अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 15 देशों के रानयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा को ‘महत्वपूर्ण कदम’ करार दिया लेकिन साथ ही इंटरनेट पर पाबंदी और नेताओं की हिरासत पर भी चिंता जाहिर की. आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा को केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को वापस ले लिया था और प्रदेश को दो केंद्र शाषित राज्यों में बांट दिया था.
इसके बाद से क्षेत्र में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थी. उसके बाद से ही राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुला और मेहबूबा मुफ्ती अपने ही घर में नजरबंद हैं.
आर्टिकल 370 को हटाने के बाद से पहली बार 15 देशों के राजनयिकों ने 9 जनवरी को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया जिसमें अमेरिका के राजदूत भी शामिल थे. यहां उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, सिविल सोसायटी के सदस्यों और सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात की.
हालांकि इस यात्रा को लेकर सरकार पर आरोप लग रहा है कि यह ‘गाइडेड टूर’ है लेकिन सरकार इससे इनकार कर रही है.
अमेरिका में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के ब्यूरो की प्रिंसिपल डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस जी वेल्स ने शनिवार को उम्मीद जताई कि इस क्षेत्र में स्थिति सामान्य होगी.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा,
‘‘ वह भारत में अमेरिकी राजदूत तथा अन्य विदेशी राजनयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा पर बारीकी से नजर रखी हुई हैं. यह एक महत्वपूर्ण कदम है। हम नेताओं, लोगों को हिरासत में लिए जाने और इंटरनेट पर प्रतिबंध से चिंतित हैं. हमें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होगी.’’
वेल्स इस सप्ताह दक्षिण एशिया की यात्रा पर आने वाली हैं. वो 15-18 जनवरी तक नई दिल्ली की यात्रा पर होंगी.
हाल ही में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कुछ स्थानीय नेताओं को रिहा किया है, लेकिन तीनों पूर्व मुख्यमंत्री अभी भी नजरबंदी में ही हैं.
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