‘गोरखपुर योगी का गढ़ है’. 'गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है. 'गोरखपुर में सिर्फ महाराज जो चाहते हैं वो होता है.'
नारे, किस्से, कहानियां, कहावतें, बोल, बचन कुछ काम नहीं आता जब जनता अपने पर आती है. यूपी के मुख्यमंत्री को उनका गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर की हार ने यही बताया है. चीख-चीखकर, ठोक-पीटकर हर तरह से बताया है. और रो-रोकर भी. कई आंखों में आंसू अभी सूखे नहीं हैं. जिगर के टुकड़ों को खोना वैसे भी आसान नहीं होता.
- क्या योगी की हार पूर्वांचल के लोगों की नाराजगी की वजह से हुई?
- इंसेफेलाइटिस के अलावा क्या दूसरे मुद्दों पर भी नाराज हैं पूर्वांचल के लोग?
- योगी के एक साल पर पूर्वांचल के लोगों की क्या है राय?
इंसेफलाइटिस मासूम लील गई, मासूम जीत लील गए
गोरखपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, कुशीनगर समेत पूर्वांचल के सभी जिलों में जुलाई से दिसंबर का महीना इंसेफेलाइटिस के खौफ में ही गुजरता है.
करीब 2 दशक तक गोरखपुर से सांसद रहने वाले गोरखनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ सूबे के सीएम बने तो लोगों में आस जगी कि इस बीमारी से अब काफी हद तक राहत मिल जाएगी. लेकिन सरकार के मंत्री सिद्धार्थनाथ ने तो जख्मों पर नमक रगड़ते हुए ये कह दिया कि अगस्त में तो मौतें होती हैं.
मरने वाले में गोरखपुर के आसपास के ग्रामीण इलाकों के परिवारों के बच्चे थे, जिनका गोरखनाथ पीठ और योगी पर काफी भरोसा था. भरोसा दरक गया.
पूर्वांचल के लोगों की उम्मीद पर खरे नहीं उतरे योगी?
पूर्वांचल मामलों पर खास नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश कहते हैं:
जब योगी आदित्यनाथ सिर्फ सांसद थे, तो एक बहाना था कि राज्य में उनकी सरकार नहीं है. अब तो राज्य और केंद्र , दोनों में बीजेपी की ही सरकार है, तो फिर बच्चों की जो मौत हुई और उस पर जिस तरह की टिप्पणियां आईं वो हैरान कर देने वाली थीं.
'गुस्से में कारोबारी '
मनोज टिबड़ेवाल आकाश कहते हैं कि, योगी जी की सरकार आने के बाद से गोरखपुर में कारोबारियों से लूट और उनके साथ अपराध की घटनाएं काफी बढ़ीं. शुरुआती 4 महीनों में काराबोरियों के साथ आपराधिक घटनाओं की संख्या तेजी से बढ़ती गई. ऐसे में बीजेपी का परंपरागत वोटर कारोबारी वर्ग काफी नाराज हुआ. लेकिन योगी जी ने कर्नाटक से त्रिपुरा तक घूमते रहे.
गोरखपुर के भालोटिया मार्केट के दवा कारोबारी रोहित बंका की नाराजगी की वजह योगी नहीं बीजेपी सरकार है. उनका कहना है कि मठ के कारण वो योगीजी को पसंद करते हैं, लेकिन वो बीजेपी की नीतियों के खिलाफ हैं. बंका कहते हैं कि जीएसटी के कारण धंधा चौपट हो गया है.
कार्यकर्ताओं में जबरदस्त नाराजगी
नाम नहीं बताने की शर्त पर पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने खुलकर अपने दिल की बात रखी. पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि बीजेपी में सरकार बनने के साथ ही सबसे पहले कार्यकर्ताओं को ही दरकिनार कर दिया जाता है, नियम-कानून बताए जाने लगते हैं.
