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हिंसा पर केंद्न ने बंगाल सरकार से पूछा- रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी?

केंद्र ने पश्चिम  बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर राज्य से 3 मई को डिटेल रिपोर्ट पेश करने को कहा था.

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पश्चिम बंगाल में हो रही कथित राजनीतिक हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा है कि अब तक राज्य में हो रही हिंसा पर रिपोर्ट क्यों नहीं पेश की गई. पीटीआई के मुताबिक गृह मंत्रालय ने हिंसा को लेकर पूछताछ के लिए चार सदस्यीय टीम भी गठित की है.

गृह मंत्रालय ने बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंद्योपाध्याय को रिमाइंडर के तौर पर एक पत्र लिखकर 3 मई को लिखे पत्र का जवाब देने को कहा है. 3 मई के लेटर में केंद्र ने पश्चिम बंगाल से हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने और इसपर डिटेल रिपोर्ट पेश करने को कहा था.

गृह मंत्रालय के मुताबिक, पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक हिंसा पर केंद्र को रिपोर्ट नहीं भेजी है

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि -अब तक रिपोर्ट पश नहीं की गई है. जबकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा जारी है. इसका यही मतलब है कि समय पर जरूरी कदम नहीं उठाए गए.

पत्र में ये भी लिखा है कि अगर स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाती है. तो मामले का गंभीरता से संज्ञान लिया जाएगा.

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2 मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राज्य से हिंसा की खबरें आ रही हैं. बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की है. कई बीजेपी नेताओं ने इस मामले को धार्मिक रंग भी दिया. उनका कहना है कि ‘’बंगाल में हिंदुओं द्वारा मुस्लिमों को मारा जा रहा है’’

दूसरी तरफ टीएमसी का दावा है कि हिंसा में उनके पार्टी कार्यकर्ता भी मारे गए.

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केंद्र सरकार, बीजेपी और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीन धनखड़ ने हिंसा को लेकर  पश्चिम बंगाल सरकार पर दबाव बनाया है.

राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें पश्चिम बंगाल की स्थितियों का जायजा लेने के लिए बुलाया था. साथ ही राज्य की स्थितियों पर नाराजगी भी जताई.

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शपथ लेकर ममता ने की थी शांति की अपील

ममता बनर्जी ने 5 मई को शपथ लेने के बाद सभी राजनीतिक पार्टियों से शांति बनाए रखने की अपील की थी. साथ ही ये भी कहा था कि वे हिंसा से निपटने के लिए सख्त कदम उठाएंगी. ममता ने हिंसा को लेकर कहा था कि 2 से 5 मई के बीच राज्य की कानून व्यवस्था उनके नहीं बल्कि चुनाव आयोग के हाथ में थी.

हालांकि इसपर राज्यपाल का कहना है कि 3 मई को ही आचार संहित हटा ली गई थी. इसके बाद से ही कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी ममता सरकार की थी.

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मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ममता ने पुलिस के उन वरिष्ठ अधिकारियों की बहाली कर दी है, जिन्हें चुनाव आयोग ने हटा दिया था .

पश्चिम बंगाल पुलिस ने सोशल मीडिया पर बंगाल हिंसा के बताए जा रहे कई वीडियो और तस्वीरों को फेक बताया है.

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