लखनऊ में सियासी हलचल तेज है. योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार को लेकर तस्वीर साफ हो चुकी है. ये तय हो चुका है कि 21 अगस्त को दिन में 11 बजे राजभवन में राज्यपाल नए मंत्रियों को शपथ दिलाएंगी. लिहाजा मंत्रिमंडल को लेकर हर कोई अपने स्तर से अटकलें लगा रहा है.
प्रदर्शन के पैमाने पर कौन मंत्री खरा उतरा है, किसकी छुट्टी होने जा रही है और कौन मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहा है, इसे लेकर कयासबाजी जोरों पर है. इसे इतना गोपनीय रखा गया है कि जिन नए चेहरों को शपथ दिलाया जा सकता, उन्हें भी देर रात तक कोई सूचना नहीं मिली.
विस्तार से पहले चला इस्तीफे का दौर
योगी सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में कामकाज औसत ही माना जाएगा. उपलब्धि के नाम पर सरकार के पास बताने के लिए कुछ खास नहीं है. सीएम भले ही शहर-दर-शहर दौरे करते रहे हों, लेकिन कई ऐसे मंत्री थे, जिनके विभाग में लापरवाही की खबरें सामने आती रहीं. लिहाजा मंत्रिमंडल में फेरबदल की कवायद लोकसभा चुनाव के पहले ही शुरू हो गई थी, पर हकीकत का जामा अब पहनाने की तैयारी है.
यूपी में पार्टी अध्यक्ष की घोषणा के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार पर मुहर लगी है. ये तय हुआ कि कुछ मंत्रियों को प्रमोशन दिया जाएगा और कुछ नए विधायक सरकार में शामिल होंगे. हालांकि इन लोगों के नामों का ऐलान तो नहीं हुआ, लेकिन मंत्रिमंडल से छुट्टी पाने वाले मंत्रियों के नाम सार्वजनिक जरूर हो गए.
मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले मंत्रियों के धड़ाधड़ इस्तीफे का दौर शुरू हुआ, तो ये तय हो गया कि इन लोगों को पार्टी आलाकमान ने 'अवकाश' दे दिया है.
मंत्रियों के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी
इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल शामिल हैं. यही नहीं, चेतन चौहान, मुकुट वर्मा, अर्चना पांडेय के अलावा स्वाति सिंह को भी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की चर्चा है.
सरकार इन मंत्रियों से क्यों नाखुश थी, इसकी कई वजह हैं. शुरुआत वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल से करते हैं. इनके कंधे पर सरकार के खजाने को भरने की अहम जिम्मेदारी थी, लेकिन ढलती उम्र और स्वास्थ्य के कारण राजेश अग्रवाल सरकार की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे थे.
यही नहीं, कहा जाता है कि राजेश अग्रवाल के बूथ पर बरेली के सांसद संतोष गंगवार को समाजवादी पार्टी से कम वोट मिले. इस मुद्दे को संतोष गंगवार ने पार्टी आलाकमान के सामने उठाया था.
इसी तरह बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपम जायसवाल से भी योगी आदित्यनाथ खफा थे. ठंड के दिनों में छात्रों को स्वेटर बांटने को लेकर जिस तरह उन्होंने सरकार की किरकिरी कराई, उससे पार्टी आलाकमान ने भी नोटिस किया. इसके अलावा उनके खिलाफ कई और भी शिकायतें मिल रही थीं.
स्वाति सिंह की पॉलिटिक्स में एंट्री बड़े नाटकीय ढंग से हुई थी. स्वाति सिंह बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं. मायावती के खिलाफ बदजुबानी पर फंसे दयाशंकर के समर्थन में स्वाति सिंह ने जिस तरह बीएसपी के खिलाफ मोर्चा खोला था, उसके बाद उन्हें लेकर बीजेपी में एक उम्मीद जगी. लिहाजा पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान न सिर्फ टिकट दिया, बल्कि सरकार में भी शामिल किया.
कहा जाता है कि मंत्री बनने के स्वाति सिंह पर राजनीति की चकाचौंध हावी हो गई. बीजेपी आलाकमान के निशाने पर वो तब आ गईं, जब वो लखनऊ में एक बीयर बार का उद्घाटन करने पहुंच गईं. इस वाकये ने सरकार की खूब फजीहत कराई थी.
कई मंत्रियों का बढ़ेगा कद
योगी मंत्रिमंडल के गठन के समय कुल 47 मंत्री थे. इनमें से रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी और एसपी सिंह बघेल लोकसभा में निर्वाचित होने की वजह से मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुके हैं. इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद स्वतंत्र देव सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया है. बीजेपी के एक ‘व्यक्ति-एक पद’ के सिद्धांत के आधार पर उनका इस्तीफा लिया गया.
इसके अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी मंत्रिमंडल से बाहर हो चुके हैं. खाली हुए विभागों की कमान किन विधायकों या फिर मंत्रियों को दी जाती है, ये 21 अगस्त को ही मालूम हो पाएगा. लेकिन कई मंत्री हैं, जिनका कद बढ़ाया जा सकता है.
बीजेपी में कब क्या होगा, ये बात पाना थोड़ा कठिन होता है. खास तौर से मोदी-शाह के जमाने में चर्चाओं से उलट हमेशा कुछ अप्रत्याशित होते रहने की रवायत रही है. फिर भी ये सियासत है, जो कयासबाजी और चर्चाओं के आधार पर ही आगे बढ़ती है.
अगर अटकलों पर गौर करें, तो मौजूदा मंत्रिमंडल में शामिल नीलिमा कटियार, राम चौहान, महेंद्र सिंह, मोहसिन रजा के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से आने वाले अनिल राजभर सहित आधे दर्जन मंत्रियों का प्रमोशन भी हो सकता है.
ये हो सकते हैं सरकार में शामिल
प्रदेश के मंत्री ही किसी भी सरकार के चेहरे होते हैं. ऐसे में योगी सरकार मंत्रियों के चयन में फिर से गच्चा नहीं खाना चाहती. विकास कार्यों में तेजी लाने और सरकार की नई छवि गढ़ने के लिए जरूरी है कि मंत्रिमंडल में कुछ नए और तेज-तर्रार चेहरे लाए जाएं.
माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में 15 नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं. सरकार की कोशिश है कि जातिगत समीकरण को भी साधा जाए. ब्राह्मण लॉबी को मेंटेन करने के लिए अगर महेंद्रनाथ पांडे को केंद्र में जगह दी, तो वहीं ओबीसी को साधने के लिए स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश की कमान सौंप दी. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में भी सरकार की ये नीति झलकेगी.
जातिगत समीकरण के साथ क्षेत्रीय दांव-पेच का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इस बार पश्चिम के नेताओं को ज्यादा तवज्जो मिलने की उम्मीद है. फिलहाल जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, उसमें पंकज सिंह, उदय भान सिंह, सतीश द्विवेदी, अनिल शर्मा, कपिल देव अग्रवाल, दल बहादुर कोरी के अलावा अपना दल से अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह का नाम सुर्खियों में है.
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