महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) लोकसभा से बुधवार, 20 सितंबर को पास हो गया. इस बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े और विरोध में सिर्फ 2. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने दो तिहाई से ज्यादा मतों के साथ बिल के पास होने की घोषणा की.
जिन दो सांसदों ने बिल का विरोध किया, वे दोनों असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) से हैं. इसमें एक तो ओवैसी खुद हैं और दूसरे इम्तियाज जलील.
AIMIM ने 27 सालों से लटके आ रहे इस बिल का विरोध क्यों किया? इसके पीछे ओवैसी ने क्या तर्क दिया है? आइए देखते हैं.
ओवैसी ने बताया क्यों किया महिला आरक्षण बिल के खिलाफ वोट?
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल के विरोध की मुख्य वजह बिल में OBC और मुस्लिम महिलाओं को शामिल न करना बताया है. उन्होंने इंडिया टूडे से बातचीत में कहा,
"भारत में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व 22 फीसदी है. भारत में मुस्लिम महिलाओं की आबादी 7 फीसदी है, जबकि लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व 0.7 फीसदी है. क्या आप उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं देंगे?"असदुद्दीन ओवैसी, सांसद, AIMIM
ओवैसी ने बिल का ये बोलकर विरोध किया है कि ये केवल सवर्ण महिलाओं के आरक्षण के लिए लाया गया है.
"इस विधेयक के पीछे का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देना था. ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, तो क्या आप उन्हें आरक्षण नहीं देंगे?... जिनके लिए आप कानून ला रहे हैं क्या उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं देंगे?"
ओवैसी ने कहा कि हमने इसके खिलाफ वोट इसलिए दिया ताकि लोगों को पता चले कि दो सांसद ऐसे थे जो ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं को शामिल करने के लिए लड़ रहे थे.
महिला आरक्षण अधिनियम जिसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है, के तहत निचले सदन यानी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है. इसी 33 फीसदी में अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं को भी शामिल किया गया है, लेकिन इसमें मुस्लिम या OBC महिलाओं के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
बिल के अनुसार, OBC या मुस्लिम महिलाओं को महिला आरक्षण का लाभ लेना है तो उन्हें आरक्षित जनरल सीटों पर ही चुनाव लड़ना होगा. ओवैसी का यही तर्क है कि अगर OBC और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है तो उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था क्यों नहीं है?
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