सिर्फ बीजेपी के कार्यकर्ता ही नहीं खुद पूर्वांचल में योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी मजबूती यानी हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता भी अपनी ही सरकार से नाराज दिख रहे हैं. हाल में कुछ दिनों में हिंदू युवा वाहिनी की गतिविधियों पर अघोषित पाबंदी लगा दी गई है. इसके बाद से वाहिनी के कार्यकर्ता खुद को ठगा सा महसूस करने लगे हैं.
युवा पूछ रहे हैं इंफ्रास्ट्रक्चर कहां है, नौकरी कहां है?
आर्किटेक्ट आनंद कुमार कहते हैं कि योगी जी के सीएम बनने के बाद लग रहा था कि पूर्वांचल में अब काफी कुछ बदल जाएगा. लेकिन अब आनंद भी योगी के एक साल के कार्यकाल से बिल्कुल खुश नहीं दिखते.
इंफ्रास्ट्रक्चर का सीधा संबंध विकास से होता है, गोरखपुर में इसका नामोनिशान तक नहीं दिखता, जो वादे भी किए गए थे उसका अता-पता नहीं है’ ऐसे में रोजगार कैसे आएगा? आनंद पूछते हैं कि विकास की जगह क्या हुआ है? एंटी रोमियो स्क्वॉयड बना, जिसका कोई मतलब नहीं था, पूरा पुलिस महकमा बेकार की चीजों में लगा दिया गया.
वाराणसी के रहने वाले वरुण कहते हैं कि जमीन पर कुछ खास नहीं दिख रहा है. सिर्फ हिंदू-मुस्लिम पर बयान देने से काम नहीं चलेगा, एक सीएम को ये शोभा नहीं देता कि वो इस तरह की बयानबाजी करे.
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अच्छी स्वास्थ्य सुविधा का अधिकार कब तक मिलेगा?
पूर्वांचल के महाराजगंज जिले के रहने वाले एलएलबी छात्र अजहरुद्दीन खान कहते हैं कि योगी सरकार में एक भी भर्ती अभी तक नहीं निकली. युवाओं में छटपटाहट है क्योंकि पूरी शिद्दत और आस से उन्होंने वोट देकर इस सरकार को चुना था.
स्वास्थ्य सुविधाओं पर अजहरुद्दीन खान अपने जिले का उदाहरण देते हैं. कहते हैं सांस की बीमारी भी हो जाए तो सरकारी जिला अस्पताल में जान पर आफत आ जाती है. छोटी से छोटी बीमारी के लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया जाता है. आसपास के कई जिलों का बोझ अकेले मेडिकल कॉलेज कैसे संभाल सकता है, जिलों में अच्छी सेहत का अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए?
अजहरुद्दीन खान के पास ही में बैठे मनीष कुमार सिंह कहते हैं---मरीज को अगर इमरजेंसी में अस्पताल ले जाओ तो पता चलता है कि 'आंख का डॉक्टर' इमरजेंसी संभाल रहा है, अब पेट दर्द या किसी और बीमारी का इलाज किस भरोसे से उस डॉक्टर से कराएं?
किसान की अलग समस्या?
जहां योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल की उपलब्धियों में अवैध बूचड़खानों को 24 घंटे में बंद कराने का जिक्र करना नहीं भूलते. वहीं यूपी के किसानों की ये बड़ी समस्या बन गई है. किसान कहते हैं कि रातोंरात ये गोवंश पूरी की पूरी फसल चौपट कर जाते हैं, जब खेत बचेंगे तब तो कर्जमाफी और फसल के मूल्य की बात करेंगे ना!
तो योगी जी, अब पूर्वांचल की सुनेंगे न?
जीत बहुत कुछ सिखाती है. हार उससे भी ज्यादा सिखाती है. उम्मीद यही की जानी चाहिए कि जिस पूर्वांचल की धरती से उठकर योगी लखनऊ की कुर्सी तक पहुंचे, उस कुर्सी पर बैठकर या उस कुर्सी से पूर्वांचल तक का सफर तय करके यहां के लिए काम भी करेंगे.
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