पूर्व बीजेपी नेता और देश के वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कहा है कि इकोनॉमिक स्लोडाउन की वजह केंद्र सरकार दिवालिया होने के कगार पर खड़ी है. उन्होंने कहा कि सभी सेक्टरों में मांग खत्म हो गई है और इस वजह से इकनॉमी अब तक के सबसे गहरे संकट के दौर में पहुंच गई है.
‘जरूरी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए लाया गया सीएए’
सिन्हा ने अपनी गांधी शांति यात्रा के दौरान एक कार्यक्रम में यह बात कही. इस यात्रा के दौरान वह शनिवार को अहमदाबाद में थे.सिन्हा ने यह यात्रा सीएए और एनआरसी के विरोध में निकाली है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून लोगों का ध्यान जरूरी मुद्दों से हटाने के लिए लाई है. देश की अर्थव्यवस्था फेल हो चुकी है और मोदी सरकार नहीं चाहती कि लोग सवाल पूछें.
उन्होंने कहा कि यह सरकार इकोनॉमी की दिक्कतों को नजरअंदाज करती रही और फिर उसने आंकड़ों को हेरफेर से यह जताना चाहा कि सब कुछ ठीक है. लेकिन हमेशा आंकड़ों में हेरफेर नहीं किया जा सकता.
अब उन्होंने मान लिया है कि अर्थव्यवस्था दिक्कत में है और कह रहे हैं बेहतरी के लिए कुछ करेंगे . उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ना शुरू हो गई है और दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई आठ महीने की उच्चतम स्तर पर पहुंच गई.
‘सरकार नहीं कर रही है खर्च इसलिए गहरा रही है मंदी’
1998 से 2002 तक देश के वित्त मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि मौजूदा सरकार के पास धन नहीं बचा है. इस सरकार ने अपनी मनमर्जी से देश के फंड का इस्तेमाल किया है और अब यह दिवालिया होने की कगार पर है.
सिन्हा ने कहा लोग कह रहे हैं कि सरकार को इकनॉमी को पटरी पर लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा खर्च करने की जरूरत है लेकिन यह सिर्फ खर्च घटाने के बारे में बात कर रही है. सरकार ने सभी विभागों से कहा है कि वह जरूरी 33 फीसदी की जगह फंड का सिर्फ 25 फीसदी ही खर्च करे.
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