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यूपी: मायावती ने मेरठ- अलीगढ़ गंवाया, मुस्लिम उम्मीदवार उतार SP का खेल बिगाड़ा?

UP Nagar Nikay Chunav Results 2023: गाजियाबाद, आगरा, और सहारनपुर में बीएसपी दूसरे स्थान पर रही है.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) नगर निकाय चुनाव (Nagar Nikay Chunav) में कमल खिला है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शानदार प्रदर्शन किया है. 'ट्रिपल इंजन' (केंद्र, राज्य और निकाय) का नारा देकर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी ने 17 नगर निगमों में मेयर पदों पर कब्जा जमाया है. वहीं नगर परिषद और पंचायत में भी बीजेपी सबसे पड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. मेयर चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है. वहीं परिषद और पंचायत चुनाव में एसपी दूसरे नंबर पर रही तो बीएसपी तीसरे नंबर पर है. हालांकि, इस चुनाव के जरिए बीएसपी ने एक बार फिर मुस्लिम-दलित वोट बैंक पर पकड़ बनाने की कोशिश की है.

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चलिए आपको बताते हैं कि बीएसपी की रणनीति से कैसे एसपी को नुकसान हुआ? इसके साथ ही बताएंगे कैसे इस चुनाव के जरिए बीएसपी ने लोकसभा चुनाव के लिए संदेश देने की कोशिश की है.

निकाय चुनाव में बीएसपी का प्रदर्शन

सबसे पहले बात मेयर चुनाव की करते हैं. जिसमें बीएसपी को बड़ा झटका लगा है. पिछली बार दो सीटों पर चुनाव जीतने वाली बीएसपी का इस बार खाता भी नहीं खोल पाई. बीएसपी के हाथ से मेरठ और अलीगढ़ नगर निगम भी निकल गया. बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर जीत दर्ज की है. अलीगढ़ में बीजेपी के प्रशांत सिंघल ने जीत दर्ज की है. वहीं दूसरे नंबर पर एसपी है तो बीएसपी तीसरे नंबर पर खिसक गई. मेरठ में बड़ा उलटफेर देखने को मिला. मेयर पद पर BJP के हरिकांत अहलूवालिया ने बाजी मारी. वहीं दूसरे स्थान पर ओवैसी की पार्टी AIMIM रही.

बता दें कि मेरठ में 1995 से 2017 तक पांच बार मेयर का चुनाव हुआ है. इसमें 2 बार बीजेपी और तीन बार बीएसपी जीतने में कामयाब रही. लेकिन इस बार AIMIM ने बीएसपी का खेल बिगाड़ दिया.

हालांकि, गाजियाबाद, आगरा, और सहारनपुर में बीएसपी दूसरे स्थान पर रही है. अगर नगर परिषद और नगर पंचायत की बात करें तो बीएसपी ओवरऑल तीसरे नंबर पर है.

मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव

2022 विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीएसपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. जिसकी झलक नगर निकाय चुनाव में देखने को मिली. बीएसपी ने ब्राह्मण वोट बैंक को छोड़ दलित और मुस्लिम वोटरों पर फोकस करने की कोशिश की है. इस बार के नगर निकाय चुनावों में बीएसपी ने अपनी इसी रणनीति काे विस्तार दिया है. पार्टी ने राज्य के कुल 17 नगर निगमों में से 11 पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे. यही नहीं नगर परिषद और नगर पंचायतों में भी भारी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को तरजीह दी.

माना जा रहा है कि बीएसपी के इस कदम से सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को हुआ है. एसपी 17 नगर निगमों में से एक भी नहीं जीत पाई है. वहीं नगर परिषद और नगर पंचायतों में भी उसे नुकसान झेलना पड़ा है.

क्यों बीएसपी ने बदली रणनीति?

चलिए अब जरा ये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों बीएसपी को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा. 2014 लोकसभा चुनाव में बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. इसके बाद 2017 विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी. उत्तर प्रदेश में लगातार मिल रही हार के बाद बीएसपी हाशिए पर चली गई थी. जिसके बाद पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है.

लोकसभा चुनाव के लिए संदेश

भले ही बहुजन समाज पार्टी को नगर निकाय चुनाव में मनचाहा परिणाम नहीं मिला हो, लेकिन पार्टी ने इस चुनाव के जरिए अपनी मंशा साफ कर दी है. बीएसपी को पिछले कुछ चुनावों में मिली हार के बाद समझ आ गया है कि उसे अपने कोर वोटरों पर फोकस करना होगा. बीएसपी ने मुस्लिम और दलित वोटरों को टारगेट कर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं.

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