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UP लोकल चुनाव में चल रहा हाई वोल्टेज ड्रामा-नकली पर्चा, सरेंडर...

UP जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: SP V BJP में जंग बड़ी तीखी हो चली है

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पश्चिम बंगाल चुनाव में टीएमसी के नारे 'खेला होबे' की तर्ज पर यूपी (Uttar Pradesh) में भी 'खेला होई' लिखे पोस्टर कुछ जगह लगे. यूं तो ये पोस्टर 2022 विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए लगे थे. लेकिन खेला होई 'इंपैक्ट' जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में ही दिखने लगा है. मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच है.

फिलहाल,स्थिति ये है कि यूपी के 75 जिलों में से 22 जिलों में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. इनमें से 21 जगहों पर बीजेपी और महज एक जगह इटावा में समाजवादी पार्टी का कब्जा है. बीएसपी ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वो इन चुनाव में हिस्सा नहीं ले रही है ऐसे में बीएसपी से जुड़े जिला पंचायत सदस्य भी उलझन में हैं. बीजेपी-एसपी दोनों की नजर इन सदस्यों पर है. बाकी के 53 जिलों के लिए 3 जुलाई को मतदान होंगे.

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यहां एक बात समझना चाहिए कि यूपी पंचायत चुनाव या जिला पंचायत अध्यक्ष के इन चुनाव में उसी पार्टी को बढ़त मिलती आई है जिसकी सत्ता रही है. 2015 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के भी कई अध्यक्ष निर्विरोध चुन लिए गए थे. उस वक्त अखिलेश यादव की सरकार थी.

जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी पर आरोप पर आरोप

अब अंतिम नतीजों से पहले की जो तस्वीर है, उसे देखने के लिए इन चुनाव की कुछ एक्शन और उनपर आए रिएक्शन पर नजर डालना होगा.

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार ये आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी बलपूर्वक समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को नामांकन से रोक रही है और उनपर दबाव बनाने के लिए हर तरह का हथकंडा अपना रही है. ये आरोप ऐसे समय में लगाए जा रहे हैं कि जब एक के बाद अलग-अलग जिलों से या तो समाजवादी पार्टी समर्थित प्रत्याशी नामांकन वापस ले ले रहे हैं या पर्चा ही नहीं भर पा रहे हैं. उदाहरण देखिए-

  • बहराइच में समाजवादी पार्टी समर्थित नेहा अजीज ने अपना नामांकन वापस ले लिया जिससे बीजेपी की मंजू सिंह की जीत का रास्ता साफ हो गया.

  • शाहजहांपुर में एसपी समर्थित उम्मीदवार बीनू सिंह भगवा खेमे में चली गईं, जिससे बीजेपी की ममता यादव निर्विरोध चुनी गईं.

  • पीलीभीत में एसपी उम्मीदवार, बीजेपी समर्थित प्रत्याशी को जिताने के लिए अपना नामांकन वापस ले चुके हैं.

  • कई जिलों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन तक नहीं कर पाए, मुरादाबाद इसका बड़ा उदाहरण हैं जहां एसपी के चार विधायक हैं.

इस तरह के चौंकाने वाले घटनाक्रम को देखते हुए अखिलेश यादव ने 12 जिलों के अध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया है. इन सब पर सक्रिय नहीं रहने की वजह से गाज गिरी है.

सरकारी मशीनरी के गलत इस्तेमाल का आरोप

जिला पंचायत अध्यक्ष के इन चुनाव में एसपी ये भी आरोप लगा रही है कि उनकी पार्टी के नेताओं पर एकतरफा कार्रवाई हो रही है. पार्टी कुछ उदाहरण भी गिना रही है-

  • आरोप है कि अलीगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की आरएलडी-एसपी गठबंधन की प्रत्याथी के ईट-भट्टे पर छापा मारा गया और रोक लगाई गई. अलीगढ़ की आरएलडी जिला पंचायत सदस्य के नर्सिंग होम को सील करने का भी आरोप हैं.

