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लौट के मुकुल रॉय TMC आए, दूसरे नेताओं का क्या? ममता ने दिया संकेत

ये वही मुकुल हैं जिनके BJP से बाहर जाने की अटकलों के बीच ऐसी खबरें भी आईं थी कि पीएम मोदी तक उनसे बात कर चुके हैं.

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पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले बहने वाली बयार पर उलटी दिशा में बह रही है. कई ऐसे नेता, विधायक जो बीजेपी में चले गए थे वो अब तृणमूल में वापसी की आस देख रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस के मौजूदा स्वरूप में अहम भूमिका निभाने वाले मुकुल रॉय बीजेपी से होकर एक बार फिर ममता बनर्जी की पार्टी में आ गए हैं. ममत बनर्जी का कहना है कि वो उस भूमिका में ही होंगे जिसमें पहले हुआ करते थे. सुवेंदु अधिकारी जैसे जमीनी नेता को खो चुकी तृणमूल कांग्रेस के लिए ये एक सुखद संदेश है साथ ही बीजेपी के लिए बड़ा झटका भी है.

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ये वही मुकुल रॉय हैं जिनके बीजेपी से बाहर जाने की अटकलों के बीच ऐसी खबरें भी आईं थी कि पीएम मोदी तक उनसे बात कर चुके हैं. मुकुल रॉय और उनके बेटे शुभ्रांशु रॉय तो पार्टी में वापसी कर चुके हैं. लेकिन अभी बहुत सारे ऐसे नेता हैं जो वापस आने की राह देख रहे हैं उनके लिए ममता बनर्जी ने शुक्रवार को मंच से ही बड़ा संदेश दिया है.

चुनाव से पहले पार्टी की आलोचना करने वालों के लिए दरवाजे बंद?

ममता बनर्जी का कहना है कि बीजेपी और पैसे के लिए जो नेता चुनाव से पहले पार्टी की आलोचना कर रहे थे, 'धोखा' दे रहे थे उन्हें पार्टी में लेने के बारे में नहीं सोचा जाएगा. सुवेंदु अधिकारी एक वक्त में ममता बनर्जी के काफी करीबी थे जब वो बीजेपी में गए तो ममता बनर्जी पर कई तरह की टिप्पणियां. मामला बयानबाजी से बढ़कर नफरत की तरह दिखने लगा था. सिर्फ सुवेंदु ही नहीं कई दूसरे टीएमसी के पूर्व नेता जो बीजेपी में पहुंचे हैं उन्होंने भी टीएमसी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. अब ऐसे कुछ नेता वापस आने के लिए परेशान हैं. परेशानी किस हद तक है वो मुकुल रॉय की एक टिप्पणी से समझी जा सकती है कि जब उनसे पूछा गया कि ममता के खिलाफ खूब बोलकर आप वापस कैसे आ गए? तो मुकुल रॉय ने कहा कि 'अभी बंगाल में जो स्थिति है, उस स्थिति में कोई बीजेपी में नहीं रहेगा.

केस टू केस होगा फैसला?

मुकुल रॉय की वापसी से पहले 5 जून को ममता बनर्जी ने एक बैठक की थी. न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक, इस बैठक में वापस लौटने वाले नेताओं के बारे में ही मंथन होना था. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि वापस आने वाले नेताओं के लिए कोई समान नीति नहीं होगी बल्कि नेताओं की वापसी का फैसला केस-टू-केस के आधार पर किया जाएगा. ये भी बात सामने आई कि ऐसे नेताओं को पार्टी में लेने से पहले स्थानीय कार्यकर्ताओं की भी मंजूरी ली जाएगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे बताया जा रहा है कि आधा दर्जन विधायक, कुछ सांसद समेत करीब दो दर्जन नेता फिर से पार्टी में आना चाह रहे हैं. कुछ उदाहरण देखिए-

  • विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट ना मिलने पर पार्टी छोड़ने वाली सोनाली गुहा ने कहा कि उन्होंने अत्यधिक भावनाओं और गुस्से में पार्टी छोड़ दी थी. अब उन्हें एहसास हुआ है कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है.
  • टीएमसी में फिर से शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हुए विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर ने लिखा, "मुझे अपने खेमे में ले लो और मुझे आपके मार्गदर्शन और आशीर्वाद के तहत अपना शेष जीवन जीने की अनुमति दें."
  • हबीबपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए टिकट आवंटित की गई सरला मुर्मू ने मार्च में पार्टी छोड़ दी थी और यह आरोप लगाते हुए बीजेपी में शामिल हो गईं थी कि जिला नेतृत्व उन्हें काम नहीं करने दे रहा है. हालांकि पार्टी के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पार्टी इसलिए छोड़ी क्योंकि वह मालदा साउथ से चुनाव लड़ना चाहती थीं. मुर्मू ने रविवार को बनर्जी को एक पत्र लिखकर पार्टी में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की. हालांकि, पार्टी की ओर से अभी तक इस पत्र की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

तृणमूल का क्या कहना है?

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने मुकुल रॉय के पार्टी में शामिल होने से पहले कहा था कि, "जब पार्टी मुश्किल में थी तब उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और अब वे वापस आना चाहते हैं. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि इस मुद्दे पर कोई नीतिगत फैसला नहीं हुआ है." तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने साथ ही यह भी कहा, "पार्टी इन लोगों का भविष्य तय करेगी."

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