प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने उत्तराखंड में रिकॉर्ड जीत दर्ज की है. ऐसा पहली बार है जब किसी पार्टी ने राज्य में 70 विधानसभा सीटों में से 40 का आंकड़ा पार किया है. बीजेपी को यहां 57 सीटें मिली हैं. लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि राज्य में जब भी कोई दल सरकार बनाता है, तो उसके लिए मुख्यमंत्री का चेहरा चुनना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं रहा है.
राज्य का इतिहास है कि सरकार बनाने वाली पार्टियां पैराशूट उम्मीदवारों को मुख्यमंत्री बनाती रही हैं. बीजेपी भी इसमें अछूती नहीं है और इस बार फिर से बीजेपी के सामने एक कद्दावर और सशक्त मुख्यमंत्री देने की चुनौती है.
उत्तराखंड में बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री के कई दावेदार हैं. फिर चाहे सतपाल महाराज हों, त्रिवेंद्र रावत, अनिल बलूनी या फिर राज्य के 4 पूर्व मुख्यमंत्री. ये दिलचस्प भी है और एक बड़ा सवाल भी कि बीजेपी चार पूर्व मुख्यमंत्रियों में से किसी एक को आगे बढ़ाएगी या फिर पीएम अपनी पसंद के किसी और को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाते हैं.
हालांकि इस बात की उम्मीदें कम हैं कि पूर्व मुख्यमंत्रियों में से किसी को बीजेपी गद्दी पर बिठाने जा रही है.
सूत्रों से जो खबर मिल रही है उसके मुताबिक पार्टी आलाकमान किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री या सांसद को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी.
एक नजर मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदारों पर
1. सतपाल महाराज
कांग्रेस से बगावत कर 2014 में बीजेपी में शामिल हुए सतपाल महाराज ने चौबट्टाखाल सीट से चुनाव जीता है. उन्हें राज्य बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत की जगह उम्मीदवार बनाया गया था.
सतपाल महाराज का असली नाम सतपाल सिंह रावत है. लेकिन आध्यात्मिक गुरु के तौर पर अपनी पहचान बनाने के बाद उनको सतपाल महाराज के तौर पर ही जाना जाता है. वो कांग्रेस से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं.
2. त्रिवेंद्र रावत
बीजेपी में एक चेहरा और है, जो संघ का भी करीबी माना जाता है. सूत्रों की मानें, तो अगर उत्तराखंड में संघ का दखल रहा, तो त्रिवेंद्र रावत को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. यही नहीं, वो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. इस वक्त झारखंड के प्रभारी भी हैं.
त्रिवेंद्र रावत डोईवाला सीट से जीते हैं. उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हीरा सिंह बिष्ट को हरा दिया है. उनकी छवि बेदाग मानी जाती है, इसीलिए माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें एक मौका दे सकती है, ताकि राज्य में एक सशक्त सरकार बनाई जा सके.
वैसे गौर करने वाली बात यह भी है कि सीएम के नाम पर अंतिम मुहर पीएम नरेंद्र मोदी की लगेगी, जो अक्सर अपने अप्रत्याशित फैसलों से लोगों को चौंकाते आए हैं.
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