पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. ये चर्चाएं उनके दिए गए बयानों के बाद से शुरू हुईं. राजनीतिक पंडित उनके बयानों को कांग्रेस की विचारधार से जोड़कर देख रहे हैं. अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या वरुण गांधी का अब बीजेपी से मोहभंग हो गया है. क्या वो अब बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस से हाथ मिलाएंगे? लोग ये भी कह रहे कि वरुण गांधी बीजेपी द्वारा की जा रही अनदेखी से काफी नाराज हैं और पार्टी में रहकर ही पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं, जो संकेत है कि उन्होंने अपने लिए अन्य दरवाजे भी खोल लिए हैं.
साल 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद से उपेक्षित वरुण गांधी ने तब ही मोर्चा खोल दिया था. लेकिन, उस समय उनके इशारे किसी पार्टी में शामिल होने को लेकर नहीं था, बल्कि अपनी उपस्थिति दर्ज करानी थी कि वो भी बीजेपी के जनाधार वाले नेता हैं, उनकी उपेक्षा ना की जाए. बावजूद, बीजेपी की तरफ से उन्हें अनदेखा ही किया गया. हद तो तब हो गई जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के मंत्रीमंडल में उनकी मांं मेनका गांधी को जगह नहीं दी गई.
साल 2019 के बाद से ही वरुण गांधी बीजेपी पर हमलावर हैं. अपने भाषणों और पत्र-पत्रिकाओं में लिखे अपने लेखों से. साल 2019 के बाद से ही वह हमेशा बेरोजगारी, गरीबी, धर्म के नाम पर राजनीति और किसानों का मुद्दा उठाते रहे हैं. इसी बीच वरुण गांधी का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वो सरकार पर बेरोजगारी और किसानों के खिलाफ होने का मुद्दा उठाया था. सेना में अग्निवीर योजना पर भी उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे. इसके साथ ही वो यूपी की योगी सरकार पर हमलावर रहते हैं.
भाई-भाई को बांटने की राजनीति नहीं होने देंगेः वरुण गांधी
हालही में वरुण गांधी ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि...
"भाई को बांटो और भाई को काटो की राजनीति नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि मैं ना कांग्रेस के खिलाफ हूं, और ना ही नेहरू के खिलाफ हूं. हमारे देश की राजनीति देश की जोड़ने की होनी चाहिए ना कि देश को तोड़ने की."
वरुण गांधी ने आम जनता से अपील की कि आज जो लोग धर्म और जाती के नाम पर वोट ले रहे हैं, उनसे रोजगार, किसान और शिक्षा को लेकर पूछें.
वरुण गांधी ने कहा कि हमें लोगों की दबाने की नहीं, बल्कि उन्हें उठाने की राजनीति करनी चाहिए.
उन्होंने केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश और प्रदेश का किसान आज संकट में है, लेकिन कोई भी टीवी चैनल और अखबार लिखने के लिए तैयार नहीं है. तोते की तरह केवल हिंदू-मुस्लिम और जाति-पाति कर रहे हैं. नेता ऐसा होना चाहिए जो गरीब जनता को अपने कंधे पर उठाकर चले नाकि अपने जूते पर बैठाए.
वरुण गांधी के इस बयानों में राजनीति के जानकार कई मायने निकाल रहे हैं. वरुण भले ही प्रत्यक्ष रूप से बीजेपी के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. उनकी नाराजगी की गई वजहें हो सकती हैं. एक तो वो गांधी परिवार से आते हैं और बीजेपी की तरफ से उन्हें पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं देना. दूसरी ये की उनकी मां केंद्र की मोदी सरकार की पहली कैबिनेट में शामिल थीं, लेकिन मोदी 2.0 से उन्हें बाहर कर दिया गया. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या वरुण गांधी किसी और दल की ओर अपना रूख कर सकते हैं?
राहुल गांधी से जोड़कर देखा जा रहा वरुण गांधी का बयान
राजनीति के जानकार वरुण गांधी के बयान को राहुल गांधी से जोड़कर देख रहे हैं. राहुल गांधी फिलहाल, "भारत जोड़ो यात्रा" पर हैं, जहां वो नफरत छोड़ो भारत जोड़ो की बात कर रहे हैं. वो भी देश में बेरोजगारी, गरीबी और किसानों के मुद्दे को खुलकर सामने ला रहे हैं. साथ ही पत्रकारों पर हिंदू-मुस्लिम का तुष्टीकरण करने का आरोप लगा रहे हैं. यही बात वरुण गांधी भी कर रहे हैं. इससे राजनीतिक गलियारों में और हवा मिल रही है कि कहीं वरुण गांधी कांग्रेस में तो नहीं जा रहे.
इस पर यूपी कांग्रेस OBC के अध्यक्ष मनोज यादव कहते हैं कि..
कांग्रेस पार्टी में सबका स्वागत है. अगर वरुण गांधी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं. अगर उन्हें लगता है कि वो कांग्रेस की विचारधारा पर चल सकते हैं, हर धर्म, पंथ और समाज को साथ लेकर चल सकते हैं तो आएं और नफरत छोड़ो भारत जोड़ो में शामिल हों. राहुल गांधी से कदम से कदम मिलाकर चलें. हालांकि, वरुण गांधी को पार्टी में शामिल करने का अंतिम निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और आलाकमान का होगा.मनोज यादव, अध्यक्ष, यूपी कांग्रेस OBC
अगर वरुण गांधी कांग्रेस में शामिल हो जाते हैं तो कांग्रेस के लिए कितना बड़ा एसेट्स होंगे?
इस सवाल के जवाब में यादव कहते हैं कि...
कांग्रेस में हर कार्यकर्ता एसेट्स है. अगर आम आदमी भी पार्टी में शामिल होता है तो वो भी उतना ही एसेट्स है, जितना की वरुण गांधी, इसमें कोई भेद नहीं है. हां ये जरूर है कि वरुण गांधी एक बड़े नेता हैं और उनका प्रभाव जाहिर तौर पर बड़ा होगा, जो पार्टी के लिए भी एक मजबूती प्रदान करेगा.मनोज यादव, अध्यक्ष, यूपी कांग्रेस OBC
वरुण गांधी पर क्या बोले राहुल गांधी?
जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वरुण गांधी कांग्रेस में शामिल होंगे? इस पर राहुल गांधी ने कहा था कि...
"वरुण गांधी के पार्टी में शामिल होने या नहीं होने का सवाल खड़गे जी से करिये. वैसे तो भारत जोड़ो यात्रा में उनका या सबका स्वागत है, लेकिन वो बीजेपी में हैं, उनको दिक्कत हो जाएगी. स्वागत तो सबका है. लेकिन वो बीजेपी में हैं तो प्रॉब्लम तो होगी ही उनको."
हालांकि, वरुण गांधी ने पहले ही बयान देकर संकेत दे दिए थे. वरुण गांधी ने कहा था कि "भाई को बांटो और भाई को काटो की राजनीति नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि मैं ना कांग्रेस के खिलाफ हूं, और ना ही नेहरू के खिलाफ हूं. हमारे देश की राजनीति देश की जोड़ने की होनी चाहिए ना कि देश को तोड़ने की." वरुण गांधी का ये बयान तब सामने आया है, जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. यहां दोस्त दुश्मन बन जाता है और दुश्मन दोस्त बन जाता है. तो फिर भाई-भाई एक क्यों नहीं हो सकते?
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