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BJP नेता मुकुल रॉय सपरिवार घर वापसी को बेकरार,TMC नहीं तैयार:सूत्र

रॉय और उनके बेटे मार्च से TMC को कर रहे संपर्क

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पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता मुकुल रॉय अपनी पिछली पार्टी TMC में लौटने की कोशिश कर रहे हैं. TMC के एक टॉप सोर्स ने क्विंट को इसकी जानकारी दी गई. हालांकि पार्टी हाई कमान रॉय को वापस लेने के बारे में उत्साहित नहीं बताया जा रहा है और इसकी वजह रॉय के बीजेपी से बिगड़े रिश्ते हैं.

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रॉय और उनके बेटे मार्च से TMC को कर रहे संपर्क

क्विंट को पता चला है कि मुकुल और उनके बेटे सुभ्रांग्शु रॉय TMC के टॉप नेताओं से पिछले चार महीनों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. सूत्र ने बताया, "जब उन्होंने ममता दीदी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्हें बताया गया कि दीदी के भतीजे अभिषेक इस मामले को देखेंगे."

दोनों बाप-बेटे पिछले कुछ महीनों में ममता के करीबियों से मिलने दिल्ली भी गए लेकिन वहां इन्हें कुछ खास कामयाबी नहीं मिली. खासकर अभिषेक ने अभी तक मुकुल को मिलने का समय नहीं दिया है.

सुभ्रांग्शु ने अकेले आने का ऑफर भी दिया है. उन्होंने कहा है कि वो अपने पिता के बीजेपी में जाने के बाद भी TMC में रहे थे तो उनके बिना ही लौट भी सकते हैं. हालांकि ये आइडिया पार्टी को मंजूर नहीं है.

कभी TMC अध्यक्ष ममता बनर्जी के राइट हैंड समझे जाने वाले मुकुल रॉय ने 2017 में बीजेपी जॉइन की थी. 2015 में उनकी ममता और पार्टी के साथ अनबन शुरू हुई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये अनबन शारदा चिट फंड घोटाले में रॉय की सीबीआई पूछताछ के बाद शुरू हुई थी. बीजेपी में एंट्री के बाद से मुकुल रॉय से सीबीआई ने पूछताछ नहीं की है.

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रॉय की डिमांड और बीजेपी से बिगड़े रिश्ते

मुकुल रॉय ने TMC के सामने तीन बड़ी डिमांड रखी हैं और पार्टी तीनों को ही मानने में झिझक रही है.

पहली मांग ये है कि मुकुल के साथ बीजेपी में गए सभी विधायक और नेताओं को वापस पार्टी में लेना होगा. सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने कहा है कि ‘हर मामले पर अलग फैसला होगा’ और सभी पार्टी छोड़ने वालों का स्वागत नहीं है.  

दूसरी मांग ये है कि मुकुल ने अपने बेटे के लिए 'सुरक्षित भविष्य' सुनिश्चित करने की बात रखी है. पार्टी और सरकार में ज्यादा हिस्सेदारी मांगी गई है लेकिन TMC ने इस पर भी आपत्ति जताई है.

ममता बनर्जी के एक करीबी ने क्विंट को बताया, "मुकुल की आखिरी डिमांड है कि वो पार्टी छोड़ने से पहले की अपनी पोजीशन चाहते हैं और संगठन और लीडरशिप में बड़ी भूमिका मांग रहे हैं. पार्टी ने उनसे कहा है कि अगर वो वापस आते हैं तो उन्हें पार्टी हाई कमान के बताए मुताबिक भूमिका में काम करना होगा."

सूत्रों ने बताया, "मुकुल को बीजेपी से दिक्कत हो रही है. हमें ये पता है. उनका भविष्य उस पार्टी में निश्चित नहीं है. ऐसी स्थिति में उनके हाथ बढ़ाते ही हम क्यों थाम लें?"

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मुकुल रॉय और बीजेपी के बिगड़े रिश्तों की झलक हाल ही में तब देखने को मिली जब वो बंगाल बीजेपी नेताओं और पार्टी की केंद्रीय लीडरशिप की दिल्ली में हुई मीटिंग से गायब रहे. जबकि रॉय उस समय दिल्ली में ही थे.

2017 में बीजेपी जॉइन करने के बाद रॉय ने 2018 के राज्य पंचायत चुनाव में और 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत होने में मदद की. रॉय ने TMC के कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने को भी आयोजित किया. हालांकि पिछले कुछ महीनों में ये बंद हो गया है. जुलाई 2019 में रॉय ने दावा किया था कि TMC के 107 विधायक उनके संपर्क में हैं. हालांकि उसके बाद से एक भी TMC विधायक बीजेपी में नहीं गया है

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि रॉय अपने प्रदर्शन के लिए इनाम की अपेक्षा कर रहे हैं, जबकि पार्टी के लिए अब वो शायद ही किसी काम के बचे हैं. एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "मुकुल रॉय ने जमीनी स्तर पर काम किया है. बीजेपी क्षेत्रीय पार्टी नहीं है. यहां उनका संगठन में वर्चस्व TMC जैसा नहीं हो सकता और यही उन्हें परेशान कर रहा है. साफ कहें तो हमारे लिए अब वो एक लायबिलिटी हैं.

एक और बीजेपी सूत्र ने कहा, “ये भी बात है कि रॉय को दिख रहा है कि उन्हें वो अहमियत नहीं मिल रही, जो दिलीप घोष को मिल रही है. वो परेशान हैं कि घोष को बीजेपी के अगले सीएम चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है. मुकुल TMC नहीं जा सकते क्योंकि अभिषेक वापस नहीं लेंगे. मेरा अनुमान है कि वो ये सब दिल्ली में बीजेपी हाई कमान से अटेंशन पाने के लिए कर रहे हैं.” सूत्र ने कहा कि रॉय केंद्र में मंत्री पद की अपेक्षा भी रखते हैं और अभी वो शाह-मोदी-नड्डा को याद दिलाना चाहते हैं कि उनका पश्चिम बंगाल में अस्तित्व है.

लोकल रिपोर्ट्स ये कहती हैं कि आरएसएस मुकुल रॉय के 'दागी' TMC नेताओं को बीजेपी में लाने से खुश नहीं है. आरएसएस 2019 में ये तक कह चुका है कि वो बंगाल में बीजेपी के रिक्रूटमेंट को 'फिल्टर' करेगा.

क्विंट ने स्टोरी पर टिपण्णी के लिए मुकुल रॉय से संपर्क किया था. रॉय ने क्विंट से कहा, "मैं बीजेपी में ही हूं. मैं पंचायत और लोकसभा चुनाव में पार्टी का इंचार्ज था तो ये सवाल ही नहीं उठता है."

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