  • 30 जून को समाजवादी पार्टी नेता अभिजीत यादव को NSA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर कलेक्ट्रेट में हंगामा करने का आरोप था.

  • बस्ती जिले में एसपी नेताओं ने आरोप लगाया है कि पार्टी के जिलाध्यक्ष और उनके भाई पर मारपीट का केस चुनाव में दबाव बनाने के लिए लगाया गया है.

  • बदायूं में बनेई वार्ड से कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य ईश्वरवती देवी का आरोप है कि प्रशासन घर गिराने की धमकी दे रहा है, जबरन बीजेपी के पक्ष में मतदान करने को कह रहा है.

इन सभी घटनाओं में नेताओं ने आरोप लगाया कि उनपर नाम वापसी और चुनाव को लेकर दबाव बनाया जा रहा है. समाजवादी पार्टी मांग करती आई है कि चुनाव आयोग ऐसे मामलों का संज्ञान ले.

बागपत में हुई बड़ी चूक?

बागपत में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए आरएलडी प्रत्याशी ममता किशोर के नामांकन को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ. 29 जून को ही किसी महिला ने खुद को ममता किशोर बताकर नामांकन वापस ले लिया, उस वक्त ममता किशोर राजस्थान में थीं. बाद में आरएलडी-एसपी कार्यकर्ताओं के हंगामे के बाद डीएम ने बताया कि चूक हुई है, कार्रवाई होगी और ममता किशोर का नामांकन वैध है. अब समजावादी पार्टी इसे नामांकन रद्द कराने की साजिस बता रही है.

इन सबके बीच बीजेपी आरोपों को तूल न देती हुई खामोश दिख रही है और पार्टी का दावा है कि 90 फीसदी सीटों पर उनकी पार्टी ही जीत दर्ज करेगी. पार्टी की तरफ से निर्विरोध निर्वाचन को पीएम मोदी और सीएम योगी पर भरोसे का उदाहरण बताया जा रहा है.

इससे पहले बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इन चुनाव से किनारा करने का ऐलान किया था. पार्टी के कई नेता इस बीच बीएसपी से एसपी में चले गए हैं. ऐसे में इन झटकों के बाद बीएसपी, एसपी से हिसाब चुकता करने का मौका नहीं छोड़ना चाहेगी. BSP के जिला पंचायत सदस्यों पर एसपी-बीजेपी दोनों की नजर है.
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अयोध्या-सुल्तानपुर में त्रिकोणीय मुकाबला, रायबरेली से कांग्रेस को आस

अब बची हुई 53 सीटों पर साख की लड़ाई है. अयोध्या, सुल्तानपुर, में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है. रायबरेली में कांग्रेस की आरती और बीजेपी की रंजना चौधरी के बीच सीधी लड़ाई है. ऐसे ही सीतापुर में बीजेपी की श्रद्धा नागर एसपी की अनीता राजवंशी और निर्दलीय चन्द्रप्रभा कनौजिया और प्रीति सिंह के बीच दंगल तय है. बाराबंकी में भी एसपी और बीजेपी की लड़ाई है. ऐसे ही अम्बेडकर नगर में बीजेपी के श्याम सुंदर और एसपी के अजीत यादव के बीच मुकाबला होगा.

पश्चिमी यूपी में बीजेपी Vs विपक्ष

किसान आंदोलन के बीच चर्चा का विषय बना पश्चिमी यूपी भी बीजेपी और एसपी दोनों की साख का सवाल बना है. बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, हापुड़, बिजनौर में बीजेपी और विपक्ष के बीच कांटे का मुकबला देखने को मिलेगा. इसी प्रकार बरेली में एसपी की विनीता गंगवार और बीजेपी की रश्मि पटेल के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है. पूर्वांचल में भी बीजेपी और एसपी के बीच सीधी टक्कर होगी. चंदौली, गाजीपुर, मिजार्पुर, बलिया, आजगढ़ और सोनभद्र में दो-दो प्रत्याशी ही नामांकन वापसी के बाद मैदान में हैं.

(इनपुट: IANS से भी)

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