मुंबई पुलिस अपने पूर्व कमिश्नर को ढूंढ रही है. वो चार महीने से गायब हैं. अब मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है. भ्रष्टाचार और जबरन वसूली मामले की जांच कर रही चांदीवाल समिति ने ये वारंट जारी किया है.
कई नोटिस के बावजूद परमबीर सिंह समिति के सामने पेश नहीं हुए. इसीलिए समिति ने वारंट देने के लिए एक उच्च अधिकारी को नियुक्त करने के आदेश दिए हैं. साथ ही 50 हजार का जमानती बॉन्ड भी भरने को कहा है. अब 22 सितंबर को जांच समिति की अगली सुनवाई होगी.
क्या भाग रहे हैं परमबीर सिंह ?
राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए 100 करोड़ की वसूली के आरोपों की न्यायिक जांच करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 30 मार्च 2021 को एक सदस्यीय समिति का गठन किया था.
लेकिन महाराष्ट्र होम गार्ड के डीजी पद का चार्ज लेने के कुछ ही दिनों बाद परमबीर सिंह मेडिकल लीव पर चले गए. इससे पहले आयोग द्वारा तीन बार सुनवाई के लिए अनुपस्थित रहने के लिए परमबीर को जुर्माना लगाया गया है. जिसे उन्होंने वकील के द्वारा सीएम रिलीफ फंड में जमा कर दिया.
इतना ही नहीं बल्कि परमबीर ने आयोग की जांच को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में भी गुहार लगाई.
इसीलिए अब सवाल उठ रहा है कि आखिर परमबीर सिंह हैं कहां? वो सुनवाई क्यों टाल रहे हैं? क्या उन्हें गिरफ्तार होने का डर है? या फिर वो महाराष्ट्र में चल रही सियासत का एक प्यादा बन कर रह गए हैं?
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, परमबीर सिंह के खिलाफ अलग अलग आरोपों में अब तक पांच मामले दर्ज हुए हैं. जिसमे 2 मुंबई, 2 ठाणे और एक अकोला जिले में दर्ज हुआ है. परमबीर पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किया और जबरन वसूली की.
मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई जिसमें पीआई और एसीपी रैंक के अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया गया है. लेकिन बाद में जांच का स्कोप बढ़ाते हुए ये मामला CID को सौंपा गया है. स्टेट CID और ठाणे पुलिस ने परमबीर सिंह के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी कर दिया है.
बता दें कि अंबानी बम धमकी मामले में एपीआई सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र की सियासत में तेजी से पासा पलटा. इस पूरे मामले की जांच NIA को सौंपी गई. जिसके बाद हुए हंगामे पर सीएम उद्धव ठाकरे ने परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटा दिया.
इसके बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने एक इंटरव्यू में कहा कि परमबीर को उनकी कोताही के लिए हटाया गया. जिसपर नाराज होकर परमबीर ने सीएम उद्धव को एक विस्फोटक लेटर लिखा.
परमबीर ने आरोप किया कि गृहमंत्री ने पुलिस को हर महीने 100 करोड़ उगाही का टारगेट दिया था. जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया.
इस लेटर बम के बाद ED और CBI इस मामले की जांच में जुट गई. विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेर लिया. इन आरोपों के बाद महाराष्ट्र में सियासत तेज हो गई. इस पूरी सियासी उठापठक में परमबीर शिकार बनते नजर आए. अब पिछले चार महीनों से परमबीर ना तो जांच के लिए सामने आ रहे हैं, ना ही अपनी ड्यूटी पर लौट रहे हैं.
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