क्या पंचायत चुनाव में मृतक, नाबालिग और बरसों पहले गांव छोड़ चुके लोग मतदान कर सकते हैं? ये बेतुका सवाल इसलिए है क्योंकि प्रतापगढञ के मुरैनी पंचायत से ऐसी ही शिकायत गांव वाले कर रहे हैं. इस पंचायत में बड़ी संख्या में मृतक और पलायन कर चुके लोगों के नाम वोटर लिस्ट में मौजूद हैं. जबकि, गांव में कई पीढ़ी से निवास कर रहे लोगों के नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं हैं. इन लोगों का दावा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में इनके नाम सूची में मौजूद थे. खास बात ये है कि ऐसे लोगों की संख्या जीत हार का अंतर तय करती हैं. सरकारी अधिकारी का दावा ये है कि कई चरणों में सूची का सत्यापन हुआ है और जांच चल रही है. इन तमाम पहलुओं की पड़ताल करती क्विंट की खास रिपोर्ट.
क्या है पूरा मामला?
जिले के सांगीपुर ब्लॉक के मुरैनी गांव के बी.एल.ओ द्वारा तैयार की गई मतदान सूची 22 जनवरी 2012 को जारी हुई. कई गांववालों ने दावा किया कि सूची में बड़ी संख्या में गांववासियों के नाम मौजूद नहीं हैं. मुरैनी गांव के के एक मतदाता भास्कर प्रताप सिंह ने DM और ADM को लिखित आवेदन दे कर वोटर लिस्ट में हुई गड़बड़ की शिकायत की.
लिस्ट में 228 लोगों के फर्जी नाम का दावा
भास्कर बताते हैं कि लिस्ट में 228 लोगों के फर्जी नाम मौजूद थे. हमारी शिकायत पर कानूनगो रुद्र तिवारी ने घर-घर जांच करते हुए 201 फर्जी नाम पाए. उन्होंने इसकी रिपोर्ट SDM और तहसीलदार कार्यालय के हवाले की. लेकिन तहसीलदार कार्यालय ने घर बैठे इनमें से 81 नामों को ही फर्जी बताते हुए 119 लोगों के नामों को सूची में वैध करार कर दिया. जबकि कानूनगो की रिपोर्ट के अनुसार 201 नाम वोटर लिस्ट में अवैध थे.
वोटर लिस्ट में गड़बड़झाला हुआ कैसे?
भास्कर आगे कहते हैं कि गांव की प्रधान कमला मिश्रा के पुत्र प्रदीप मिश्रा इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने पहले अपने भाई की पत्नी जो BLO हैं उनकी मदद से पहले 201 फर्जी नाम दिखाए. लेकिन हमारी शिकायत के बाद तहसीलदार कार्यालय से मिलकर 201 नामों में से 119 नाम वैध करा लिए. ये सूची 5 अप्रैल 2021 को संशोधित होकर जारी हुई. ,भास्कर का कहना है कि इस संशोधन के बाद भी कई गांवालों के नाम सूची में दर्ज नहीं हैं जो सालों से गांव में रह रहे हैं.
'पिछली बार था इस बार लिस्ट में नाम नहीं'
मु्रैनी गांव की रहने वाली सावित्री ने द क्विंट से बताया कि "मेरे परिवार में 5 मतदाता हैं. हमने पिछले प्रधानी चुनाव में वोट किया. लेकिन इस बार लिस्ट में नाम नहीं है, अब ये कैसे हुआ समझ में नहीं आता. हम वोट कैसे देंगे यह बात भी समझ में नहीं आती. इसी गांव में बुजुर्ग हो गई लेकिन ऐसा पहले नहीं हुआ था."
“मैंने पूर्व पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव 2017 एवं लोकसभा चुनाव 2019 में वोट दिया. पिछली लिस्ट में नाम थे लेकिन अप्रैल में संशोधन के समय वोटर लिस्ट से परिवार के 7 सदस्यों के नाम कट गए.”बलराम वर्मा, स्थानीय मतदाता
“मैं इस गांव में चौथी पीढ़ी के तौर पर रह रहा हूं. मैंने हमेशा हर चुनाव में वोट किया है. लेकिन इस बार परिवार के 15 मतदाताओं में से पांच वोटर के नाम नहीं हैं. अब हम पढ़े-लिखे तो नहीं हैं इसलिए कहां शिकायत करें.”गुरदयाल सरोज, स्थानीय मतदाता
डीएम, एसडीएम से लगा चुके हैं गांववाले गुहार
नाराज गांववालों ने SDM, DM से गुहार लगाने पहुंचे. लोगों ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई कि बड़ी संख्या में मृतक, दूसरे गांव में मुरैनी की विवाहित महिलाएं, पलायन कर चुके परिवार, कुछ नाबालिग और कुछ काल्पनिक लोगों के नाम वोटर लिस्ट में मौजूद हैं जो पूर्णतः अवैध है. जबकि कई पीढ़ी से गांव में निवास करने वाले लोगों के नाम सूची से बाहर हैं.
