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किसान यूं ही नहीं सड़क पर फेंक रहा टमाटर, समझिए एक किलो की क्या है लागत

मंडियों में टमाटर को केवल सिर्फ एक से दो रुपये प्रति किलो भाव मिल रहा है

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में कौड़ियों के दाम बिक रहे टमाटर (Tomatoes) ने किसानों को बेहाल कर दिया है. मंडियों में टमाटर को केवल सिर्फ एक से दो रुपये प्रति किलो भाव मिल रहा है. जिससे नाराज होकर किसान कई टन माल सड़क किनारे फेंक रहे हैं.


फसल में खर्च हुई लागत भी वसूल ना होने के कारण किसानों के पास कोई और विकल्प नहीं बचा है. महाराष्ट्र के नासिक, औरंगाबाद, पुणे, अहमनगर जैसे टमाटर उत्पादन करने वाले जिलों में किसान संगठनों ने टमाटर फेकते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

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पालघर जिले में तकरीबन डेढ़ सौ एकड़ में फल और सब्जियों की खेती करनेवाले किसान और व्यापारी यदनेश सावे बताते है ,

"पिछले जून में पाच एकड़ में 100 टन टमाटर की फसल निकाली, जिसमें उन्हें 20 रुपये प्रति किलो का दाम मिला. यानी डेढ़ लाख प्रति एकड़ खर्च करने पर 7.50 लाख की लागत में लगभग 17 से 18 लाख का फायदा मिला. लेकिन अब दाम में भारी गिरावट के चलते अगली फसल लगाने के बारे में चिंतित हूं."

पुणे (Pune) से सटे नारायण गांव का टमाटर सबसे अच्छी किस्म का टमाटर माना जाता है. नारायण गांव के किसान राजू कोंडे ने पिछले साल अगस्त 2020 में प्रति एकड़ चार लाख का मुनाफा कमाया था. लेकिन इस साल अगस्त में कोंडे को 75 हजार का नुकसान सहना पड़ा है. राजू कोंडे बताते है कि टमाटर के दाम में गिरावट की वजह से इस साल उन्होंने बीच में ही फसल काट दी ताकि बाद में वो बर्बाद ना हो जाए.

दरअसल, एक एकड़ में टमाटर की फसल उगाने से लेकर उसे मंडी में बेचने तक कितना खर्चा आता है ये समझने के लिए क्विंट हिंदी ने टमाटर उत्पादक किसानों से बात की. अहमदनगर के अकोले गाव के किसान संदीप दराडे बताते है कि एक एकड़ में टमाटर की फसल उगाने में एक से डेढ़ लाख खर्चा होता है.

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एक एकड़ का खर्च कितना?

जमीन तैयार करना - 15 हजार रुपये

फसल बोना - 10 हजार रुपये

बोने की मजदूरी - 8 से 10 हजार रुपये

ड्रिप और मल्चिंग प्रक्रिया - 15 हजार रुपये

तार, सुतली - 5 हजार रुपये

काठी - 20 हजार रुपये

खाद और दवाइयां - 20 हजार

उपज की मजदूरी - 40 हजार रुपये (40 रुपये प्रति क्रैट, 800 से 1000 क्रैट प्रति एकड़ निकलता है)

ट्रांसपोर्ट - 10 से 20 हजार रुपये (20 रुपये प्रति क्रैट)

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संदीप आगे बताते हैं,-

"छोटे किसानों को टमाटर की लागत प्रति किलो कम से कम 8 रुपये आती है. लेकिन फिलहाल दाम एक या दो रुपये मिलने से माल मंडी तक ना ले जाते हुए उसे सड़क किनारे फेंकने पर किसान मजबूर हो गया है."

किसान सभा के नेता अजित नवले ने टमाटर उत्पादक किसानों को एकड़ के 50 हजार रुपये मदद देने की राज्य सरकार से मांग की है. वरना हजारों टन टमाटर सरकार के मंत्री और विपक्ष के नेताओं के बंगले के बाहर फेंकने की चेतावनी दी है.

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नवले का दावा है कि इस साल टमाटर का बंपर क्रॉप आने के बावजूद सरकार की विपणन विभाग की तरफ से मार्केट मैनेजमेंट के लिए कोई ठोस नीति नही बनाई गई. साथ ही पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश समेत अन्य राज्यों में एक्सपोर्ट होने वाले टमाटर पर भी रोक लगा दी गई है. जिस वजह से किसानों पर गहरा संकट आया है.

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कृषि अर्थ तज्ञ जे. एफ. पाटिल का कहना हैं कि

"सबसे पहले सरकार को तालुका और जिला स्तर पर पेरिशबल फसलों की क्रॉप प्लानिंग करना जरूरी है. कितने क्षेत्र पर कौन सी फसल उगाना चाहिए, इसपर शास्त्रीय तरीके से नियंत्रण होना चाहिए. दूसरी बड़ी बात की बंपर क्रॉप आने पर सरकार को अतिरिक्त माल खरीदकर प्रोसेसिंग यूनिट्स को बेचना चाहिये. भले ये लॉंग टर्म प्लान है, लेकिन इसके लिए एक धारणा बनाना चाहिये. तीसरी जरूरी बात ये कि फसल बेचने में कृषि संगठनों को कमिटी बनाकर एकत्रित ना जरूरी है. ताकि बिचौलिये और बड़े व्यापिरियों की दाम तय करने में शुरू मनमानी को लगाम लगे."

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