दिख रही है. भले ही एसपी-बीएसपी के संबंधों में खटास आ गए हो लेकिन एसपी-आरएलडी एक साथ ही दिख रही हैं. मथुरा के इस किसान महापंचायत से ये संदेश साफ-साफ दे दिया गया है कि 2022 विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने जा रही हैं.
जयंत चौधरी ने मंच से ही कहा कि दोनों ही पार्टियों का गठबंधन है
अगर चौमुखी विकास चाहते हो. अगर ऐसी सरकार चाहते हो जिनकी प्राथमिकता युवा हों. आज हम एक मंच पर खड़े हैं एकजुट हैं गठजोड़ तो हमारा रहेगा. अगर सामाजिक गठजोड़ में तब्दील हो गया जोकि आप बना सकते हो तो वाकई इस देश को बदलने वाली नई ताकत उभर कर सामने आएगी.जयंत चौधरी, उपाध्यक्ष, RLD
पश्चिमी यूपी में किसानों का समर्थन जुटाने की होड़
मथुरा किसान महापंचायत की तारीखें तय होने के बाद से इस 'बड़ा' बनाने की कवायद में एसपी-आरएलडी के कार्यकर्ता लगे हुए थे. चुनौती इसलिए भी थी क्योंकि इससे पहले जिले में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी किसान पंचायत कर चुकी थीं.
दरअसल, किसान कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों ने पश्चिमी यूपी की बयार बदली है. ये यूपी का वो इलाका है जहां की राजनीति में किसान दमदार रहे हैं. यहीं से देश के पहले किसान प्रधानमंत्री-चौधरी चरण सिंह आते हैं, जिनके बेटे अजित सिंह ने कई साझेदारों के साथ गठबंधन कर कर अपने रसूख को कम कर लिया. हालत ये हुई कि साल दर साल आरएलडी की सीटें घटती गईं. लेकिन इन किसान कानूनों ने एक बार फिर इस पार्टी में और जयंत चौधरी की राजनीति में ईंधन डाल दिया है.
मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट-मुस्लिम समीकरण जो टूटे हुए थे, जिसके बाद आरएलडी की नींव भी कमजोर हुई थी. अब इन किसान आंदोलनों से न सिर्फ सामाजिक समीकरण बदले हैं बल्कि राजनीति भी बदलती दिख रही है, जिसका फायदा आरएलडी को हो सकता है. ऐसे में अखिलेश यादव किसी भी हाल में पश्चिमी यूपी में ऐसा साझेदार गंवाना नहीं चाहेंगे क्योंकि उनकी पार्टी भी तरह-तरह के गठबंधन आजमा चुकी है, नतीजा संतोषजनक नहीं निकला है.
मथुरा महापंचायत में अखिलेश-जयंत का निशाना योगी-मोदी
मथुरा में अखिलेश और जयंत दोनों ही योगी सरकार पर बरसते नजर आए. वहीं ये सावधानी बरती कि कांग्रेस और बीएसपी जैसी पार्टियों के बारे में कुछ नहीं कहा.
जयंत चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन के 114 दिन हो गए और 300 से ज्यादा किसान कुर्बानी दे चुके हैं. वो किसी लालच में नहीं बैठे हैं. साक्षी महाराज और कंगना जैसे लोग इन्हें आतंकवादी कह रहे हैं. पीएम मोदी जी खुद संसद में परजीवी जैसे शब्दों का प्रयोग किसानों के लिए करते हैंजयंत चौधरी, उपाध्यक्ष, RLD
मोदी जी का प्रचार तंत्र बहुत ताकतवर है. पैसे वाले लोग इनके साथ जुड़े हुए हैं. हर छोटे-छोटे विज्ञापन में भी मोदी जी की तस्वीर है. BJP एक षड्यंत्रकारी पार्टी है. इस पार्टी में खुराफाती लोग शामिल हो गए हैं.BJP की बातें सिर्फ दंगे से शुरू होती हैं और दंगे पर खत्म होती हैं.
पहनावे से योगी हैं सीएम हैं लेकिन दुख नहीं समझ रहे हैं- अखिलेश
अखिलेश यादव का कहना है कि देश का किसान तभी रुकेगा जब तीनों कानून वापस लिए जाएंगे. अखिलेश ने कहा कि सीएम योगी तो पहनावे से योगी हैं लेकिन वो दुख नहीं समझते.
अगर कानून लागू हो जाएंगे तो कीमतें नहीं मिलेंगी.BJP बड़े-बड़े लोगों से मिलकर हमसे आपसे खेती छीनना चाहती है. और ये आज नहीं बल्कि धीरे-धीरे होगाय
अखिलेश यादव कोरोना वायरस को देखते हुए जिस तरह से केंद्र ने सख्तियां लगाईं, उस पर भी बरसते दिखें. अखिलेश का कहना है कि कोरोना के दौरान सरकार को सबकुछ दिख गया लेकिन किसानों का दुख नहीं दिख रहा है.
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