“उदाहरण के लिए रामा, राजा और उनकी पत्नी, उनके पुत्र गांव के निवासी नहीं हैं जिनकी क्रम संख्या 8,9,10,11 है. इनके अलावा और भी ऐसे बहुत लोगों के नाम लिस्ट में फर्जी हैं. 28 क्रम संख्या पर मृतक बद्री पिता पांचू मौजूद हैं. 38 क्रम संख्या पर मृतक सुखदेई का नाम मौजूद है. जबकि 77, 78, 79 और 80 क्रम संख्या पर मौजूद महिलाएं दूसरे गांव में विवाह के बाद बस गईं. इस फर्जी मतदाता सूची को लेकर हमने जिला के अधिकारियों तक गुहार लगाई, इसके बावजूद लिस्ट में कोई संशोधन नहीं दिखा.”नीलम सिंह, प्रधान प्रत्याशी, मुरैनी
राम कुमार पांडेय बताते हैं कि वोटर लिस्ट में एक ही नाम लिस्ट में दो क्रम संख्या पर मौजूद हैं. उदाहरण के लिए सजन लाल पटुवा क्रम संख्या 16 और 21 पर मौजूद हैं. यही नहीं लिस्ट में नाबालिग के नाम भी मौजूद हैं जैसे प्रधान कमला मिश्रा की दो पोती का नाम क्रम संख्या 1208 एवं 1209 पर लिस्ट में मौजूद है जो अभी वोट देने की लिए तय उम्र की नहीं हैं.
कानूनगो का क्या कहना है?
कानूनगो रुद्र तिवारी कहते हैं कि ''प्रधान कमला मिश्रा के परिवार की बहू नीलम मिश्रा BLO हैं. उन्होंने मतदाता सूची का काम ठीक से नहीं किया था. हमने जो जांच की वह घर घर जाकर लिस्ट बनाई है जो बिल्कुल करेक्ट है. रही बात नाम कट जाने की तो इसकी जानकारी नहीं है. नाबालिग नामों के मामले में हमने किसी का नाम नहीं देखा. अब किसी ने आधार कार्ड लगा कर उम्र 18 दिखाई है तो उसकी उम्र हम कैसे अंडरएज मान लें. रही बात प्रधान प्रतिनिधि के द्वारा लिस्ट में BRC से मिल कर उन्होंने किया कराया हो तो ये नहीं बता पाएंगे. जबकि प्रधान के घर की ही महिला BLO थीं, यदि वह ठीक से काम की होतीं तो आज इतनी गड़बड़ी नहीं होती."
'छवि धूमिल की जा रही है'
इस गांव का एक परिवार है जो कहता है कि देश की आजादी के बाद से अबतक मुरैनी का प्रधान इसी परिवार से रहा है. ऐसे में लोग छवि धूमिल करना चाहते हैं.
“जब से देश आजाद हुआ है तब से मुरैनी का प्रधान मेरे परिवार से रहा है. इसलिए लोग ईर्ष्या में हमारी छवि धूमिल कर रहे हैं. रही बात BLO कि वह हमारे परिवार से हैं तो ये आरोप गलत है. नीलम मिश्रा हमारे परिवार से नहीं हैं. आरोप लगाने वालों को पता ही नहीं है कि BLO कौन है.”प्रदीप मिश्रा, पूर्व प्रधान प्रतिनिधि, वर्तमान प्रधान प्रत्याशी के पति, मुरैनी
उप-निर्वाचन अधिकारी का तर्क क्या है?
ADM शत्रोहन वैश्व प्रतापगढ़ पंचायत चुनाव में उप-जिला निर्वाचन अधिकारी हैं. वोटर लिस्ट में हुई गड़बड़ी पर उन्होंने क्विंट से बताया कि जिनको भी नामों को लेकर आपत्ति देनी थी उनकी एप्लीकेशन पर दो महीने पहले SDM ने जांच कराई थी. लेकिन अब 26 मार्च के बाद कोई शिकायत या आपत्ति नहीं ली जा सकती. रही बात इस प्रकरण पर जांच की, तो वह चल रही है अगर कोई दोषी हुआ तो कठोर कार्रवाई होगी, वह चाहे अधिकारी हों या कर्मचारी.
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